इंदौर महापौर और पूर्व महापौर के बीच बढ़ी दूरियां, समर्थकों में भी असर

इंदौर में कुछ नेता आजकल एक-दूसरे का चेहरा देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और पूर्व महापौर व विधायक मालिनी गौड़ के बीच की दूरियां अब सतह पर दिखने लगी है।

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Sanjay gupta
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सीएम पद से शिवराज सिंह चौहान की विदाई और मोहन यादव की ताजपोशी के बाद इंदौर शहर में राजनीति अलग तरीके से चल रही है। कुछ नेता आजकल एक-दूसरे का चेहरा देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं। इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव और पूर्व महापौर व विधायक मालिनी गौड़ के बीच की दूरियां अब सतह पर दिखने लगी हैं।

इस कार्यक्रम में दिखी दूरियां

इंदौर विधानसभा चार जहां से मालिनी गौड़ विधायक हैं, यहां के वार्ड 82 में दो करोड़ से ज्यादा के विकास कामों का भूमिपूजन कार्यक्रम सोमवार रात को हुआ। यह वार्ड महापौर का भी गृह वार्ड है और वह यहीं रहते हैं। लेकिन इस कार्यक्रम में विधायक गौड़ आई, ना उनकी अनुपस्थिति में आने वाले पुत्र एकलव्य गौड़ आए, ना ही उनके समर्थक और एमआईसी मेंबर राजेश जैन पहुंचे और ना ही क्षेत्रीय पार्षद शानू शर्मा (जिन पर कुछ समय पहले महिला ने दुष्कर्म के आरोप लगाए थे) वहां पर मौजूद थे। इतने बड़े कार्यक्रम में इन सभी की गैर हाजिरी ने बता दिया कि महापौर और पूर्व महापौर के बीच सबकुछ सही नहीं है और अब यह विवाद सतह पर आ चुका है। 

इसलिए नहीं गए कार्यक्रम में 

पूर्व महापौर गौड़ के गुट की ओर से बात आ रही है कि विधायक जी को इस कार्यक्रम में बुलाया ही नहीं गया, जब उन्हें न्यौता नहीं मिला तो फिर उनके समर्थक पार्षद, कार्यकर्ता व उनके पुत्र भी कैसे जा सकते थे? इसलिए कोई भी नहीं गया।

यह सभी रहे मौजूद

पुष्यमित्र भार्गव

हालांकि कार्यक्रम में पूर्व नगराध्यक्ष कैलाश शर्मा जो दिवंगत लक्ष्मणसिंह गौड़ के करीबी थे, वह मौजूद रहे। साथ ही एमआईसी मेंबर अभिषेक बबलू शर्मा, सौगात मिश्रा, पार्षद योगेश गेंदर, कंचन गिदवानी, भरत रघुवंशी, राकेश शुक्ला, अनंत पंवार, ज्योति तोमर, सुधीर देड़गे यह सभी मौजूद रहे।

यह विवाद क्यों और कब से

बताया जाता है कि यह विवाद तब हुआ जब अक्टूबर-नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव के टिकट की बात चल रही थी। इस दौरान विधायक गौड़ की मंशा थी कि वह स्वास्थ्य कारणों से अलग होंगी और एकलव्य को टिकट मिल जाए। लेकिन इस दौरान एकलव्य गौड़ के खिलाफ जमकर शिकायतों का दौर चला और गौड़ की अयोघ्या की जगह इसे बीजेपी की अयोध्या का नाम दिया गया। यह तल्खी उसी समय से शुरू हुई और बीच में सफाई व्यवस्था पर शिकायतें आने पर मालिनी गौड़ ने भी बयान दिए, जो महापौर को अच्छे नहीं लगे। इसके बाद से यह दूरियां बढ़ती जा रही है।

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