युगरपुरूष धाम आश्रम में कॉलरा (हैजा) के चलते 6 बच्चों की मौत सामने आने के बाद जहां आश्रम प्रबंधन की गंभीर लापरवाही (या कहें आपराधिक कृत्य) सामने आया है, तो वही खुद प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एक IAS अपर कलेक्टर सुबह से शाम तक जांच कर गंभीर अनियमितिताओं के साथ एक बच्चे की छिपी मौत तक खोज लेता है। वहीं एक अन्य अपर कलेक्टर क्लीन चिट देते हैं।
इसके बाद दो और मौत हो जाती है, वहीं दूसरे अधिकारी ठहाके लगाने में व्यस्त होते हैं। वहीं इस आश्रम के निरीक्षण करने वाले अधिकारियों की रिपोर्ट में कभी यह बातें ही नहीं आई।
आश्रम के साथ ही यह सभी अधिकारी भी इस हादसे के सीधे तौर पर जिम्मेदार है। उधर भर्ती बच्चों की संख्या 48 हो गई है, चार आईसीयू में है।
IAS बैनल की जांच में यह सब आया
आईएएस अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने बुधवार को सुबह से शाम तक जांच की और रात को ही अंतरिम प्रतिवेदन बनाकर कलेक्टर आशीष सिंह को सौंप दिया।
रिपोर्ट में आया 27 को ही मेडिकल चेकअप में बच्चों में उल्टी, दस्त की समस्या दिख गई थी। 29-30 जून की दरमियानी रात अंकित की मौत हो गई थी, लेकिन इस बच्चे की मौत छिपाई गई और सीधे पन्ना से परिजन को बुलाकर शव दे दिया गया, बिना पीएम अंतिम संस्कार हो गया।
बैनल ने मुक्तिधाम से रजिस्टर व मौत संबंधी दस्तावेज भी जब्त कर लिए
- एक अन्य बच्चे की मौत को आश्रम प्रबंधन ने फिट (मिर्गी ) कारण बताया, जबकि कमेटी ने इसे संदिग्ध माना, क्योंकि यह प्रबंधन कह रहा है, मौत का कोई मेडिकल रिकार्ड नहीं है।
- जहां पर अनाज व खाद्य सामग्री रखी रहती है वहां पर भारी गंदगी है।
- सफाई की व्यवस्था उतनी बेहतर नहीं है, जगह-जगह पर गंदगी है।
- आश्रम में क्षमता से दोगुने बच्चे है।
बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट में यह है
- भर्ती बच्चों की जांच में कॉलरा आया, जो मुख्य तौर पर दूषित पानी से होता है और दूषित खाद्य से भी बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट में एनिमिया आया, कुछ में क्रिएटनिन बढ़ा हुआ आया, बच्चे कुपोषित स्तर पर पाए गए। यानि उन्हें भरपूर पोषण नहीं मिल रहा है।
- आश्रम को हर साल औसतन सवा करोड़ की आर्थिक मदद मिल रही है।
इन अधिकारियों ने क्या किया?
अपर कलेक्टर राजेंद्र रघुवंशी- कलेक्टर आदेश पर जांच के लिए दो जुलाई को आश्रम पहुंचे और कहा कि जांच जारी है, क्या खामियां है, जांच जब तक पूरी नहीं हो जाती तब तक नहीं कह सकते हैं। तीन बच्चों की मौत हुई है, एक की मौत 30 जून को हुई और कल उल्टी-दस्त की शिकायत आई। प्रंबधन तो पूरा ध्यान दे रहा है। ऐसा देखने में नहीं आया कि उनके द्वारा लापरवाही की गई हो, उन्होंने सभी को सूचना दी, इसके बाद प्रशासन, हैल्थ सभी ने अपनी कार्रवाई की।
एसडीएम ओम बड़कुल- अपर कलेक्टर के साथ जांच के लिए यह पहुंचे और आश्रम संचालिका डॉ. अनिता शर्मा के साथ ठहाके लगाते नजर आए। जांच में कोई गंभीरता नहीं बरती गई। कलेक्टर ने दो जुलाई की शाम को ही उन्हें मल्हारगंज एसडीएम पद से हटा दिया और निधि वर्मा को चार्ज दे दिया।
महिला व बाल विकास अधिकारी बुधौलिया- इनका जिम्मा है कि आश्रम की जांच नियमित हो। 14 जून को ही आश्रम की जांच हुई थी, तब क्या उन्होंने आश्रम की गंदगी, भोजन-पानी की गुणवत्ता, बच्चों की मेडिकल स्थिति, गोदाम मं ऊपर गंदगी में रखी सामग्री को देखा था? बच्चों की जांच साफ तौर पर कुपोषण के लक्षण मिले हैं। एनिमिया मिला है। नियमित डॉक्टर चेक करते हैं, तो क्या इनकी रिपोर्ट कभी देखी भी गई कि नहीं? यह जिम्मा इन्हीं का था।
इनके द्वारा चलाया जाता है आश्रम
यह आश्रम और कोई नहीं बल्कि श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी स्वामी परमानंद गिरी महाराज के सानिध्य में चल रहा है। इस आश्रम के पास ही उनका परमानंद अस्पताल भी संचालित होता है। स्वामी परमानंद महाराज ने नेक नियत से इसे शुरू किया, लेकिन यहां के संचालकों की लापरवाही ने पांच बच्चों की जान ले ली।
इनकी हुई मौत
इन पांच बच्चों की मौत हुई है- अंकित, शुभम उर्फ करण, आकाश, शुभ, रानी हिमानी और छोटा गोविंद।
सचिव शादीजा पर लगे हैं गंभीर आरोप
आश्रम की संचालिका अनिता शर्मा एंव सचिव तुलसी राम शादीजा की संदिग्ध भूमिका के आरोप लगे हैं। आश्रम का सचिव तुलसी शादीजा सारा मेनेजमेंट करता था। कांग्रेस महासचिव राकेश यादव ने आरोप लगाए हैं कि सारे खेल में आश्रम के सचिव एंव संचालिका ने जमकर पैसा सरकार का लूटा हैं।
आश्रम से बच्चों को नाम सारे शहर से अवैध वसूली करने वाला सचिव तुलसी शादीजा शराब और पार्टियों का भी शौक़ीन हैं। जवाहर मार्ग पर इसकी बर्तन की दुकान हैं। आश्रम के अनेक कार्यों के लिए तुलसी शादीजा ने कमीशन तय कर रखा है। जिला प्रशासन को तत्काल संचालिका अनिता शर्मा एंव सचिव तुलसी शादीजा के समस्त बैंक एकाउन्ट सीज करके मोबाइल कॉल डिटेल और व्हाट्सअप चेट जब्त करना चाहिए।
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