गलत आर्डर शीट पर साइन करने पर सिविल जज और क्लर्क के खिलाफ होगी जांच

भोपाल के निशातपुरा थानांतर्गत कारों को किराए पर लेकर गिरवी रख देने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। अब हाईकोर्ट ने सिविल जज और उनके क्लर्क के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं।

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Neel Tiwari
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Jabalpur. भोपाल डिस्ट्रिक्ट एवं सेशन कोर्ट के जूनियर डिवीजन के सिविल जज को अपने क्लर्क (बाबू) पर भरोसा करने ने मुसीबत में डाल दिया है। हाथ से लिखी हुई तीन गलत आर्डर शीट पर हस्ताक्षर करने के मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।

जमानत आवेदन की सुनवाई के दौरान सामने आई गड़बड़ी

भोपाल के निशातपुरा थानांतर्गत कारों को किराए पर लेकर गिरवी रख देने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। इस गिरोह के सरगना रणजीत सिंह जोहाल के जमानत आवेदन पर जबलपुर में हाई कोर्ट जस्टिस जी.एस.अहलूवालिया की अदालत में सुनवाई हो रही थी। इस सुनवाई में आरोपी को तो जमानत का लाभ नहीं मिल सका पर आर्डर शीट में ऐसी गड़बड़ी सामने आई कि हाईकोर्ट ने सिविल जज और उनके क्लर्क के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं।

बाबू ने लिखी गलत  शीट जज ने कर दिया साइन

आरोपी रणजीत सिंह जोहल एवं अन्य के विरुद्ध मामला भोपाल जिला एवं सेशन कोर्ट के VII सिविल जज, जूनियर डिवीजन की कोर्ट में चल रहा था। इस मामले में पुलिस के द्वारा 5 दिसंबर 2023 को चार्ज शीट दायर की गई थी। कोर्ट में चार्जशीट दायर होने के बाद अभियुक्त पर आरोप तय किए जाते हैं जिसे फ्रेमिंग ऑफ चार्ज कहा जाता है।

इसके बाद अदालत में साक्ष्य एवं गवाह प्रस्तुत होते हैं जिसे रिकॉर्डिंग आफ एविडेंस कहते हैं। लेकिन इस मामले में हाईकोर्ट ने यह पाया की चार्ज फ्रेम होने पर बहस के बगैर ही कागजों पर साक्ष्य संकलन (Recording of evidence) की प्रक्रिया शुरू हो गई। जहां 10 फरवरी 2024 को ट्रायल कोर्ट के द्वारा यह केस चार्ज फ्रेमिंग के लिए नियत किया गया था। वहीं अगली सुनवाई में 24 फरवरी 2024 को आर्डर शीट में यह लिखा गया कि अभियोजन पक्ष से गवाह मौजूद नहीं थे इसलिए इस मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च 2024 को रिकॉर्डिंग आफ एविडेंस के लिए नियत की गई। 

इस तरह 24 फरवरी 9 मार्च और 23 मार्च 2024 को हाथ से लिखे हुए गलत आदेश जारी किए गए। 5 अप्रैल 2024 की सुनवाई में ट्रायल कोर्ट को गलती का एहसास हुआ और वापस इस मुकदमे को आरोप तय करने (framing   of charges) लिए नियत किया गया। हाई कोर्ट ने यह भी पाया कि इन तीन आदेश के अलावा इस मामले के बाकी सभी आदेश टाइप किए गए थे। जिससे यह प्रतीत होता है कि यह तीन आदेश क्लर्क के द्वारा लिखे गए थे और ट्रायल कोर्ट ने उन्हें बिना जांचे साइन किया है।

चीफ जस्टिस को भेजी जाएगी सिविल जज की जांच रिपोर्ट

जस्टिस अहलूवालिया के द्वारा प्रिंसिपल जिला और सेशन जज भोपाल को यह जांच करने आदेशित किया गया है कि किन परिस्थितियों में ट्रायल कोर्ट के द्वारा 24 फरवरी 2024, 9 मार्च 2024 और 23 मार्च 2024 की आर्डर शीट लिखी एवं हस्ताक्षर की गई। यदि इस जांच में यह पाया जाता है कि ट्रायल कोर्ट के द्वारा लापरवाही बरती गई है। तो यह रिपोर्ट चीफ जस्टिस को भेजने के लिए आदेशित किया गया है ताकि प्रशासनिक कार्यवाही की जा सके। इसके साथ ही जस्टिस आहलूवालिया ने प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज भोपाल को यह भी आदेशित किया है कि यदि जांच में गलत ऑर्डर शीट्स लिखने में क्लर्क की जवाबदारी पाई जाती है तो उसके खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही की जाए।

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