इंदौर में उद्योगपति रमेश बाहेती की पूर्व STI इंडस्ट्री को MPIDC से मिली जमीन पर दो बड़े उद्योगपतियों का 600 करोड़ का खेल

मप्र में उद्योग विभाग में उद्योगों को बचाने के लिए 2022 में एक्जिट पॉलिसी में बदलाव किया गया है। इसमें देनदारियों में फंसी इंडस्ट्री जो पांच साल से चल रही है और प्लस दो साल से बंद हो तो वह अपनी जमीन पर प्लाटिंग करके हस्तांतरण कर सकती है। 

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
एडिट
New Update
thesootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

INDORE. इंदौर में उद्योग की जमीन पर प्लाटिंग का एक 300 करोड़ का खेल उजागर करने के बाद 'द सूत्र' अब इससे दोगुना 600 करोड़ रुपए के खेल का खुलासा कर रहा है। यह जमीन और किसी की नहीं बल्कि, इंदौर और मप्र के प्रतिष्ठित उद्योगपति और सत्य सांई स्कूल के प्रमुख रमेश बाहेती की पूर्व कंपनी एसटीआई की जमीन का है। जो उन्हें इंडस्ट्री चलाने के लिए एमपीआईडीसी से मिली थी। इस जमीन पर इंदौर और मुंबई के दो जाने-माने उद्योगपतियों ने जमावट की है। 

इन उद्योगपतियों ने की है जमावट

शहर और मप्र के जानी-मानी कंपनी सिम्बायोटेक के प्रमुख अनिल सतवानी और बांबे रेयान ग्रुप मुंबई के मालिक प्रशांत अग्रवाल शामिल है। 

STI की जमीन का क्या है मुद्दा

एसटीआई को सोनवाय-भैंसलाय गांव में प्लाट नंबर एक की 37 हेक्टयर जमीन एमपीआईडीसी ( पूर्व नाम एकेवीएन- अब मप्र इंडस्ट्रियल डेवपलमेंट कॉर्पोरेशन) से लीज पर मिली थी। रमेश बाहेती द्वारा यह जमीन ली गई थी और इंडस्ट्री चलाई गई, लेकिन बाद में मुंबई के बांबे रेयान फैंशन प्रमुख प्रशांत अग्रवाल ने इस कंपनी के सारे शेयर अपने पास ले लिए और बाहेती एसटीआई से पूरी तरह बाहर हो गए। कुछ साल ही रेयान ने यह इंडस्ट्री चलाई और इसके बाद बाजार से कर्जा लिया। लेकिन वह नहीं चुका सके। इस दौरान बांबे रेयान लिक्विडाजेशन (दिवालिया) में चली गई। इसमें जेएम फायनेसिंयल एसेस रिकंसट्रक्शन कंपनी पिक्चर में आई। उन्होंने ही फायनेंस किया था। 

इस नियम के बदलाव के बाद शुरू हुई जमावट

मप्र में उद्योग विभाग में उद्योगों को बचाने के लिए 2022 में एक्जिट पॉलिसी आई है, जिसमें नियम 19(बी) में बदलाव किया गया। इसके तहत देनदारियों में फंसी इंडस्ट्री जो पांच साल से चल रही है और प्लस दो साल से बंद हो, यानी कुल सात साल, से ऐसा हो तो वह अपनी जमीन पर प्लाटिंग करके हस्तांतरण कर सकती है। 

सतवानी, अग्रवाल, जेएम के साथ इस तरह हुई पूरी जमावट

मौके की इस 37 हेक्टेयर जमीन की आज कीमत 600 करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा है। अब यहां पर इंड्स्ट्री शुरू करने की मंशा किसी की नहीं रही। इसके बाद पिक्चर में आए सिम्बायोटेक लाइफसाइंसेस (symbiotic lifesciences)  प्रालि के अनिल सतवानी, इसके साथ ही उनकी एक अन्य कंपनी केनोवया (knovea phar,aceytical) फार्मास्यूटिकल प्रालि जिसमें सतवानी के साथ सुमित गुप्ता और रोहित बृजमोहन मंत्री डायरेक्टर है वह सामने आते हैं। जेएम फायनेंसियल ग्रुप के विशाल उचिल, बांबे रेयान के प्रशांत अग्रवाल, सिम्बायोटेक और केनोवया फार्मा के अनिल सतवानी ने ने आपस में करार किया। इसमें सभी कर्जे चुकाने और फिर जमीन को अपने हिसाब से उपयोग करने की डील हुई। यह डील 85 करोड़ रुपए में हुई, जिसमें सभी देनदारियां चुकाई गई। 

गर्भकाल…

मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…

कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…

आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं…. 

इस लिंक पर क्लिक करके जानें सबकुछ…

https://thesootr.com/state/madhya-pradesh/cm-mohan-yadav-garbhkal-the-sootr-survey-6952867

इसके बाद प्लाटिंग का कर दिया MPIDC में आवेदन

इसके बाद इन सभी ने मिलकर तय किया कि एक्जिट पॉलिसी का फायदा उठाया जाए और यहां का कीमती 600 करोड़ की जमीन पर प्लाटिंग कर इसे बेचा जाए। इसके लिए नक्शा बनवाया गया और फिर STI कंपनी के नाम पर पूरा आवेदन एमपीआईडीसी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर इंदौर के नाम पर इसे लेकर पूरा आवेदन दिया गया है। इसमें मूल कंपनी एसटीआई का हवाला देते हुए इसमें भूमि आवंटन नियम 2021 के तहत प्लाटिंग की मंजूरी मांगी गई है। यानी वहां पर यह जमीन छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर यह ग्रुप 600 करोड़ का मुनाफा कमाएगा और वह भी केवल 85 करोड़ रुपए की देनदारी चुकाने के बाद। 

क्या बोल रहे बाहेती और सतवानी

इस मामले में 'द सूत्र' ने बाहेती से बात तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि वह एसटीआई में सौ फीसदी शेयर होल्डिंग बांबे रेयान को दे चुके हैं। उधर 'द सूत्र' ने अनिल सतवानी को फोन और मैसेज किए, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।

 

600 करोड़ का खेल MPIDC Land रमेश बाहेती Ramesh Baheti STI Industry STI इंडस्ट्री