इंदौर. सफाई में नंबर 1 इंदौर अब पौधे लगाने में भी नंबर 1 बन सकता है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार, 27 मई को ऐलान किया कि आने वाले दिनों में इंदौर में 3 घंटे में 51 लाख पौधे लगाकर इतिहास रचेंगे। यही प्रकृति की सच्ची सेवा होगी।
उन्होंने कहा, कुछ दशक पहले हमारी धरती हरी-भरी थी। अब हरियाली खत्म होने से भीषण गर्मी और अनेक लाइलाज बीमारियां फैलने लगी हैं।
यदि हम अपने जीवन की खुशियां चाहते हैं तो पौधे लगाने के लिए आगे आना ही होगा। प्रकृति की सेवा के माध्यम से हम ईश्वर की आराधना करें। उन्होंने इंदौरवासियों से इस अभियान में अधिक से अधिक संख्या में भागीदारी करने की अपील की है।
सोशल मीडिया पर पोस्ट किया वीडियो
मंत्री विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो पोस्ट कर कहा, आज पूरा देश जल रहा है। इंदौर भी उस जलन से बचा नहीं है। शहर में 42 डिग्री तापमान है, पर इंदौर से 7 किलोमीटर दूर पितृ पर्वत पर यह तापमान कम है, क्योंकि यहां 3 लाख पेड़ हैं। प्रदूषण भी कम है। ऑक्सीजन पवित्र है और इसलिए यहां मजा भी आता है। हनुमान जी तो हैं ही...प्रकृति भी बहुत जरूरी है।
तीन घंटे में कीर्तिमान स्थापित करेंगे
मंत्री ने कहा कि इंदौर जिस तरह जल रहा है, हम एक पौधा लगाकर उसकी आग को ठंडी कर सकते हैं। आने वाले दिनों में हम कुछ घंटों में 51 लाख पौधे लगाकर रिकॉर्ड बनाएंगे।
इसलिए जुलाई के महीने में कमर कस लें, हर व्यक्ति कम से कम 10-10 पौधे लगाए। हम इंदौर में तीन घंटे में कीर्तिमान स्थापित करेंगे और आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छा वातावरण देने का प्रयास करेंगे।
इसलिए नाम पड़ा नौलखा
कहते हैं, इंदौर के नौलखा क्षेत्र में एक समय नौ लाख से ज्यादा पेड़ हुआ करते थे। इसलिए इसका नाम नौलखा पड़ा। छावनी पुल से लेकर पीपल्याहाना तालाब को भरने वाली चैनलों के किनारे तक के इलाके को अंग्रेजों को छावनी बनाने के लिए दिया गया था। Kailash Vijayvargiya | indore paudha ropan
तब यहां बहने वाली कान्ह नदी अंग्रेज छावनी के बीच पानी का साधन थी। इसे साफ रखने के लिए इस इलाके को हरा-भरा रखा गया था। इंदौर के लिए 1918 में होलकर राजाओं ने जो मास्टर प्लान बनाया था, उसमें इस क्षेत्र को हरियाली के लिए रखा था।
यहां पर बड़ी संख्या में उन्होंने औषधीय बाग, नवगृह बाग तैयार करवाए थे। इनमें बड़ी संख्या में पेड़ लगाए थे। यहां उस समय 9 लाख से भी ज्यादा पौधे लगे थे, जिसके चलते इस क्षेत्र का नाम ही नौलखा पड़ गया।