इंदौर में विवादित बिल्डर संजय दासौद और क्रेडाई चेयरमैन गोपाल गोयल की फर्म साकार रियलटी की धोखाधड़ी में एक-दो नहीं 57 प्लॉटधारक पूरी तरह उलझ गए हैं। बंधक प्लाट की रजिस्ट्री इन्हें होने के चलते यह रजिस्ट्री ही कानूनी तौर पर मान्य नहीं है, यानी यह रजिस्ट्री विधिक तौर पर जीरो है। अब उन्हें बिल्डर को या तो नए प्लॉट की रजिस्ट्री कराना होगी या राशि लौटाना होगी। यह पूरी धोखाधड़ी नंबर एक में तो 2.80 करोड़ रुपए की है लेकिन आज के बाजार मूल्य से देखा जाए तो 11 करोड़ रुपए से ज्यादा की है।
एक साल में ही बेच डाले बंधक प्लॉट
महू की जिस कॉलोनी साकार रियल लाइफ के लिए दासौद और गोपाल पर धोखाधड़ी की धाराओं में केस हुआ है, इसकी विकास मंजूरी साल 2021 में हुई और महू तहसीलदार द्वारा 6.807 हेक्टेयर पर कट रही कॉलोनी में 25 फीसदी के हिसाब से कुल 316 भूखंड में से 79 को बंधक रखा गया। इनकी कीमत 5 करोड़ रुपए से ज्यादा थी जो बंधक रखी गई। लेकिन साल मई-जून 2022 में ही दासौद ने इनके सौदे कर बिना कार्यपूर्णता प्राप्त किए रजिस्ट्री शुरू कर दी। एक-एक कर 57 बंधक प्लाट बेच डाले। एक प्लाट की रजिस्ट्री कीमत उस दौरान 4.70 लाख रुपए थी। हालांकि यह भी गाइडलाइन कीमत थी, बाकी राशि ब्लैक में डायरी पर ली गई।
प्लाटधारकों की यह राशि डूबी
इस तरह 57 प्लाटधारकों को बंधक प्लाट टिकाककर 4.70 लाख की कीमत के हिसाब से तब 2.80 करोड़ रुपए नंबर एक में गोयल और दासौद ने अपनी जेब में डाल लिए, हालांकि अभी देखा जाए तो इनकी कीमत 11 करोड़ से ज्यादा की है। अब यह राशि प्लाटधारकों की डूब गई है, क्योंकि रजिस्ट्री नियमानुसार शून्य है। इसमे कोई गली नहीं है कि इन प्लाट की रजिस्ट्री मान्य की जाए, यही तरीका है कि बिल्डर इनके बदले में दूसरे प्लाट की रजिस्ट्री करके दे, जिसमें भी कई कानूनी अड़चने आना है। क्योंकि खरीदने वाले कुछ तो आगे दूसरों को रजिस्ट्री कर चुके हैं।
ग्रुप में दासौद की पत्नी, गोयल का भाई भी डायरेक्टर
गोयल और दासौद लंबे समय से पार्टनर है। इनकी ग्रुप साकार रियलकॉन प्रालि बना हुआ है। इसमें छह डायरेक्टर है। इसमें पहले दासौद के पिता देवेंद्र दासौद भी डायरेक्टर थे जिनका निधन हो चुका है। पत्नी संगीता दासौद भी डायरेक्टर है। इसके साथ ही गोयल के साथ उनके भाई राजेश गोयल भी डायरेक्टर और मीरा गोयल भी डायरेक्टर है।
ग्रुप की और भी कॉलोनियां जांच में
ऐसा नहीं है कि इन्होंने एक ही कॉलोनी में बंधक प्लॉट बेचने का खेल किया है। यह धोखाधड़ी इनके द्वारा विकसित की जा रही करीब चार कॉलोनियों में करने की शिकायत हुई है। इसकी जांच जारी है और अब पूरे ग्रुप द्वारा विकसित की जा रही कॉलोनियां जांच में आ गई है, साथ ही आगे भी इनकी लगी हुई अब कार्यपूर्णता फाइल विवादित हो गई है।
कारण है कि जब इसमें धोखाधड़ी साफ साबित हो गई है और खुद प्रशासन ने केस दर्ज करा दिया है तो आगे बंधक प्लाट का मुद्धा सुलझाए बिना कार्यपूर्णता मिलना भी संभव नहीं है। उधर दासौद की कुछ और शिकायतें उनकी कॉलोनियों में खासकर विकास नहीं करने की प्रशासन के पास पहुंचने लगी है।
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