भोपाल के 90 डिग्री वाले मुजस्समा को इंदौर ने पछाड़ा, तैयार की 90 डिग्री वाले दो मुजस्समा की डिजाइन

इंदौर के पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र को एमआर-4 से जोड़ने के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए जा रहे रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) की डिजाइन पर सवाल उठ रहे हैं। यह ब्रिज अंग्रेजी के “Z” आकार में तैयार हो रहा है, जिसमें...

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Vishwanath Singh
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भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में तैयार हो चुका 90 डिग्री वाला फ्लाईओवर देश ही नहीं विदेशों में तक में चर्चा का विषय बन चुका है। इंदौर के पीडब्ल्यूडी के ब्रिज सेल के अफसरों ने भोपाल को भी पीछे छोड़ दिया है। यहां पर तो अफसरों द्वारा जो फ्लाईओवर तैयार किया जा रहा है, उसमें 90 डिग्री का घुमाव दो बार देखने को मिलेगा। हालांकि यह खामी ब्रिज के तैयार होने के पूर्व ही सामने आ चुकी है। इस पर अफसरों का कहना है कि ब्रिज की डिजाइन का पुन: परीक्षण चल रहा है।

Z अक्षर के आकार का बन रहा ब्रिज

पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र को एमआर-4 से जोड़ने के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा बनाए जा रहे रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) की डिजाइन पर सवाल उठ रहे हैं। यह ब्रिज अंग्रेजी के “Z” आकार में तैयार हो रहा है, जिसमें दो अलग-अलग जगहों पर 90 डिग्री के टर्न दिए गए हैं। विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों को आशंका है कि यह निर्माण आगे चलकर ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।

दो तीखे मोड़, ट्रैफिक फ्लो पर संकट

इस ओवरब्रिज की पहली भुजा लक्ष्मीबाई नगर से भागीरथपुरा होते हुए पोलोग्राउंड की ओर जा रही है, जहां पर पहला 90 डिग्री का टर्न दिया गया है। दूसरी भुजा पोलोग्राउंड से एमआर-4 की ओर जाने वाली है, जिसमें फिर एक और 90 डिग्री का तीखा मोड़ बनाया गया है। ट्रैफिक इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के तीखे मोड़ भारी वाहनों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं और इससे वाहन चालकों को दिक्कत होगी।

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ये है ओरिजनल मैप जो कि पीडब्ल्यूडी ने तैयार किया है

बिना ट्रैफिक सर्वे बनाए जा रही है डिजाइन?

सूत्रों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी ने इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग में कोई विस्तृत ट्रैफिक सर्वे नहीं किया, न ही यह जांचा कि क्षेत्र की सड़कें इतनी सक्षम हैं भी या नहीं कि ब्रिज से आने वाले ट्रैफिक को संभाल सकें। यही वजह है कि तीसरी भुजा को जिस भागीरथपुरा और परदेशीपुरा की ओर उतारा जाना था, वहां सड़क की चौड़ाई आवश्यकता से कम पाई गई।

तीसरी भुजा संकरी सड़क पर, नए जाम की आशंका

बताया जा रहा है कि ब्रिज की तीसरी भुजा 12 मीटर लंबी है, लेकिन जिस सड़क पर यह उतरती है, उसकी चौड़ाई केवल 15 से 18 मीटर है, जबकि ओवरब्रिज के लिए कम से कम 15 मीटर की जगह चाहिए होती है। ऐसे में ट्रैफिक दोनों ओर से ब्रिज पर चढ़ेगा और उतरेगा, जिससे सड़क पर जाम और अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है।

चीफ इंजीनियर ऑफिस से तैयार हुई है डिजाइन

सूत्रों के मुताबिक इस रेलवे ओवर ब्रिज की डिजाइन को चीफ इंजीनियर ऑफिस से तैयार करवाया गया है। वहीं, डिजाइन डिपार्टमेंट के इंजीनियरों की इस कारस्तानी की जानकारी भोपाल के अफसरों तक भी पहुंच चुकी है। ऐसे में वहां पर भी इसको लेकर हलचल तेज हो गई है। अब इसकी डिजाइन में बदलाव की बात कही जा रही है। हालांकि पीडब्ल्यूडी का कोई भी अफसर इसको लेकर कुछ भी कहने से बच रहा है।

मोड़ पर नहीं हो रहा काम

बताया गया कि ब्रिज के जिस हिस्से पर विवाद खड़ा हुआ है उस जगह पर अभी काम नहीं चल रहा है। ब्रिज के बाकी के हिस्सों में ही वर्तमान में काम किया जा रहा है। जब तक इसको लेकर स्थिति साफ नहीं हो जाती, तब तक विभाग के अफसर काम शुरू नहीं करेंगे।

डिजाइन में बदलाव की संभावना

पीडब्ल्यूडी के ब्रिज सेक्शन की गुरमीत कौर भाटिया का कहना है कि ब्रिज की मौजूदा डिजाइन पर पुनर्विचार किया जा रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए डिजाइन में संभावित बदलाव को लेकर विचार-विमर्श जारी है। जैसे ही यह मामला संज्ञान में आया तो विवाद वाले हिस्से की डिजाइन को दोबारा देखा जा रहा है। जल्दी ही इसमें कोई निर्णय लिया जाएगा।

ब्रिज को लेकर बोले पटवारी

पीडब्ल्यूडी के ब्रिज को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि कैसा इंदौर बनाया हमने चार लोग ट्रैफिक में मर गए। कल्पना करो कि चार लोगों की मौत इसलिए हो गई कि ट्रैफिक जाम था। ऐसा इंदौर बनाया हमने। जो ब्रिज भोपाल में बना। जिसमें मुख्यमंत्री ने बाद में संज्ञान लिया। पूरा पैसा डल गया उसके बाद। दो अधिकारी सस्पेंड कर दिए। अधिकारी सस्पेंड होने से सरकार के खजाने में पैसा तो आएगा नहीं। ऐसा ही जेड टाइप ब्रिज यहां इंदौर में बन रहा है, इसका मतलब यहां के जनप्रतिनिधि अंधे है, यहां के विधायक यहां का सांसद यहां का महापौर सुनता नहीं है, इन्होंने आंख बंद कर रखी है। या दूसरा पहलू है भ्रष्टाचार करना है तो कुछ भी बनाओ कमिशन दो। दो ही रास्ते हो सकते है।

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