Jabalpur : आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ( EOW ) में जबलपुर विकास प्राधिकरण के सीईओ दीपक वैध सहित 6 अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का संगीन मामला सामने आया है। के अनुसार आरोपियों ने मिलकर जबलपुर के कछपुरा क्षेत्र में स्थित शासकीय भूमि को अवैध तरीके से विक्रय कर शासकीय खजाने को 2 करोड़ 40 लाख रुपए की हानि पहुंचाई है। इसके अलावा, 25 लाख रुपए की स्टाम्प ड्यूटी भी धोखाधड़ी से हड़पी गई है।
पहले दिया मुआवजा फिर बेच दी जमीन
यह मामला वर्ष 2019 से 2022 के बीच जबलपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों और कुछ स्थानीय नागरिकों की मिलीभगत से हुआ है। शिकायतकर्ता अशोक प्यासी ने आरोप लगाया कि योजना क्रमांक 6 और 41 में अधिग्रहित भूमि को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हड़पने की कोशिश की गई। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ जबलपुर के जांच अधिकारी, उप पुलिस अधीक्षक स्वर्ण जीत सिंह धामी ने इस मामले में विस्तृत जांच की, जिसमें पाया गया कि कई खसरों की सरकारी भूमि को निजी लोगों के नाम पर बेचा गया था। इन सभी जमीनों का अधिग्रहण जेडीए के द्वारा किया गया था। जिसका मुआवजा भी हितग्राहियों को दिया जा चुका था।
FIR में मुख्य आरोपी विद्याबाई प्यासी और उसके परिवार के सदस्य हरीश, सौरभ, प्रवीण और आशीष प्यासी को नामजद किया गया है। इसके अलावा, जबलपुर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दीपक वैद्य पर भी मामला दर्ज किया गया है उन पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर फर्जी जानकारी दी और आरोपियों को बचाने की कोशिश की।
EOW ने इन धाराओं पर दर्ज किया मामला
आरोपियों के खिलाफ धारा 409 (आपराधिक न्यासभंग), 420 (धोखाधड़ी), 467 (कूटरचना), 468 (कूटरचना द्वारा धोखाधड़ी), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 201 (साक्ष्य छुपाने) भारतीय दंड संहिता के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(ए) और 13(2) के अंतर्गत भी मामले दर्ज किए गए हैं।
जेडीए की मिलीभगत से ही बिक गई जेडीए की जमीन
जांच में पाया गया कि कछपुरा के खसरा नंबर 603, 604, 622, 623/1, 624 और 625 में स्थित भूमि जबलपुर विकास प्राधिकरण के अधीन थी। हालांकि, विद्याबाई प्यासी और उनके परिजनों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर इस भूमि को अवैध रूप से बेचा। इसके चलते शासन को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। जब यह मामला सामने आया, तो आरोपियों ने संजीवनी नगर थाना में फर्जी शिकायत दर्ज कराई, ताकि जांच को गुमराह किया जा सके। इस मामले में जेडीए के अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आ रही है क्योंकि जो जमीन जेडीए के आधिपत्य में थी। उसे बेचने के बाद भी जेडीए के किसी अधिकारी ने कोई कार्यवाही करना तो दूर ईओडब्ल्यू से जानकारी तक छुपाने की कोशिश की।
JDA के सीईओ ने छुपाई सच्चाई
EOW एसपी आर.डी. भारद्वाज ने बताया कि प्रथम दृष्टया आरोपियों ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर सरकारी संपत्ति की धोखाधड़ी की है। यह भी पाया गया कि दीपक वैद्य ने जानबूझकर गलत जानकारी दी और शिकायत की जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया। EOW के अनुसार, पूरे प्रकरण में राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ कर शासन को भारी वित्तीय क्षति पहुंचाई गई है।
मामले में जांच जारी
इस मामले की जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है, और आगे की कार्रवाई में आरोपियों की गिरफ्तारी, संपत्ति की जब्ती और फॉरेंसिक जांच शामिल हो सकती है। EOW की टीम इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
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