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मध्य प्रदेश पुलिस फोर्स में कांस्टेबल के पद पर पदस्थ पुलिस कर्मियों को पुलिस बैंड में शामिल होने के लिए डमी टीम के तौर पर ट्रेनिंग में जाने के आदेश जारी हुए थे। जिसके खिलाफ मंदसौर, मऊगंज और पांडुमना के 10 कांस्टेबल्स ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर जस्टिस विनय जैन की कोर्ट में हुई सुनवाई में इंदौर बेंच के फरवरी 2024 में जारी किए गए आदेश की तरह ही याचिकाकर्ताओं को यह राहत दी है कि जब तक वह लिखित सहमति नहीं देते तब तक उन्हें इस ट्रेनिंग में नहीं भेजा जा सकता।
इंदौर कोर्ट ने फरवरी माह में दी थी राहत
पुलिस बैंड की ट्रेनिंग से ही जुड़ी हुई एक और याचिका की सुनवाई 21 फरवरी 2024 को इंदौर बेंच में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने की थी। इस याचिका में पुलिस मुख्यालय द्वारा 9 फरवरी 2024 को जारी किए गए आदेश को लगभग 33 पुलिस कर्मियों ने चुनौती दी थी। जहां अदालत के संज्ञान में यह आया था कि पुलिस मुख्यालय के द्वारा जारी किए गए आदेश में ही यह लिखा गया है कि 90 दिनों तक चलने वाले इस पुलिस बैंड के प्रशिक्षण में वही लोग शामिल होंगे जो इसमें सम्मिलित होने के इच्छुक हों। इसके बाद कोर्ट ने आदेश जारी किए थे की जो पुलिसकर्मी बैंड ट्रेनिंग में शामिल होने के लिए सहमत नहीं है उन्हें 90 दिनों की ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजा जाएगा।
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