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Indore real estate
Indore. मप्र की व्यावसायिक राजधानी इंदौर जो मुख्य तौर पर रियल एस्टेट जमीन के धंधे पर टिका हुआ है, अब थम गया है। आने वाले समय में इसमें कोई ग्रोथ की उम्मीद नहीं है, खासकर अगले त्योहारी सीजन नवरात्रि, दीवाली के पहले इसमें कोई भी तेजी आने की संभावना नहीं दिख रही है। डायरियों के सौदे संकट में हैं और यह सौदे बिल्डर और किसान दोनों को उलझा रहे हैं।
हवा में नहीं, इंदौर के पंजीयन के आंकड़ों से खुलासा
बड़े रियल एस्टेट निवेशक लगातार एक्सपो करके और हवा हवाई समाचारों के जरिए माहौल बनाने में लगे हुए हैं कि बाजार बहुत अच्छा है लेकिन, यह पूरी तरह से निराधार मामला है। इसका खुलासा खुद पंजीयन विभाग के आंकड़े देखकर हो जाएगा।
बीते साल से मात्र 1.59 फीसदी ग्रोथ
साल 2023-34 वित्तीय साल- इसके अप्रैल से दिसंबर तक के आंकड़े देखें तो इंदौर जिले में कुल 1426 करोड़ की आय हुई और कुल 1.22 लाख दस्तावेज पंजीबद्ध हुए। साल 2024-25- अब इस वित्तीय साल की हालत देखिए, अप्रैल से दिसंबर तक आय 1449 करोड़ रुपए हई है, यानी बीते साल से इसी अवधि में केवल 13 करोड़ ज्यादा जो 1.59 फीसदी ज्यादा भर है। वहीं दस्तावेज 1.25 लाख ही पंजीबद्ध हुए, यानी बीते साल से 3 हजार मात्र ज्यादा, जो 2.27 फीसदी ज्यादा भर है। वहीं पंजीयन विभाग अपने लक्ष्य की तुलना में तो दस फीसदी से भी पीछे हैं, कायदे से लक्ष्य के अनुसार यह आय 1600 करोड़ को पार कर जाना थी।
देखिए इंदौर के किस जोन में कितनी ग्रोथ
अप्रैल से दिसंबर 2023-24 व अप्रैल से दिसंबर 2024-25 के हाल -
इंदौर एक- मध्य क्षेत्र राजवाड़ा एरिया, सुदामा नगर, राउ, राजेंद्र नगर आदि
-यहां बीते साल 43181 दस्तावेज से 455 करोड़ की आय, अब केवल 422 करोड़ की आय और 39615 दस्तावेज मात्र पंजीबद्ध। नेगेटिव में गई आय
इंदौर दो- सिलिकॉन सिटी से बाईपास पर झलारिया तक, स्कीम 140, पलासिया, भंवरकुआं
-बीते साल 340 करोड की आय और 21739 दस्तावेज पंजीबद्ध, इस साल 375 करोड़ की आय और 26 हजार दस्तावेज, इस एरिया में सर्वाधिक करीब 20 फीसदी की आय में ग्रोथ
इंदौर तीन- विजयनगर चौराहा एरिया, विधानसभा दो एरिया
-इस एरिया में बीते साल 21243 दस्तावेज पंजीबद्ध से 318 करोड़ की आय, वहीं इस साल 322 करोड़ की आय और 22637 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए। आय में मामूली 1.35 फीसदी की बढ़त।
इंदौर चार- एरोड्रम एरिया, सुपर कॉरिडोर एरिया, हातोद एरिया भी
-यहां पर बीते साल 21466 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए और 189 करोड़ की आय हुई जो इस साल 210 करोड़ हुई और दस्तावेज 22 हजार हुए। यहां आय में 11 फीसदी की बढ़त। यानी यह एरिया अभी ठीक चल रहा है।
महू एरिया- यहां बीते साल 6227 दस्तावेज से 48 करोड़ की आय हुई जो इस साल 47 करोड़ पर रह गई और दस्तावेज 6038 ही हुए, महू में नेगेटिव ग्रोथ है।
सांवेर एरिया- यह हाल के समय में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है। बीते साल यहां पर 39 करोड़ की आय हुई और 3939 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए जो इस बार भी उतना ही है। आय और दस्तावेज भी लगभग वैसे ही। ना ग्रोथ हुई ना नेगेटिव में गई।
देपालपुर- यहां पर बीते साल 37 करोड़ की आय हुई और 4724 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए, जो इस बार घटकर 33 करोड़ रह गई, हालांकि दस्तावेज संख्या बढ़कर 4932 हुए।
सबसे ज्यादा आय जुलाई और अक्टूबर में
पंजीयन विभाग की आय इस बार केवल दो माह में 200 करोड़ के पार हुई है। एक जुलाई के माह में, जब आय सबसे ज्यादा 231 करोड़ रुपए हुई और 16465 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए। वहीं त्योहारी सीजन में अक्तूबर में 214 करोड़ की आय हुई और 15912 दस्तावेज पंजीबद्ध हुए। सबसे कम आय अप्रैल में मात्र 141 करोड़ रुपए हुई।
