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MP News: मध्य प्रदेश की दो- ध्रुवीय राजनीति में तीसरी शक्ति बनने की संभावना को लेकर सक्रिय आदिवासी संगठन जयस की आज वर्षगांठ है। 16 मई 2013 को मध्यप्रदेश के बड़वानी में आदिवासी युवाओं ने इस संगठन की नींव रखी थी, जो आज आदिवासी समाज के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और संस्कृति के लिए एक मजबूत और सक्रिय मंच बन चुका है। कभी बहुजन समाज पार्टी ने दहाई के अंकों में सीटें जीतकर दलित राजनीति की शुरुआत का ऐलान किया था, मगर समय के साथ BSP की ताकत गुजरे जमाने की बात हो गई है। क्या यह मध्यप्रदेश में कोई करिश्मा कर पाएगी? क्या सबसे ज्यादा आदिवासियों की जनसंख्या वाले प्रदेश में जयस की राजनीतिक जमीन मजबूत हो रही है? आइए जानते हैं…
कैसे हुई थी जयस संगठन की स्थापना
Thesootr को उपलब्ध जानकारी के अनुसार जयस की स्थापना विक्रम सिंह अछालिया, गौरव चौहान, महेन्द्र सिंह कन्नौज, महेश भाबर सहित कई युवाओं ने की थी। प्रारंभ में इसका नाम "आदिवासी युवा शक्ति" था, जिसे बाद में "जय आदिवासी युवा शक्ति" (JAYS) नाम से जाना जाने लगा। संगठन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देना है। डॉ. बलराम सिंह जमरा ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
सामाजिक मुद्दों पर जयस की सक्रियता
संगठन ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, पांचवीं-छठी अनुसूची, पेसा एक्ट और वन अधिकार कानून जैसे संवैधानिक मुद्दों पर आवाज उठाई है। संगठन ने जागरूकता रैलियों, चिंतन शिविरों, और निःशुल्क कोचिंग क्लासेस के जरिए आदिवासी युवाओं को संगठित किया है।
महिला शक्ति की भूमिका
जयस में महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। सीमा वास्केल, मेघा बघेल और किरण आर. सोलंकी जैसे सक्रिय महिला सदस्य संगठन को नई ऊर्जा और सामाजिक बदलाव की दिशा देते हैं।
प्रमुख सामाजिक एवं विकास कार्य
- मध्यप्रदेश में बैकलॉग और पुलिस भर्ती में आयु सीमा में छूट की मांग
- संविदा शिक्षकों की जगह स्थाई शिक्षक नियुक्ति
- बेरोजगार युवाओं के लिए आसान लोन और आर्थिक सहायता
- आदिवासी क्रांतिकारियों की स्मृति में प्रतिमाओं की स्थापना
- आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए संग्रहालय और हाट निर्माण
- पंचायती राज और नगरीय निकाय चुनावों का समय पर आयोजन
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन
- प्रदेश में बढ़ती अपराधिक घटनाओं के खिलाफ सशक्त आवाज
प्रदेश व देश में जयस का विस्तार
यह अब केवल मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देश के कई राज्यों और विदेशों में भी इसके सदस्य सक्रिय हैं। संगठन युवा नेतृत्व को सशक्त बनाकर आदिवासी समाज की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रहा है।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जयस का प्रभाव
मध्यप्रदेश में आदिवासियों का वोट बैंक लगभग 84 सीटों पर प्रभावी है। यह मालवा-निमाड़ के आदिवासी बाहुल्य जिलों जैसे धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन आदि में जयस का व्यापक प्रभाव है।
आंकड़ों पर एक नजर
- 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 ट्राइबल रिजर्व सीटों में से 31 पर जीत दर्ज की थी।
बीजेपी ने 84 ट्राइबल सीटों में से 34 सीटें जीतीं। - 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 1.53 करोड़ थी।
वर्तमान में आदिवासी आबादी लगभग 1.75 करोड़ है, जो कुल जनसंख्या का 21.8% है।
मनावर से विधायक हीरालाल अलावा कहते हैं कि यह कोई राजनीतिक संगठन नहीं है, यह एक सामाजिक संगठन है। मगर जिस तरह से हमें सफलता मिली है, उससे आदिवासी युवाओं में नई उमंग जगी है कि राजनीति में भी उनकी बात सुनी जा सकती है। जयस को जिस तरीके से सफलता मिली है, उससे डरकर प्रदेश में आदिवासी ताकत को तोड़ने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। चाहे वह हमारे संगठन के लोगों को तोड़कर अपने यहां ज्वाइन करवाने का मामला हो या जमीनी कार्यकर्ताओं को डराने का।
सबसे बड़ी समस्या फंड
डॉ हीरालाल अलावा बताते हैं कि एक सामाजिक संगठन के रूप में इसकी गतिविधियां लगातार चलती रहती हैं, मगर राजनीति के लिए फंड भी चाहिए, जो कि हमारे पास है ही नहीं। सरकारी सेवाओं के कुछ साथी हमें अपरोक्ष रूप से मदद करते थे, उनको नौकरी की धमकी देकर परेशान किया जा रहा है।