अवैध उत्खनन को वैध बताएंगे पर कागज नहीं दिखाएंगे, विभाग का रोल संदिग्ध

मध्यप्रदेश के जबलपुर में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध उत्खनन में अब खनिज विभाग की भूमिका ही संदिग्ध नजर आने लगी है। हाल यह है कि मीडिया के कैमरे के सामने खनिज विभाग के अधिकारी अवैध खदान का नाम तक लेने से कतरा रहे हैं।

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Neel Tiwari
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Jabalpur illegal excavation : जबलपुर के सिहोरा क्षेत्र में अवैध रेत खदान में दबने से हुई तीन मजदूरों की मौतों के बाद से ही शहर में जगह-जगह हो रहे अवैध उत्खनन पर लगातार मीडिया रिपोर्ट्स प्रकाशित हो रही हैं। 'द सूत्र' ने एक ऐसी ही रेत खदान पर पहुंचकर अवैध उत्खनन का खुलासा किया था पर तीन दिन बीत जाने के बाद भी आज तक इस अवैध खदान पर कोई कार्यवाही तो नहीं की गई है पर आने वाले दिनों में होने वाली कार्यवाही की सूचना जरूर खनिज माफिया को मिल चुकी है। तभी नर्मदा के घाट पर स्टॉक की हुई रेत को मौके से गायब करने में खनिज माफिया जुट चुका है।

अवैध खदान के सवाल पर वैध खदान का दे रहे जवाब

इस मामले में मीडिया के द्वारा कई बार खनिज अधिकारी आरके दीक्षित से जानकारी चाहिए गई पर खनिज अधिकारी हर बार गोलमोल जवाब दे रहे हैं। 'बरेला' क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सिलुआ में चल रहे अवैध उत्खनन पर सवाल पूछने पर माइनिंग अधिकारी बता रहे हैं कि 'बरगी' में स्थित सिलुआ की खदान वैध है। खनिज विभाग से सभी स्वीकृत खदानों की जानकारी मांगने पर भी लगातार अधिकारियों के द्वारा आनाकानी की जा रही है। आपको बता दें कि रेत नियम 2019 में संशोधन किया गया था। 2023 में शिवराज कैबिनेट के द्वारा किए गए इस संशोधन के बाद अब खनिज विभाग अब सीधे खदानों को स्वीकृत करता है। उसके बाद भी यह जानकारी साझा न करना कई सवाल खड़े कर रहा है।

रेत माफिया की तरह ही खनिज अधिकारी भी कर रहे हैं गुमराह

सिलुआ गांव के निवासियों और ग्राम पंचायत के द्वारा जब इन अवैध रेत से भरे ट्रकों का विरोध किया जाता है तो शुरुआत में रेत माफिया भी यही बहाना बनाते थे कि यह सरकारी काम है। हालांकि, ग्राम पंचायत की लिखित शिकायत के बाद मार्च महीने की 16 तारीख को गौर पुलिस चौकी के द्वारा इस अवैध रेत उत्खनन पर कार्यवाही करते हुए रेत भी जब्त की गई थी। अब इसी बहाने के जरिये माइनिंग अधिकारी भी मीडिया को गुमराह करते हुए नजर आ रहे हैं। ग्राम पंचायत के द्वारा लगातार की जा रही शिकायतों पर माइनिंग अधिकारी कोई भी लिखित जवाब नहीं दे पा रहे हैं। न ही इस उत्खनन के वैध होने पर कोई दस्तावेज दे पा रहे, क्योंकि ऐसा लग रहा है कि यह अवैध रेत उत्खनन खनिज विभाग के संरक्षण में ही हो रहा है।

स्टॉक उठने के बाद होगी कार्यवाही

गांव के सचिव ने इस मामले पर 'द सूत्र' को ताजा जानकारी देते हुए बताया कि रात में निकलने वाले ट्रक अब दिन के समय भी रेत ढो रहे हैं। यह स्टॉक की गई रेत को जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश में है और हमेशा की तरह खनिज विभाग यहां पर तब कार्यवाही करेगी जब यह पूरा का पूरा स्टॉक यहां से गायब कर दिया जाएगा।

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