INDORE. नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू-NEYU) की कोर कमेटी के राधे जाट और रणजीत किशानवंशी को जेल भेजने के बाद अब पुलिस की ओर से औपचारिक प्रतिक्रिय सामने आई है। इसमें दोनों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं और शांति व्यवस्था के लिए खतरा बताया।
पुलिस बोली- दोनों पीएससी के छात्र नहीं
एडिशनल डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश दंडोतिया ने मीडिया से चर्चा में बताया कि बिना मंजूरी के पीएससी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद शासन, प्रशासन ने इनसे बात की, सीएम से भी मुलाकात हुई। लेकिन इसके बाद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे थे कि बिहार पीएससी की तर्ज पर एकत्र होना है। नए साल को भी देखते हुए प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनका पीएससी से कोई लेना-देना नहीं है वह पीएससी के छात्र नहीं है। वह छात्रों को भड़काने का काम कर रहे थे। इसलिए शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई।
इधर, जमानत नहीं हुई
वहीं शुक्रवार को NEYU के नेता दिन भर पुलिस एसीपी के दफ्तर में चक्कर काटते रहे, लेकिन वह नहीं मिले। इन्होंने वकील के साथ जमानत के आवेदन तैयार किए हुए थे लेकिन देर शाम तक एसीपी मिले ही नहीं। इसके चलते जमानत नहीं हो सकी। अब शनिवार को फिर प्रयास किया जाएगा। इधर, शुक्रवार की शाम को दूसरी बार भी उनकी जमानत आवेदन एसीपी कोर्ट से खारिज हो गया है।
जेल के अंदर से यह संदेश भेजा
उधर, NEYU के कुछ नेता शुक्रवार को राधे जाट और रणजीत से मिले। इसमें उन्होंने संदेश दिया कि- जेल में डालकर छात्रों के मन से डर खत्म कर दिया है, दो लोगों को जेल में डालने से आंदोलन खत्म नहीं होगा, NEYU मध्य प्रदेश के सभी छात्रों का संगठन है सभी छात्र लीड करेंगे और आंदोलन और बड़े रूप में जारी रहेगा। सभी छात्र आगे आकर अपनी मांगों के लिए आंदोलन जारी रखें, सरकार जेल में डालकर हमारी आवाज मरने तक दबा नहीं सकती, सरकार को छात्रों के आगे झुकना ही पड़ेगा छात्रों की मांगें पूरी करनी ही होंगी। इंकलाब जिंदाबाद, लड़ेंगे जीतेंगे। उनसे मिलने वालों में हेमराज गुर्जर, सचिन यादव, प्रशांत राजावत आदि थे।
तो इसलिए की थी पहले दो-दो एफआईआर
दरअसल, इस मामले में अब पुलिस द्वारा 22 दिसंबर को राधे जाट, किशानवंशी के साथ ही विविध कोचिंग संचालकों के खिलाफ भंवरकुआं व संयोगितागंज थाने में केस दर्ज करने का कारण अब साफ हो गया है। महाआंदोलन शांति के साथ सहमति से मांगे मानने की बात के साथ खत्म हुआ था और इसी दौरान सीएम से 22 दिसंबर को भोपाल में सद्भाव वाले माहौल में बैठक भी हुई। लेकिन इसके बाद शाम होते-होते खबर आ गई है तो आंदोलनकारियों पर केस दर्ज हो गया है।
इसके पीछे शुरू से ही मंशा यह थी कि आगे कल को कई मांग नहीं मानी जाती है और आंदोलन भड़कने की आशंका होती है तो इसे रोकने के लिए प्रतिबंधात्मक धारा का उपयोग कर जेल भेजा जा सकेगा। इसलिए शांति से आंदोलन समाप्त होने के बाद भी पुलिस ने एक नहीं बल्कि दो-दो थाने में केस दर्ज कर लिया और जब लगा कि फिर आंदोलन हो सकता है तो दर्ज इन एफआईआर के आधार पर प्रतिबंधात्मक धारा 151, 107 और 116 का हवाला लिया और दोनों को जेल भेज दिया गया।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक