जबलपुर में निजी स्कूलों को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में जस्टिस मनिंदर एस भट्टी की कोर्ट में आठ निजी स्कूलों की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें निजी स्कूलों की तरफ से अधिवक्ताओं ने यह पक्ष रखा कि जबलपुर जिला कलेक्टर के द्वारा की गई कार्यवाही नियम अनुसार नहीं है।
इस कार्यवाही के दौरान मध्य प्रदेश निजी (विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2017 का उल्लंघन करते हुए अधिकार क्षेत्र के बाहर स्कूलों पर कार्यवाही की गई। निजी स्कूलों ने यह भी आरोप लगाया गया कि अधिनियम 2017 के अनुसार जिस पोर्टल पर उन्हें फीस और ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करनी थी, उस पोर्टल पर ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करने का कोई ऑप्शन ही नहीं था।
इसके अलावा 2020 के पहले यह पोर्टल भी संचालित नहीं हो रहा था। याचिकाकर्ताओं ने जिला समिति पर भी आरोप लगाया कि उन्हें फीस निर्धारण का कोई अधिकार ही नहीं है। इसके साथ ही निजी स्कूलों को अपना पक्ष रखने या सुनवाई का कोई मौका भी नहीं दिया गया।
याचिका के दस्तावेजों से ही खुली निजी स्कूलों की पोल
शासन की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि याचिकाकर्ताओं के द्वारा याचिका के साथ जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, उन्ही दस्तावेजों में वह नोटिस भी हैं, जो उन्हें जिला समिति के द्वारा जारी किए गए थे। इसके साथ ही उन नोटिस के जो जवाब निजी स्कूलों के द्वारा दिए थे, वह भी याचिकाकर्ताओं ने खुद ही फाइल किए हैं। इससे यह कहना कि इन्हें सुनवाई का मौका नहीं मिला बिल्कुल गलत है।
इसके साथ ही शासकीय अधिवक्ता ने यह तथ्य रखा की मध्य प्रदेश निजी (विद्यालय फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2017 मैं फीस वृद्धि से लेकर स्कूलों में लगने वाली किताबें और यूनिफार्म के भी स्पष्ट नियम और निर्देश हैं। इसका इन निजी स्कूलों के द्वारा उल्लंघन किया गया है। वहीं इस अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत जिला समिति के द्वारा की गई कार्यवाही के खिलाफ वह अपीलीय अधिकारी को अपील भी कर सकते हैं ।
जिला समिति में निजी स्कूल करें अपील, HC से याचिका खारिज
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं पर की गई कार्यवाही के पहले उन्हें शो कॉज नोटिस भी इशू किए गए थे और उनके जवाब भी स्कूलों द्वारा दिए गए थे। इससे स्पष्ट है कि निजी स्कूलों को उनका पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया था।
इसके साथ ही पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड ना करने से यूनिफॉर्म जैसे मामलों के लिए अधिनियम 2017 में स्पष्ट निर्देश हैं। इसका उल्लंघन निजी स्कूलों के द्वारा किया गया है। इसके बाद भी यदि वह किसी प्रकार की राहत चाहते हैं तो वह जिला कमेटी के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। इस आदेश के साथ ही निजी स्कूलों की याचिका को हाई कोर्ट के द्वारा खारिज कर दिया गया।
इन स्कूलों ने दायर की थी याचिका
जबलपुर में प्रशासन के द्वारा कुल 11 निजी स्कूलों के ऊपर कार्यवाही की गई थी। इनमें से आठ स्कूलों ने कार्यवाही के खिलाफ याचिका लगाई थी। इसमें क्राइस्ट चर्च स्कूल की तीन ब्रांच, सैंट अलोयसियस स्कूल की दो ब्रांच सहित स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल, ज्ञान गंगा आर्केड इंटरनेशनल स्कूल सहित दमोह जिले का सेंट जॉन्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल भी शामिल था।
अब अभिभावकों को जिला कमेटी के फैसले का इंतजार
जबलपुर जिला कलेक्टर के द्वारा निजी स्कूलों पर की गई कार्यवाही के बाद जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा निजी स्कूलों की फीस भी फिक्स कर दी गई थी। इसके आदेश जारी होने के बाद भी निजी स्कूल लगातार हाईकोर्ट और जिला समिति में अपील लंबित होने का बहाना बनाकर फीस को कम नहीं कर रहे थे।
अब हाई कोर्ट ने तो निजी स्कूलों को राहत देने से साफ इनकार कर दिया है तो अभिभावकों को जिला स्तरीय कमेटी में निजी स्कूलों की सुनवाई का बेसब्री से इंतजार है। क्योंकि इस सुनवाई के बाद स्कूलों के पास अपनी मनमानी कर अवैध फीस वसूलने का कोई बहाना नहीं बचेगा।
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