जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस विवेक जैन की कोर्ट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें याचिकाकर्ता के द्वारा केवल 30 रुपए की फीस पिछले 12 सालों से जमा नहीं की गई थी। जिसके कारण साल 2012 से अब तक इसकी सुनवाई टलती चली आ रही थी।
रेलवे दुर्घटना में क्षतिपूर्ति का था मामला
नागदा उज्जैन में रहने वाली कलाबाई ने रेल दुर्घटना के बाद क्षतिपूर्ति का दावा रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में किया था। इस मामले की सुनवाई के बाद रेलवे ट्रिब्यूनल के द्वारा साल 2010 में आदेश जारी करते हुए कलाबाई के दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद साल 2012 में कलाबाई ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में मामला दायर किया था। 7 अगस्त 2015 में इस मामले की हुई पहली सुनवाई के बाद जज आलोक अराधे ने इस मामले को सुनवाई के योग्य पाया और रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल से इस मामले के रिकॉर्ड मंगवाये। लेकिन इसके बाद 12 सालों तक याचिकाकर्ता ने फीस कोर्ट ही नहीं जमा की।
हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
जस्टिस विवेक जैन की कोर्ट में इस मामले की हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह पाया कि पिछले 10 सालों से याचिकाकर्ता के द्वारा मात्र 30 रुपए की कोर्ट फीस जमा नहीं की गई है। सुनवाई में कोर्ट ने यह भी पाया कि ऐसे भी कोई साक्ष्य नहीं है की याचिकाकर्ता मात्र 30 रुपए की भी फीस जमा न कर सके। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी है कि अगले 15 दिनों के भीतर यदि याचिकाकर्ता 30 रुपए की कोर्ट फीस जमा करती हैं तो हाई कोर्ट रजिस्ट्रार के द्वारा इस मामले को संबंधित हेड में फिर से लिस्ट किया जाएगा और फिर इस मामले की सुनवाई होगी।
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