इंदौर में पुलिस विभाग के 173 करोड़ के प्रोजेक्ट में ही खेल, 3400 पुलिस परिजन को खतरे में डाला

इंदौर के पहली बटालियन में पुलिस कर्मचारियों के लिए 173 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही 9 हाईराईज बिल्डिंग में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर दिया है।

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Vishwanath singh
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अपराधियों को पकड़ने का काम पुलिस का है, लेकिन जब पुलिस के साथ ही खेल हो जाए तो इसे क्या कहेंगे। यह हुआ है मप्र पुलिस के 1-दो करोड़ नहीं पूरे 173 करोड़ के प्रोजेक्ट के साथ। इसमें इंदौर में नौ हाईराइज बिल्डिंग बनाई जाना है और इसमें 864 पुलिस क्वार्टर बनेंगे जिसमें पुलिस के 3400 करीब परिजन रहेंगे। हद तो यह है पुलिस हाउसिंग के स्थानीय अधिकारियों को इसकी मॉनीटरिंग करनी थी और वे मॉनिटरिंग करने के बजाए चैन की गहरी नींद में सोते रहे। 

नमामि गंगे जैसे प्रोजेक्ट करने वाली कंपनी का खेल 

इंदौर के पहली बटालियन में पुलिस कर्मचारियों के लिए 173 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही 9 हाईराईज बिल्डिंग। प्रयागराज में नमामि गंगे, विदिशा में 300 बेड के सरकारी अस्पताल, गाजियाबाद में हाईराईज सरकारी आवास जैसे करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट करने वाली नोएडा की कंपनी ने इंदौर के पुलिस परिवारों के लिए तैयार की जा रही बिल्डिंग में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर दिया है। यह तब हुआ है जबकि इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग का जिम्मा खुद एमपी पुलिस हाऊसिंग के स्थानीय अफसरों को दिया था। 

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वर्तमान में यह स्थिति है हाईराईज बिल्डिंग की

 

नींव में मुरम की जगह भर दी मिट्टी

प्रोजेक्ट इंजीनियर किशन विधानी की निगरानी में मै. यूनिवर्सल कॉन्ट्रैक्टर्स एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि कंपनी ने नींव भरने के दौरान मटेरियल में गड़बड़ी करते हुए करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर डाला। इसकी शिकायत भोपाल में पुलिस की विशेष शाखा को हुई है। 

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इस तरह से साइट से खोदी गई मिट्‌टी को ही भर दिया गया था नींव में

 

पुलिस क्वार्टर में भ्रष्टाचार की यह है शिकायत

इंदौर के पहली बटालियन में पुलिस कर्मचारियों के लिए लगभग पौने दो सौ करोड़ रुपए की लागत से 864 क्वार्टर वाली लगभग 12 मंजिला 9 हाईराईज बिल्डिंग तैयार की जा रही है। इसमें मै. यूनिवर्सल कॉन्ट्रैक्टर्स एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि कंपनी द्वारा मटेरियल की चोरी करते हुए नींव को मूरम के बजाए मिट्टी से भरकर उसे कमजोर कर दिया गया है। जबकि कॉन्ट्रैक्टर को मिले वर्क ऑर्डर के मुताबिक हाईराईज बिल्डिंग बनाने के लिए मुरम का उपयोग किया जाना था। ऐसे में बिल्डिंग ना केवल कमजोर होगी, बल्कि उसमें दरार आने के साथ वहां रहने वाले पुलिस परिवारों की जान को भी खतरा होगा। यह खुलासा मध्यप्रदेश पुलिस की विशेष शाखा को अप्रैल 2025 में की गई एक शिकायत में किया गया है। उस शिकायत में बताया गया है कि किस तरह से कॉन्ट्रैक्टर कंपनी ने  इस मामले को पुलिस विभाग के भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है और एमपी पुलिस हाऊसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर को 24 अप्रैल 2025 को एक पत्र लिखकर जांच करके एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

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भ्रष्टाचार की 3 पेज की है शिकायत

 

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बिल्डिंग पूरी बैठ सकती है ऐसे मटेरियल से

यह भी शिकायत में है कि नींव में मिट्टी भरे जाने से बिल्डिंग ना केवल कमजोर होगी, बल्कि उसमें दरार आने के साथ पूरा फ्लौर बैठ जाने की आशंका भी बनी रहेगी। वहीं, खुदाई में निकली मिट्टी से ही भराव कर कॉन्ट्रैक्टर मुरम से भराव करने का पैसा हड़प रहा है। आपको बता दें कि नोएडा की कंपनी मै. यूनिवर्सल कॉन्ट्रैक्टर्स एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि के मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक शर्मा और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शेखर शर्मा हैं। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि यह फर्जीवाड़ा एमपी पुलिस हाऊसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अधीक्षक यंत्री किशन विधानी और कंपनी के साइट इंजीनियर डीपी वशिष्ट की देखरेख में हो रहा है। 

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पुलिस की विशेष शाखा में हुई शिकायत