डायरियों पर सौदे इंदौर में ऐसे शुरू होते हैं
अब बात करते हैं डायरी के सौदे की। डायरी के सौदे तब होते हैं जब एक बिल्डर जमीन का प्रारंभिक सौदा ही करता है या किसान के साथ रेशों डील करता है। तब प्रारंभिक सौदे के बाद उसे डायवर्सन, नजूल एनओसी, विकास मंजूरी की प्रक्रिया करना होती है और फिर रेरा नंबर लेना होता है और इसके बाद ही वह बिक्री कर सकता है। लेकिन प्रोजेक्ट में भारी राशि लगती है। इसके लिए बिल्डर इन प्रक्रिया से पहले ही सौदा तय होते ही, अपने कुछ बड़े दलालों के जरिए माल कागज पर एक तय राशि पर बेच देता है। यह बड़े दलाल आगे छोटे दलाल और फिर वह प्लाट खरीदने वालों को डायरियों पर कच्चे में ही सौदे कर देते हैं। इन डायरियों पर सौदे से आई राशि से वह किसान को राशि चुकाता है और आगे विकास मंजूरी लेने जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में उसे औसतन एक से डेढ़ साल लगता ही है, कहीं-कहीं दो साल से भी ज्यादा लगता है। ऐसे में हर प्रक्रिया पर डायरियों पर ही सौदे के दाम बढ़ते रहते हैं, जमीन का सौदा पूरा होने पर कुछ रुपए प्रति वर्गफीट बढ़कर डायरी बिक जाती है, फिर विकास मंजूरी पर भाव और बढ़ते हैं और आखिर में रेरा आने पर दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे में जो शुरुआत में प्रोजेक्ट में डायरी खरीद कर कच्चे में सौदा करता है. उसे रेरा नंबर आने तक ठीक मुनाफा हो जाता है, यह ग्रोथ 30 से 50 फीसदी तक हो जाती है।
डायरी में सौदे की किश्त बंधती है
डायरी के सौदे में एक किश्त तय होती है जैसे उसे पहले बुकिंग में 25 फीसदी देना होता है, फिर बिल्डर के पास आगे की मंजूरी आती है तो वह फिर 25 फीसदी औसत 3 से 6 माह में लेता है। फिर अगली किश्त में विकास मंजूरी आने पर वह 25 फीसदी लेता है और रेरा आने पर रजिस्ट्री के समय पूरी राशि लेता है।
अब डायरी के सौदे क्यों संकट में आए
अब डायरी के सौदे इसलिए संकट में आए क्योंकि जो कोविड के बाद इंदौर में तेजी आई, इसमें व्यक्ति ने पहली किश्त 25 फीसदी दी, मुनाफा कमाया और दूसरी किश्त से पहले डायरी बेच दी। इसमें उसने इतना कमाया कि बाद में उसने अधिक मुनाफे के लिए उसके पास मौजूद पैसों से एक नहीं कई प्लाट बुक किए, इस उम्मीद में कि 25 फीसदी राशि ही देना है, मुनाफा कमाउंगा और दूसरी किश्त या तीसरी देने से पहले निकल जाउंगा बाहर। लेकिन समस्या यह आई कि रियल एस्टेट बाजार में अधिक माल होने से और नकदी की कमी होने से वह तेजी नहीं आई। अब बिल्डर अपने दलाल या निवेशक से अगली किस्त मांग रहा है. जो वह नहीं दे पा रहा है. यह किश्त नहीं आने से बिल्डर किसान या जमीन स्वामी को अपना पूरा भुगतान नहीं कर पा रहा है। इससे यह सौदे डिफाल्ट हो रहे हैं। किसान बिल्डर से और बिल्डर डायरी वाले से भुगतान मांग रहा है, यह चैन टूट गई है और इसमें सभी उलझ गए हैं। ऐसे में आने वाले समय में किसान सौदे बिल्डर से रद्द करेंगें, और वह बिल्डर उलझेंगे जिन्होंने डायरी पर माल बेचा है, वह कानूनी मुश्किलों में फंसेंगे।
तो फिर क्या किया जाए
सबसे बेहतर है अधिक मुनाफे लालच में फिलहाल नहीं फंसे। सबसे बेहतर है कि जिनके पास औपचारिक मंजूरियां हो. उनके पास जाएं, क्योंकि उनके जमीन के सौदे क्लियर है और निवेशक और प्लाट धारक को प्लाट देने की स्थिति हैं। लेकिन जहां सौदा क्लियर नहीं है, और मंजूरी या नहीं हुई है वहां प्रारंभिक जमीन का सौदा ही मुश्किल में हैं, तो वह किसी भी समय उलझ जाएंगे। रियल एस्टेट में अब ग्रोथ अगली दीवाली और सिंहस्थ के दौरान ही आने की उम्मीद है। ऐसे में औपचारिक मंजूरी वाले सौदों में ही जाना सुरक्षित है।
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