INDORE. कुलीनों और राजा-रजवाड़ों के क्लब कहे जाने वाले यशवंत क्लब (YC) में नई सदस्यता को लेकर बड़े खेल की तैयारी हो गई है। क्लब की मैनेजिंग कमेटी (चेयरमैन टोनी सचदेवा, सचिव संजय गोरानी व अन्य) ने 193 अपने वालों को सदस्यता के फार्म भरवाकर ले लिए हैं।
खास बात यह है कि इसमें सबसे पहले उन करीब दस सदस्यों के फार्म लिए गए, जिन्हें बीते कार्यकाल में अपराधी और दागदार बनाकर खारिज किया गया था। अब मामले को रफा-दफा कर सबसे पहले उन्हीं के ही फार्म लिए गए हैं। इसमें अधिकतर तो इंदौर के कई बडे बिल्डर, मीडिया से जुड़े लोग ही शामिल हैं।
क्या है अंदरूनी खेल
क्लब की ओर से सदस्यों को एक संदेश दिया गया कि हम सदस्यता शुरू कर रहे हैं, जिन्हें अपने वालों के फार्म भरवाना हो वह भरवा लीजिए। इसके लिए 21 से 23 जुलाई तक का समय दिया गया। सदस्यों ने फार्म भरवा दिए, इसमें भी मोटे तौर पर मैनेजिंग कमेटी सक्रिय रही और मोटे तौर पर वही सारे सदस्यों के फार्म भरवाए गए जो बीती प्रक्रिया में थे। वहीं कमेटी ने सबसे ज्यादा ध्यान उन सदस्यों पर दिया जिनके फार्म उन्होंने दागदार बताते हुए खारिज किए थे, इसके चलते कानूनी विवाद हुआ फर्म्स एंड सोसायटी से लेकर हाईकोर्ट तक केस गया और आखिर में प्रक्रिया ठंडी पड़ गई।
एक साथ सभी को सदस्यता देने की तैयारी
वहीं मिली जानकारी के अनुसार मैनेजिंग कमेटी ने तय किया है कि पहले चरण में एक साथ 75 सदस्यों को अस्थाई सदस्यता दे दी जाएगी। इसमें मोटे तौर पर प्रभावी और कई दागदार शामिल होंगे, जिससे यह लोग सदस्यता प्रक्रिया में अडंगे नहीं लगा पाएं। मैनेजिंग कमेटी फार्म की कोई स्क्रूटनी करने को तैयार नही है कि किसी दागदार को सदस्यता देने से क्लब में क्या प्रभाव पड़ेगा।
कोई ईओजीएम नहीं और शुरू हो गई सदस्यता
अक्टूबर 2023 में क्लब में सदस्यता देने की प्रक्रिया नियमानुसार नहीं करने पर फर्म्स एंड सोसायटी में याचिका लगी थी। इसके बाद मामला हाईकोर्ट गया, वहां से सोसायटी को आदेश हुए दो सप्ताह में फैसला करें। फरवरी 2024 में सोसायटी ने आदेश दिया कि संविधान संशोधन आदेश की दिनांक से मंजूर करते हैं। यानी इसके पहले सदस्यता की चली प्रक्रिया पूरी जीरो हो गई। क्लब ने बाद में सभी के फार्म रद्द किए और राशि भी लौटा दी। इसके बाद चुनाव के बाद फिर मैनेजिंग कमेटी जीतकर आई तो अब नए सिरे से ईओजीएम बुलाकर क्लब सदस्यों से बात किए बिना ही फिर यह फार्म बांट दिए गए हैं।
सब कुछ वोटिंग कमेटी पर ढोल दिया
मैनेजिंग कमेटी ने सदस्यता देने के पहले सदस्य का बैकग्राउंड और उनके बनने से क्लब के माहौल पर क्या प्रभाव होगा इसके देखने की बजाय मामला बैलेट कमेटी पर ढोल दिया। 50 सदस्यों की इस कमेटी में हर नए आवेदन पर स्थाई सदस्यता देने को लेकर वोटिंग होगी और इसमें एक तय वोट पाना जरूरी होता है, इसके बिना सदस्यता आवेदन खारिज हो जाता है। कमेटी जिन 75 एक साथ नए सदस्यों को अस्थाई सदस्यता दे रही है, इसमें से कितने यह वोट प्रतिशत ला पाएंगे, यह एक सवाल रहेगा।
किसे पहले देंगे सदस्यता, फार्म कैसे दिए कोई ट्रांसपेरेंसी नहीं
एक बार फिर क्लब मैनेजिंग कमेटी ने इस मामले में गोपनीयता ओढ़ी हुई है। अभी तक सदस्यों को नहीं बताया गया कि आखिर किन 193 सदस्यों के फार्म लिए गए। इस सदस्यता प्रक्रिया का पूरे शहर को पता भी नहीं चला और कोई ट्रांसपेंरेसी नहीं रखी गई, केवल एक मैसेज जारी कर सदस्यता फार्म लिए गए। वहीं अब इसमें से किन्हें पहले सदस्यता दी जाए, यह भी खुद कमेटी यानी सचिव संजय गोरानी ही तय कर रहे हैं। इसके लिए कोई लॉटरी निकालने जैसी प्रक्रिया नहीं की जा रही है, जिसका जिसका प्रभाव भले ही वह दागदार हो, उन्होंने सदस्यता देने के क्रम में पहले प्राथमिकता दी जा रही है। इसके पहले भी प्रक्रिया में यही किया गया था और अपने हिसाब से अपने वालों को सदस्यता देने का क्रम तय कर दिया गया था।
सदस्यों में नाराजगी, पहले ही सुविधाएं नहीं
क्लब में साल 2000 से ही सदस्यता बंद है। क्लब में पांच हजार से ज्यादा सदस्य है और ऐसे में क्लब में सुविधाएं मौजूदा लोगों के लिए ही कम पड़ रही है। ऐसे में नए सदस्यों को और वह भी विवादित लोगों के आने से प्रतिष्ठित क्लब का क्या हाल होगा? यह सोचकर क्लब के कई सदस्य खुश नहीं है।
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