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एक और भ्रष्टाचार की शुरू हो गई जांच

इस हाईराईज बिल्डिंग को लेकर एक और गोपनीय शिकायत की गई है जिसमें कॉन्ट्रैक्टर कंपनी और एमपी पुलिस हाऊसिंग के अफसरों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के दस्तावेज पुलिस विभाग के वरिष्ठ अफसरों और ईओडब्ल्यू भाेपाल को भी भेजे गए हैं। बताते हैं कि उनमें कई तरह के फाइनेंशियल फ्रॉड किए जाने के सबूत भी मिले हैं। उस गोपनीय जांच को लेकर भी विभाग के अफसर जल्दी उस मामले में भी नोटिस जारी करने की बात कह रहे हैं। 

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शिकायत में अफसरों पर भ्रष्टाचार के यह लगाए आरोप

 

नींव में मिलावट कर कमजोर करने की कहानी

नोएडा की मै. यूनिवर्सल कॉन्ट्रैक्टर्स एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि कंपनी को फर्स्ट बटालियन में 173 करोड़ रुपए की लागत से नौ हाईराइज बिल्डिंग तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट जून 2024 में एमपी पुलिस हाऊसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा दिया गया था। इसके बाद कंपनी ने काम अक्टूबर 2024 में शुरू किया। विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में प्लींथ में भराव का काम जा रहा था तो पुलिस हाऊसिंग डिपार्टमेंट की तरफ से इस प्रोजेक्ट में मॉनिटरिंग का जिम्मा प्रोजेक्ट इंजीनियर किशन विधानी को दिया गया। बताया गया कि इनकी अनुपस्थिति में कॉन्ट्रैक्टर द्वारा प्लींथ के अधिकांश हिस्से में मूरम के बजाए काली और पीली मिट्टी से भराव कर दिया गया। जबकि, कॉन्ट्रैक्टर को दिए वर्क ऑर्डर में 20 सेंटीमीटर की ऊपरी लेयर पर रेत, 30 सेंटीमीटर की बीच वाली लेयर पर मूरम डाली जानी थी। कॉन्ट्रैक्ट में स्पष्ट तौर पर काली मिट्टी का उपयोग किए जाने पर मना किया गया था।

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कंपनी ने इस तरह से वेबसाइट पर कर रखी है ब्रांडिंग

 

शिकायत में लिखा, साइट से खोदी मिट्‌टी ही नींव में भर डाली

अफसरों को की गई शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस प्रोजेक्ट में नींव तैयार करने में जो खुदाई की गई उसमें बड़ी मात्रा में काली मिट्टी निकली है। इसे साइट से हटाने के बजाए बीच में ही ढ़ेर लगा दिया है। इसके बाद कॉन्ट्रैक्टर द्वारा इसी काली मिट्टी के अलावा पीली मिट्टी का उपयोग भी प्लींथ की भराई में कर दिया। पीली मिट्टी के डंपर भी लाकर यहां पर ढ़ेर लगाए गए और बाद में उसे जेसीबी की सहायता से प्लींथ में भराव के लिए उपयोग किया गया। इस पूरे घोटाले को द सूत्र अगल–अलग भाग में प्रकाशित कर उजागर करेगा। (दूसरे भाग में पढ़िए कॉन्ट्रैक्टर और अफसरों ने कैसे साइट पर मटेरियल और दस्तावेजों में हेराफेरी कर किया करोड़ों का खेल)

यह कहते हैं सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े विशेषज्ञ

पुलिस विभाग को की गई इस शिकायत के आरोपों का सच जानने के लिए हमने सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े कई विशेषज्ञों से भी चर्चा की। इस पर उन्होंने बताया कि प्लींथ के भराव में मिट्टी का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन काली मिट्टी का उपयोग बिलकुल भी नहीं कर सकते हैं। वहीं, अगर काली के बजाए किसी और तरह की मिट्टी का उपयोग भराव में किया जाता है तो फिर उसके लिए प्लींथ के स्ट्रक्चर को खास तरह से डिजाइन किया जाता है। वहीं, अगर मूरम से भराव करना है तो फिर प्लींथ का डिजाइन अलग तरह से किया जाता है। अगर प्लींथ को मिट्टी से भराव करने के लिए डिजाइन नहीं किया जाता है तो फिर भविष्य में प्लींथ फ्लोर और बीम के सेटल होने के कारण बिल्डिंग में दरार आने की आशंका रहेगी।

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एमडी बोले, चीफ इंजीनियर से जांच करवा रहे हैं

इस संबंध में एमपी पुलिस हाऊसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के एमडी अजय शर्मा का कहना है कि विभाग के पास आई भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच करवाई जा रही है। यह जांच विभाग के चीफ इंजीनियर कर रहे हैं। उन्हें एक सप्ताह में जांच करके रिपोर्ट देने का कहा गया है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि कॉन्ट्रैक्टर का वर्क ऑर्डर क्या था और उसने दस्तावेजों के हिसाब से काम किया या नहीं। 

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