नील तिवारी- JABALPUR , शासन के द्वारा एमएसपी पर धान और गेहूं की खरीदी किसानों से ज्यादा वेयरहाउस और समिति संचालकों के लिए मुनाफे का सौदा बना हुआ है। पिछले माह ही जबलपुर जिला कलेक्टर ( Jabalpur District Collector ) के द्वारा की गई कार्यवाही में 6 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का अमानक गेहूं वेयरहाउस में पकड़ा गया था। जिसके बाद समिति संचालक सहित वेयरहाउस पर भी कार्यवाही हुई थी। अब जबलपुर के मझौली तहसील के एक वेयरहाउस से हजारों क्विंटल घटिया गेहूं पकड़ा गया है जो खरीदी योग्य गेहूं के स्टॉक के साथ मिलाकर छुपा कर रखा गया था।
घोटाले में स्व सहायता समूह और वेयरहाउस की मिलीभगत
मझौली में स्थित जगदीश वेयरहाउस में मां दुर्गा स्व सहायता समूह और कापा खरीदी केंद्र के द्वारा खरीदे गए गेहूं का भंडारण होता था। इस वेयर हाउस में जांच करने पहुंचे एसडीएम रूपेश सिंघई की टीम ने यह पाया की गुणवत्ता विहीन गेहूं जिसे रिजेक्ट कर दिया जाना था उसे भी अच्छे गेहूं के बीच छुपा कर रख दिया गया है। यह सड़ा हुआ अनाज अच्छे अनाज को भी खराब करता और कुछ समय बाद यही खाद्यान्न लाभार्थियों को वितरित किया जाता। जांच के दौरान मां दुर्गा स्व सहायता समिति के द्वारा स्टोर किए गए अनाज में 1670 क्विंटल घटिया अनाज पाया गया तो वहीं कापा खरीदी केंद्र के भंडारित अनाज में 300 बोरियां घटिया अनाज की मिली। एसडीएम के द्वारा जगदीश वेयरहाउस को सीज़ कर दिया गया है और आगे की जांच के बाद अन्य दोषियों पर कार्यवाही की बात कही गई है।
अमानक गेहूं की खरीदी के समय क्या कर रहे थे जिम्मेदार
आपको बता दें कि हाल ही में सामने आए करोड़ों रुपए के गेहूं खरीदी घोटाले ( wheat purchase scam )के बाद जबलपुर जिला कलेक्टर ने यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसानों से खरीदे गए अनाज की हर बोरी पर टैग लगेंगे और अमानक अनाज की बाकायदा जांच की जाएगी। उसके बाद भी वेयरहाउस में मिली बोरियों से टैग नदारत थे। गेहूं की गुणवत्ता को जांचने के लिए ग्रेडर , सहकारिता के अधिकारी ,फ़ूड अधिकारी ,नोडल अधिकारी , वेयरहाउस कॉरपोरेशन के अधिकारियों सहित सरकारी वेतन पा रहे मुलाजिमों की पूरी फौज है। पर इसके बाद भी वेयरहाउस तक अमानक गेहूं का पहुंचना तो यही बता रहा है इस घोटाले में सिर्फ समिति या वेयरहाउस संचालक ही दोषी नहीं है, बल्कि खाद्यान्न खरीदी सभी जिम्मेदारों के लिए एक मलाईदार काम बन चुका है।