ई-अटेंडेंस के खिलाफ फूटा शिक्षकों का गुस्सा, रैली निकाली, बोले नियम सबके लिए हों

रैली की शुरुआत मालव कन्या स्कूल से हुई और जब इसका पहला सिरा कलेक्टर कार्यालय पहुंचा, तब तक रैली का अंतिम सिरा स्कूल पर ही मौजूद था। इस विशाल प्रदर्शन में इंदौर जिले के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए।

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Vishwanath Singh
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इंदौर में शासन द्वारा लागू किए गए ई-अटेंडेंस सिस्टम के विरोध में शासकीय शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा। मध्यप्रदेश शासकीय शिक्षक संगठन के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने इंदौर में रैली निकाली और कलेक्टर कार्यालय तक मार्च किया। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसीलदार बलवीरसिंह राजपूत को सौंपा। आक्रोषित शिक्षकों का कहना था कि नियम सबके लिए एक जैसे होने चाहिए। ऐसे में केवल शिक्षा विभाग के लिए ही क्यों लागू किया गया है। इसे दूसरे विभागों में भी लागू किया जाना चाहिए। 

मालव कन्या स्कूल से कलेक्टर ऑफिस तक विशाल रैली

रैली की शुरुआत मालव कन्या स्कूल से हुई और जब इसका पहला सिरा कलेक्टर कार्यालय पहुंचा, तब तक रैली का अंतिम सिरा स्कूल पर ही मौजूद था। इस विशाल प्रदर्शन में इंदौर जिले के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं शामिल हुए। रैली का नेतृत्व संगठन के संरक्षक हरीश बोयत, प्रांतीय महामंत्री अशोक मालवीया और जिलाध्यक्ष प्रवीण यादव ने किया। गौरतलब है कि कलेक्टर आशीष सिंह ने कुछ समय पूर्व इंदौर कलेक्टर कार्यालय में भी थंब से अटेंडेंस लगाने के सिस्टम को लागू किया था। 

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शिक्षकों ने इस तरह से जताया विरोध

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शिक्षकों की प्रमुख मांगें

ज्ञापन में शिक्षकों ने शासन से ई-अटेंडेंस लागू करने से पहले निम्न समस्याओं के समाधान की मांग की:

  1. शिक्षकों से केवल शिक्षण कार्य ही कराया जाए, उन्हें बीएलओ या सर्वे जैसे कार्यों में न लगाया जाए।

  2. 3.0 पोर्टल की तकनीकी खामियों को दूर किया जाए।

  3. ऑनलाइन फीडिंग, मैपिंग, जाति सत्यापन, बच्चों को स्कूल लाने जैसी गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियों के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त किए जाएं।

  4. अवकाश या अतिरिक्त समय में कार्य करने पर विशेष अवकाश मिले।

  5. ई-अटेंडेंस केवल शिक्षकों पर नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी 52 विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों पर भी लागू किया जाए।

  6. नेट पैक का खर्चा सरकार वहन करे।

  7. मोबाइल नेटवर्क की समस्या, बस में देरी, निजी साधन की खराबी या गांव के कठिन पहुंच मार्गों के कारण शिक्षक समय पर हाजिरी नहीं भर पाएंगे, जिससे उन्हें अनुचित रूप से अनुपस्थित करार दिया जा सकता है।

  8. ऑनलाइन हाजिरी की भाग-दौड़ में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

  9. इससे शिक्षकों की सामाजिक गरिमा को ठेस पहुंचेगी और उन्हें "चोर" समझा जाएगा।

  10. गांवों में किराए के मकान उपलब्ध नहीं होते, जिससे शिक्षक कार्यस्थल से दूर रहने को मजबूर हैं।

  11. क्या शासन को अपने निरीक्षण अधिकारियों पर भरोसा नहीं है?

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शिक्षक नेताओं का आरोप: तानाशाही निर्णय वापस ले सरकार

कार्यक्रम में वक्ताओं ने सरकार के इस आदेश को एकतरफा और अव्यावहारिक बताया। उनका कहना था कि पहले शिक्षक हितों को सुरक्षित किया जाए और फिर किसी डिजिटल प्रणाली को लागू किया जाए।

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प्रमुख रूप से ये शिक्षक रहे उपस्थित

ज्ञापन कार्यक्रम में हरीश बोयत, रमेश यादव, अशोक मालवीया, प्रवीण यादव, आर.के. शर्मा, आनंद हार्डिया, पवन मोहनिया, दिनेश परमार, आनंद हार्डिया, पवन मोहनिया, मनोहर परमार, अरुण पांडेय, भूरेसिंह मंडलोई, अभिनव तिवारी, अश्विन शर्मा, मनोज गौड़, पंकज पिंगले, नागपाल वर्मा, सुनील गौड़, अशोक राठौर, दिनेश राणे, विमल जरवाल, विपिन कूचियां, लक्ष्मण मौर्य, महादेव पाटीदार, प्रकाश वैष्णव, जीवन सिंह चौहान, रमिला खंडारे, सुषमा अग्रवाल, वंदना दुबे, संध्या श्रीवास, निशा जायसवाल सहित कई शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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