जबलपुर यूनिवर्सिटी में बिना परमिशन की गई नियुक्ति, राज्यपाल ने की रद्द
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 70 पदों की नियुक्तियों को नामंजूर कर दिया। 1997 में कार्यपरिषद ने बिना राज्यपाल की स्वीकृति के यह फैसला लिया था।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 70 पदों की नियुक्तियों को नामंजूर कर दिया। 1997 में कार्यपरिषद ने बिना राज्यपाल की स्वीकृति के यह फैसला लिया था। उच्च शिक्षा विभाग ने इन्हें रद्द करते हुए नियमों का हवाला दिया।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर में 70 पदों पर हुई नियुक्तियों को अस्वीकार कर दिया है। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इन नियुक्तियों को निरस्त करने का आदेश जारी किया है। ये नियुक्तियां 1997 के बाद बिना राजभवन की अनुमति के की गई थीं। इस फैसले के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए नई समस्याएं खड़ी हो गई हैं, और पदों पर कार्यरत कर्मचारियों से वसूली की संभावना भी बढ़ गई है।
बिना राज्यपाल की स्वीकृति बनीं नियुक्तियां
राज्यपाल ने कहा है कि विश्वविद्यालय कार्यपरिषद ने मनमाने तरीके से राजभवन से स्वीकृति लिए बिना नियुक्तियां की थीं। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 18 अक्टूबर और 11 नवंबर 2024 को दी गई जानकारी के अनुसार, 1997 में कार्यपरिषद ने पद सृजन का फैसला लिया, लेकिन राजभवन सचिवालय से इसकी औपचारिक अनुमति नहीं ली।
कार्यपरिषद की मनमानी
रिपोर्ट के अनुसार, 70 पदों को कार्यपरिषद ने बिना राज्य सरकार की अनुमति के मंजूरी दी थी। पदों का सृजन करने के बाद भी यह अनिवार्य स्वीकृति नहीं ली गई। मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के अनुसार, वर्ष 1991 में संशोधन के बाद यह प्रावधान किया गया था कि प्रशासनिक पदों के लिए राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होगी।
पूर्व विधायक ने उठाया मुद्दा
इस मामले को विधानसभा में पूर्व विधायक जालम सिंह ने प्रश्न क्रमांक 1202 के तहत उठाया। उन्होंने सरकार से विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों की जांच और जानकारी मांगी थी। जांच के बाद यह निष्कर्ष सामने आया कि ये नियुक्तियां नियमों के विरुद्ध थीं।
यूनिवर्सिटी में निरस्त हुईं नियुक्तियां
पद
संख्या
ओएसडी
4 पद
अनुभाग अधिकारी
7 पद
सहायक ग्रेड-1
12 पद
सहायक ग्रेड-2
12 पद
मुख्य चपरासी
4 पद
अन्य
4 पद
दफ्तरी
15 पद
अधीक्षक
12 पद
FAQ
क्यों रद्द की गईं जबलपुर यूनिवर्सिटी की नियुक्तियां?
बिना राज्यपाल की स्वीकृति के कार्यपरिषद द्वारा नियुक्तियां की गई थीं।
यह मामला किसने उठाया?
यह मुद्दा पूर्व विधायक जालम सिंह ने विधानसभा में उठाया था।
कब हुई थीं ये नियुक्तियां?
ये नियुक्तियां 1997 के बाद की गई थीं।
क्या नियुक्ति निरस्तीकरण के बाद वसूली होगी?
उच्च शिक्षा विभाग ने इस पर स्पष्ट निर्देश अभी जारी नहीं किए हैं।
किस अधिनियम के तहत यह निर्णय लिया गया?
मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के संशोधन के अनुसार यह निर्णय लिया गया।