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जबलपुर की पनागर विधानसभा के भाजपा विधायक सुशील इन्दु तिवारी के खिलाफ उनके खुद के सगे बड़े भाई राजेंद्र तिवारी ही मुसीबतें खड़ी करते हुए नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव के समय भी राजेंद्र तिवारी ने भोपाल पहुंचकर विधायक इंदु तिवारी की शिकायत की थी। अब राजेंद्र तिवारी ने अपने विधायक भाई पर ऐसे आरोप लगाए हैं कि यदि वह साबित हो जाते हैं , तो इन्दु तिवारी की विधायकी पर भी बात आ सकती है।
जबलपुर हाईकोर्ट पहुंचा मामला
राजेंद्र तिवारी के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि भाजपा के विधायक सुशील इंदु तिवारी ने चुनाव के समय चुनाव आयोग को दिए एफिडेविट में जानकारी छिपाई है और गलत तथ्य भी पेश किए है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुशील इंदु तिवारी के नाम पर जबलपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (JDA) की एक संपत्ति है। जिसे घोषणापत्र में नहीं दिखाया गया है। वहीं एक संपत्ति जो राजेंद्र तिवारी के नाम पर है उसे सुशील इंदु तिवारी ने अपनी संपत्ति बताया है।
शिकायतों के बाद भी दर्ज नहीं हुई एफआईआर
याचिकाकर्ता राजेन्द्र तिवारी की ओर से अधिवक्ता मोहम्मद अली ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में उनके द्वारा 2 नवंबर 2023 को गढ़ा सीएसपी से और 6 नवंबर 2023 को जबलपुर एसपी से भी लिखित शिकायत की गई थी। जिसमें कार्यवाही करते हुए बयान भी दर्ज किए गए हैं। इस मामले को दायर करने तक याचिकाकर्ता को यही लग रहा था कि मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जिसका केवल FIR नंबर उनके पास नहीं है। लेकिन कोर्ट में आकर उन्हें यह पता चला कि इस मामले में आज तक कोई एफआईआर ही दर्ज नहीं हुई है।
भाजपा विधायक पर क्यों दर्ज नहीं हुई FIR, एसपी देंगे जवाब
गुरुवार 7 नवंबर को हुई मामले।की सुनवाई में हाईकोर्ट ने शासन के अधिवक्ता से पूछा की शिकायत होने के बाद भी आखिर जबलपुर एसपी ने FIR क्यों दर्ज नहीं की। कोर्ट ने शासन से यह भी पूछा, कि क्या पुलिस के द्वारा इस मामले के तथ्य जानने की कोशिश की गई है या सिर्फ MLA होने के कारण उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगल पीठ ने राज्य सरकार सहित जबलपुर पुलिस अधीक्षक एवं अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों के भीतर यह जवाब मांगा है कि आखिर क्यों इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की गई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
इलेक्शन पिटीशन की जगह दायर हुई रिट पिटीशन
अमूमन चुनाव से संबंधी मामलों में राजनेताओं पर इलेक्शन याचिकाएं दायर होती हैं। जबलपुर हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से इसी से जुड़ा सवाल किया और इसके बाद कोर्ट ने उन्हें यह भी सुझाव दिया, कि यदि उनकी शिकायत के बाद भी इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है। तो वह निचली अदालत में एफआईआर दर्ज कराने के लिए निवेदन कर सकते हैं। लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोहम्मद अली ने कोर्ट को बताया कि क्योंकि सुशील इंदु तिवारी विधायक (MLA) है और लोक सेवक होने के नाते उसके ऊपर अभियोजन चलाने के पहले स्वीकृति की आवश्यकता होगी जो राज्य सरकार के द्वारा मिलेंगी। जिसके कारण ही याचिकाकर्ता के द्वारा हाईकोर्ट की शरण ली गई।