BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा में शीतकालीन सत्र में 5वें दिन जनविश्वास संशोधन विधेयक पास कर दिया गया। सरकार इस संशोधन विधेयक को प्रदेश के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण बताती रही। इसे जनता में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ाने वाला विधेयक भी बताया। वहीं विपक्ष विधेयक का असर जनता पर व्यापक होने की बात रखते हुए इस पर चर्चा की मांग करता रहा। विपक्षी विधायकों ने जल्दबाजी में जनविश्वास विधेयक को पेश करने की जगह अगले सत्र में लाने की मांग भी की। इस रोकाटोकी और विपक्ष के विरोध के बीच संशोधन विधेयक पास हो गया।
जन विश्वास विधेयक का उद्देश्य
मध्य प्रदेश सरकार पहले ही जन विश्वास विधेयक (उपबंधों का संशोधन) 2024 को शीतकालीन सत्र में पेश करने की तैयारी कर चुकी थी। गुरुवार को विधानसभा में भोजन अवकाश के बाद सरकार विधेयक को सदन में लाई। इस पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सदन को संबोधित कर इसके प्रावधानों का उल्लेख किया। मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया कि विधेयक नाम की तरह जन विश्वास लाने वाला है। इस विधेयक को लाने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। ये कानून दंड को शास्ति में बदल देगा। लोगों से गलती हुई तो उसे सुधरने का मौका देना चाहिए। यही जन विश्वास विधेयक का उद्देश्य है। देश जिस रफ्तार से बढ़ रहा है मध्य प्रदेश भी उसी के बराबर खड़ा होगा।
दंडमुक्ति के प्रावधान देंगे विकास को रफ्तार
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा इस संशोधन विधेयक के जरिए 183 प्रावधानों को दंडमुक्त करने का काम किया है। लोग यदि गलती कर रहे हैं तो उन्हें हम अपराधी नहीं बनाना चाहते। ईज ऑफ लिविंग और डूइंग बिजनेस का मतलब है उद्योगों के अनुकूल वातावरण बनाना। पीएम नरेन्द्र मोदी की यह अपेक्षा थी। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने पूरे प्रदेश में इन्वेस्टर्स मीट के आयोजन किए। आज हमारा देश दुनिया के टॉप-5 देशों में शामिल है और इसमें हमारे राज्य का भी योगदान है। इस बिल की मूल भावना अपराध को हटाकर शास्ति में बदलना है। पहले उद्योगपति यहां आने से घबराते थे। उनका कहना था यहां दंडित करने के बहुत ज्यादा प्रावधान हैं। जन विश्वासन विधेयक उद्योगपतियों को आकर्षित कर निवेश लाने वाला विधेयक है।
स्कूलों की मनमानी पर कसावट लाएगा नया बिल
जनविश्वास संशोधन विधेयक के उपबंधों पर सदन में डेढ़ घंटे का समय चर्चा के लिए तय किया गया था। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा एक ओर स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहते हैं अतिथि हो तो घर पर कब्जा करोगे क्या। दूसरी तरफ शिक्षकों को सम्मान देने की बात कहते हैं। प्रदेश में स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारना है तो शिक्षक भी अच्छे लाने होंगे। निजी स्कूलों में फीस ही नहीं पुस्तक और यूनिफार्म खरीदी की आड़ में कमीशन वसूली की जाती है। पुस्तकालय और वाचनालय फीस अलग लेने की जरूरत नहीं है इसका प्रावधान किया गया है।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने दी विधेयक पर जानकारी
जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री ने विधेयक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा पीएम मोदी की सरकार नई नीति लेकर आई है जिसने मैकाले की उस शिक्षा पद्धति को बदला है जो ज्ञान तो दे रही थी लेकिन रोजगार और अनुभव नहीं। 85 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों और करीब 35 हजार बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। अब प्रदेश में 25 हजार से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूल इस विधेयक के दायरे में आएंगे। लेकिन दूसरे स्कूलों की निगरानी भी सरकार करती रहेगी। अब फीस के मामले में सुनवाई तीन स्तर पर हो सकेगी। इसके लिए जिला स्तरीय समिति, विभागीय समिति के बाद मंत्री की अध्यक्षता में प्रदेश की समिति भी बनाई है।
आईटी कंपनियों में रात में भी काम कर रही बेटियां
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा पहले रात में बच्चियां काम पर नहीं जा पाती थीं। सरकार ने प्रावधानों में बदलाव किया। रात में बच्चियों के सुरक्षित काम करने की शर्त के साथ संशोधन किए। इसी का नतीजा है कि अब प्रदेश में आईटी कंपनियों में बेटियां नाइट शिफ्ट में भी काम कर रही है। जन विश्वासन संशोधन विधेयक प्रोग्रेसिव विधेयक है। उधर कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम, फुंदेलाल मार्को व अन्र ने विधेयक को व्यापक प्रभाव वाला बताते हुए इस पर विस्तृत चर्चा कराने की मांग की। विधायक मरकाम ने कहा इसके लिए विधायकों से चर्चा की जानी चाहिए। विधायकों की राय लेने के बाद विधेयक को अगले सत्र में लाना उचित होगा। वहीं मंत्री विजयवर्गीय ने इसे महत्वपूर्ण और प्रदेश के विकास को रफ्तार देने वाला विधेयक बताया है।
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