जबलपुर : पूर्व विधायक किशोर समरीते एसटी-एससी से बरी पर काटनी होगी सजा

एसडीएम से मारपीट कर सरकारी वाहन जलाने वाले समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते इस मामले में एसटी एससी एक्ट से तो मुक्त हो गए हैं पर उन्हें सजा में हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली।

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Sandeep Kumar
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नील तिवारी @jabalpur. लांजी के SDM धनेश्वर साय के साथ न्यायालय कक्ष में घुसकर मारपीट और सरकारी वाहन जलाने के मामले में पूर्व विधायक किशोर समरीते और अन्य को अब निचली अदालत की दी गई सजा को भुगतना ही होगा , क्योंकि हाईकोर्ट में दायर की गई उनकी अपील पर जस्टिस संजय द्विवेदी ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया है।

ST/SC एक्ट से मुक्त पर काटनी होगी बाकी सजा

निचली अदालत के फैसले के विरोध लगाई गई अपील में पूर्व विधायक और अन्य की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया की निचली अदालत के द्वारा मामले में सही न्याय नहीं किया गया क्योंकि किसी भी गवाह या साक्ष्य के अनुसार अपीलकर्ता पर सीधे आरोप नहीं लगाये जा सकते। यह घटना भीड़ के द्वारा कारित की गई थी इसलिए फैसले पर पुनर्विचार किया जाए। याचिका की सुनवाई में जस्टिस संजय द्विवेदी ने एसटीएससी एक्ट पर कहा कि आरोप के अनुसार अपीलकर्ता ने एसडीएम को आदिवासी कहकर पुकारा था जो एसटी एससी एक्ट के तहत कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए इस मामले में एसटी एससी की धाराओं को अलग करते हुए जस्टिस द्विवेदी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष और गवाहों के आधार पर अपीलकर्ताओं को सही ढंग से दोषी ठहराया है। इसलिए एसटीएससी की धाराओं के अलावा ट्रायल कोर्ट का फैसला सही है। जस्टिस द्विवेदी ने अपीलकर्ताओं को जेल की सजा की शेष अवधि भुगतने के लिए तुरंत ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्म समर्पण का आदेश देते हुए उनके जमानत बांड रद्द कर दिए हैं।

क्या था पूरा मामला ?  

19 अप्रैल 2004 में राज्य सरकार के चलाये जा रहे अतिक्रमण अभियान का विरोध करने पूर्व विधायक किशोर समरीते अपने समर्थकों के साथ लाठी और डंडे लेकर एसडीएम धनेश्वर साईं के न्यायालय कक्ष में पहुंचे और उन पर हमला कर दिया। इस हमले में एसडीएम की हथेली पर चोट आई थी। इसके बाद आरोपियों ने बाहर पार्किंग में खड़े एसडीएम के शासकीय वाहन में भी आग लगा दी थी। इसके बाद एसडीएम लांजी के द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी जिसके बाद पूर्व विधायक सहित अन्य 6 लोगों पर धारा 435/149, 332/149, 427/149, 147 और st/sc ( Prevention of Atrocities ) की धारा 3(1)(X) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। पूर्व विधायक ने भी आरोप लगाया था कि वह लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी हैं इसलिए उनकी छवि धूमल करने यह आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में कुल 27 गवाहों की गवाही हुई थी जिसमें से आठ गवाहों ने खुद को चश्मदीद गवाह बताया था ।इनमें से छह गवाह कोर्ट में होस्टाइल हो गए थे। ट्रायल कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई में पूर्व विधायक सहित सभी 6 लोगों को दोषी पाया गया था एवं सजा सुनाई गई थी। जिसके विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील दायर की गई। पूर्व विधायक सहित 6 आरोपियों में से एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी है।

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एसटीएससी एक्ट Prevention of Atrocities SDM धनेश्वर साय जस्टिस संजय द्विवेदी