सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जबलपुर पुलिस दिला रही प्लॉट पर कब्जा, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश को दरकिनार करते हुए जबलपुर पुलिस अब प्लॉट पर कब्जा दिलाने का काम कर रही है। कार्रवाई के दौरान देखा गया किया एक पक्ष जमीन पर जहां कब्जा कर रहा था। यहां ना तो नगर निगम का कोई अधिकारी था और ना ही राजस्व विभाग का कोई जिम्मेदार।

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Neel Tiwari
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Jabalpur Police action against Supreme Court stay order

JABALPUR. अगर आपकी किसी प्रॉपर्टी का विवाद न्यायालय में लंबित है और उस पर आपको कब्जा चाहिए तो इस सुविधा के लिए आप जबलपुर की पुलिस ने संपर्क कर सकते है। क्योंकि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जबलपुर में यदि आपने एक बार पुलिस को खुश करके अपने पक्ष में ले लिया तो फिर अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी अनदेखा कर देते हैं।

क्या है पूरा मामला

ग्वारीघाट रोड स्थित लगभग 3200 स्क्वायर फीट की एक भूमि जिस पर दो पक्षों में लंबे समय से विवाद चल रहा है, और इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस संजय द्विवेदी के द्वारा 17 मई 2024 को सरला बोथरा एवं अन्य के पक्ष में फैसला दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ अनिल मालेवर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई करते हुए 4 जून 2024 को स्थगन आदेश जारी किया था। इसके बावजूद जबलपुर पुलिस के सीएसपी एचआर पांडे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए विवादित भूमि पर कब्जा दिलाने पहुंच गए।

कब्जा दिलाने नहीं, अपराधियों को पकड़ने आए हैं... 

सीएसपी साहब का कहना था कि वह यहां पर कब्जा दिलाने नहीं बल्कि अपराधियों को पकड़ने आए हैं, जिसके लिए उनके पास हाईकोर्ट का आदेश है और कब्जा विवादित प्लॉट के ऊपर नहीं किया जा रहा है, बल्कि उसके आसपास की जमीन पर मालिक कब्जा कर रहा है। हैरानी की बात यह भी थी कि पुलिस कब्जा दिलाने नहीं पहुंची थी लेकिन पुलिस ने पहले ही एक पक्ष के दो व्यक्तियों को थाने में बैठा दिया था और दूसरे पक्ष के लोग बाकायदा पुलिस की सुरक्षा में प्लॉट की सफाई में जूट थे।

इस मामले में दूसरे पक्ष के द्वारा लगातार पुलिस को सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर दिखाया गया जिसमें इस पूरी जमीन के लंबित मामले पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा स्थगन दिया गया है। तो ऐसे में जिस हाईकोर्ट के आदेश का हवाला नगर पुलिस अधीक्षक दे रहे थे वह भी स्थगन के दायरे में आ जाता है पर शायद जबलपुर में पुलिस अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की शक्तियों के बारे में जानकारी नहीं है या वह जानकर भी इसे अनदेखा कर रहे थे।

पुलिस ने अपने हाथ लिया मामला

इस मामले में मौके पर नजर आया कि एक पक्ष जमीन पर जहां कब्जा कर रहा था वहां उसे पुलिस पूरी तरह से सुरक्षा दे रही थी। जेसीबी से काम करते हुए वहां पर ना तो नगर निगम का कोई अधिकारी या कर्मचारी उपस्थित था और ना ही राजस्व विभाग का कोई भी जिम्मेदार। मौके पर यह साफ नजर आ रहा था कि किसी लालच के चलते पुलिस के द्वारा एक पक्ष को जबरन कब्जा दिलवाया जा रहा था।

Jabalpur Police Supreme Court stay order

नजर आई पुलिस की एक तरफा कार्रवाई

इस मामले में जब मीडिया द्वारा नगर पुलिस अधीक्षक से सवाल किया गया तो वह भी अजीबो गरीब जवाब देते हुए पत्रकारों से ही यह पूछ बैठे की क्या आपने सुप्रीम कोर्ट का आदेश देखा है। नगर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि वह किसी प्रकार का कब्जा नहीं दिला रहे बस यहां पर किसी प्रकार के अपराध को होने से रोक रहे हैं। बिना किसी झगड़े के भी उन्होंने एक पक्ष के कुछ लोगों को उठाकर थाने में बैठा दिया। क्षेत्रीय पार्षद के मामले में दखलअंदाजी करने के बाद पुलिस ने उन लोगों को छोड़ा। लेकिन तब तक एक पक्ष को पुलिस की सहायता से पूरी तरह से कब्जा दिलवा दिया गया था।

क्या है कब्जा दिलाने के नियम।

यदि किसी विवादित प्लॉट के मामले में हाईकोर्ट से फैसला आता है तो उसे प्लॉट का कब्जा दिलाने के लिए कोर्ट से मजकूरी पहुंचता है जो पुलिस सहायता से कब्जा की कार्यवाही करवाता है। हाइकोर्ट के आदेश के अलावा किसी आवेदक को कब्जा दिलाने के लिए सबसे पहले कलेक्टर के पास इसकी शिकायत की जाती है। कलेक्टर पूरे मामले की जांच करवाते हैं और कलेक्टर के कोर्ट रूम में मामले पर सुनवाई होती है।  इसके बाद कलेक्टर आदेश जारी करते हैं कि कब्जा किसके पास रहेगा आदेश जिसके पक्ष में आता उसकी सहायता के लिए राजस्व अधिकारी को निर्देशित किया जाता और SDM या तहसीलदार की सूचना पर पुलिस सहायता करती है। इसके बाद भी जबलपुर में की गई कब्जा दिलाने की कार्यवाही को देखकर तो यही लग रहा है कि अब पुलिस प्लॉटों पर कब्जा दिलाने का ठेका लेना शुरू कर चुकी है।

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