रविकांत दीक्षित, भोपाल.
बेटे को खोने के गम से बढ़कर विकराल क्या होगा,
सोच के दिल घबराता है, उस घर में हाल क्या होगा।
मां यशोदा की आंख से आंसू झिरते हैं। वह रोज रोती है। बेटे की तस्वीर को खाना खिलाती है, उसका हाल पूछती है। पिता लक्ष्मण भी अपने 'लाल' को याद कर रो पड़ते हैं। उनका फूल सा 'कन्हैया' अब इस जहां में नहीं है। आप भी जरा सोचकर देखिए किसी के घर में एक ही संतान हो और उसकी भी हत्या हो जाए तो उन मां-बाप की हालत कैसी होगी। बेटे की दास्तां कहते-कहते लक्ष्मण का गला रुंध जाता है।
मार्च 2023 में लापता हुआ था बेटा
दरअसल, यह मामला दमोह जिले के पिपरिया छक्का गांव ( Pipariya Chhakka village of Damoh district ) का है। यहां के किसान लक्ष्मण पटेल का इकलौता बेटा जयराज 10वीं का विद्यार्थी था। वह दमोह के सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ता था। 29 मार्च 2023 को जयराज गांव से लापता हो गया। 14 मई 2023 को गांव के तालाब के पास एक नरकंकाल मिला। लक्ष्मण ने कपड़ों से पहचान लिया कि यह उन्हीं के बेटे का नरकंकाल है।
नहीं मिली बेटे की अस्थियां
इस घटना को गुजरे एक साल एक माह बीत गया है, लेकिन अभी तक लक्ष्मण को बेटे की अस्थियां नहीं मिली हैं। वे इन 13 महीनों में सैकड़ों बार थाने के चक्कर काट चुके। थानेदार से लेकर एसपी और भोपाल मुख्यालय तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन डीएनए जांच के फेर में उन्हें बेटे की अस्थियां नसीब नहीं हुई हैं।
टेस्ट ट्यूब से हुआ था जयराज
लक्ष्मण पटेल पुलिस की लचर जांच से बेहद नाराज हैं। उनका दावा है कि नरकंकाल उन्हीं के बेटे का है, लेकिन पुलिस यह मानने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल, नरकंकाल और लक्ष्मण तथा उनकी पत्नी का डीएनए नरकंकाल से मैच नहीं हो रहा है। 'द सूत्र' ने जब पड़ताल की तो चला कि जयराज का जन्म टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति से हुआ था।
यहां उलझ गया मामला
थोड़े पीछे चलें तो पूरा मामला समझ में आता है। वर्ष 2004 में लक्ष्मण और यशोदा की शादी हुई। चार साल बाद जब बच्चा नहीं हुआ तो उन्होंने इंदौर के एक आईवीएफ अस्प्ताल में जांच कराई। आईवीएफ ( IVF ) यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ( in vitro fertilization ) से लक्ष्मण की पत्नी ने गर्भ धारण किया और 2008 में उन्होंने जयराज को जन्म दिया। अब मामला यह फंस रहा है कि दंपती के पास वे दस्तावेज नहीं हैं, जो ये साबित कर पाएं कि उनके बेटे का जन्म आईवीएफ से हुआ था। लिहाजा पुलिस अस्थियों को नहीं दे पा रही है।
अस्पताल से नहीं मिले कागजात
आईवीएफ के दस्तावेजों के सवाल पर लक्ष्मण ने कहा कि इंदौर के अस्पताल से पुलिस को कागजात नहीं मिले हैं। अस्पताल वालों का कहना है कि वे अपने मरीज का रिकॉर्ड पांच साल तक रखते हैं, लिहाजा, ये मामला तो काफी पुराना है। इसलिए लक्ष्मण और पुलिस दोनों को अस्पताल से आईवीएफ से जुड़े दस्तावेज नहीं मिल सके हैं।
देखें वीडियो....
एसपी बोले- डीएनए की तरफ से पेंडिंग
पूरे मामले में द सूत्र ने दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ( Damoh SP Shrut Kirti Somvanshi ) से बात की। इस पर उन्होंने कहा कि 'मामला मेरे संज्ञान में है। फॉरेसिंक की तरफ से पेंडिंग है। वहां से जब तक जांच नहीं मिलेगी, तब तक निस्तारण नहीं होगा, क्योंकि जब यह पता नहीं चलेगा कि अस्थियां किसकी हैं।
दमोह जिले में छात्र जयराज की मौत Death of student Jairaj in Damoh district इकलौते बेटे की अस्थियां नहीं मिल रहीं Bones of only son not found इकलौते बेटे का नहीं कर पा रहे अंतिम संस्कार Unable to perform last rites of only son Farmer Laxman Patel