MP News : इंदौर ट्रैफिक पुलिस का एक बार फिर शर्मनाक कांड सामने आया है। मरीज लेने के लिए जा रही एंबुलेंस से ही 12 हजार रुपए चालान के नाम पर ले लिए। मजे की बात तो यही है कि यह चालान काटा ही नहीं और ना ही इसकी कोई रसीद एंबुलेंस ड्राइवर को दी गई।
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इमरजेंसी का बोला, लेकिन जाने नहीं दिया
गीताभवन चौराहे पर यह घटना हुई। ड्राइवर की गलती थी वह पेट्रोल पंप की ओर से रांग साइड आ रहा था। उसे चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस ने रोक लिया। ड्राइवर ने कहा कि मरीज लाने की जल्दी है, साहब जाने दीजिए इमरजेंसी है। अनिल मालवीय जिनकी एंबुलेंस है उन्होंने बताया कि यह निजी अस्पताल में अटैच है। ड्राइवर ने डीजल डलवाया औऱ रांग साइड ही लेकर मरीज के लिए जाने लगा तो ट्रैफिक पुलिस ने रोक लिया।
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फिर थाने पर धमकाय
पुलिसकर्मियों ने पहले गीताभवन चौराहे पर रोका और एक घंटे तक रोककर रखा गया। इसके बाद उसे ट्रैफिक थाने भेज दिया। वहां एंबुलेंस को सात घंटे तक रोककर रखा गया। ड्राइवर को धमकाया गया पहले राशि भरो तभी जाने देंगे। इसे छुड़ा नहीं पाओगे। फिर पुलिसकर्मियों ने ड्राइवर से 20 हजार मांगे। आखिर में 12 हजार रुपए लेकर छोड़ा गया। ड्राइवर अपने रिश्तेदारों से यह राशि उधार लेकर आया और फिर पुलिस को दी। बदले में पुलिस ने कोई चालान या रसीद नहीं दी।
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क्या बोल रहे ट्रैफिक एसीपी
रीगल तिराहे पर भरे ट्रैफिक के दौरान वाहनों को रोककर जांच कर ट्रैफिक रोकने वाले एसीपी ट्रैफिक हिंदू सिंह मुवेल ने सफाई देते हुए कहा कि ट्रैफिक जाम के बीच एंबुलेंस हूटर बजाते हुए जा रहा था। एंबुलेंस में कोई मरीज नहीं था। वाहन का फिटनेस भी नहीं था, इसका ही चालान बनाया गया है। अब एसीपी साहब यह नहीं बता पा रहे हैं कि एंबुलेंस इमरजेंसी में हूटर नहीं बजाएगी तो फिर किस वाहन को यह अधिकार होंगे।