जबलपुर सेंट्रल जेल में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कैदी ने फरार होने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन भागने में सफल नहीं हो पाया। दरअसल पॉक्सो एक्ट के मामले में कैदी रमेश कोल आजीवन कारावास काट रहा था। देर शाम हुई कैदियों की गिनती के बाद इस एक कैदी के कम पाए जाने पर जेल में हड़कंप मच गया और पूरी रात कैदी की तलाश चलती रही।
कैदी ने जेल से भागने की कोशिश
नेताजी सुभाष चंद्र बोस सेंट्रल जेल जबलपुर में उम्रकैद की सजा भुगत रहे 32 वर्षीय बंदी रमेश कोल ने जेल से फरार होने का प्रयास किया। रमेश कोल को साल 2014 में धारा 363, 366, 376(1) और पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उसे जिला कटनी जेल से केन्द्रीय जेल जबलपुर में 22 मार्च 2015 को स्थानांतरित किया गया था। 26 सितंबर 2024 को जेल के पश्चिमी खण्ड के बैरिक नं. 09ए और 09बी की गिनती चल रही थी। सुरक्षाकर्मी सुरेन्द्र तुरकर ने गिनती के बाद पाया कि बैरिक में एक बंदी कम था। गिनती बार-बार करने के बावजूद बंदी का पता नहीं चलने पर प्रहरी ने खण्डाधिकारी को इसकी सूचना दी। इसके बाद जेल प्रशासन ने अलार्म बजा कर सारे बैरिकों और जेल परिसर के आस-पास सघन तलाशी अभियान शुरू किया।
रात भर चली तलाशी, सुबह जेल में मिला कैदी
फरार कैदी की सेंट्रल जेल में रात भर तलाश चलती रही। जेल अधीक्षक को जेल और आसपास के सीसीटीवी कैमरे देखने के आधार पर यह पता चला कि कैदी जेल से बाहर तो नहीं गया है। इसके बाद जेल प्रशासन और कर्मचारियों ने पूरे जेल परिसर की छानबीन की। जेल के पास एक 'आजाद हिंद खण्ड तालाब बगीचा' है जहां जगह उबड़-खाबड़ और झाड़ियाँ होने के कारण बंदी के छिपने की संभावना थी। यहां पर जब जेल के कर्मचारियों के द्वारा तलाशी की गई तो सुबह 8:00 या फरार कैदी इस बगीचे में छुपा हुआ मिला।
दो कर्मचारी हुए निलंबित
इस घटना के बाद प्रारंभिक जांच में दो जेल प्रहरी विजय गुप्ता और सुरेंद्र तुरकर को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया है। जेल उप अधीक्षक के अनुसार, इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था और सख्त करने के निर्देश दिए हैं।
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