संजय गुप्ता@ INDORE.
झाबुआ में गुजरात और मप्र के बार्डर की अंतिम चौकी पिटोल पर एक बार फिर पुलिस ने शराब से भरे हुए कंटेनर पकड़े हैं। चार कंटनेर से करीब ढाई करोड़ की कीमत की अवैध शराब मिली है। इससे एक दिन पहले, जो कंटेनर पकड़े गए थे, इसमें कहा गया था कि परमिट की समय सीमा निकल चुकी, सूचना नहीं दे सके थे, लेकिन अब पकड़े गए चार नए कंटेनर में तो परमिट ही नहीं है। यह सभी ग्वालियर की एल्कोब्रो यानी रायरू डिस्टलरीज, जो बापना ग्रुप की है, वहां से निकली है।
पुलिस के पास 5 कंटनेर, बाकी आबकारी के पास
सोमवार ( 27 मई ) को परमिट की समय सीमा गुजर जाने के चलते पकड़े गए 7 कंटनेर में से एक पर पुलिस की जब्ती है, बाकी को आबकारी विभाग ने अपने पास ले लिया है। इसमें भी करीब पांच करोड़ रुपए की शराब थी। वहीं अब बुधवार ( 29 मई ) को जो कंटनेर पकड़े गए वह चारों ही झाबुआ पुलिस ने पकड़े गए और चारों पर मप्र आबकारी एक्ट की धारा 34 (2), 36 व 46 में केस दर्ज कर लिया गया है। यह अवैश शराब परिवहन से जुड़े हैं।
सिल्वासा, दमन-दीव जाने का लिखा हुआ
थाना प्रभारी कोतवाली आर. बघेल ने बताया कि चार जो नए पकड़े गए हैं, इनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। वहीं इसके पहले जो कंटनेर पकड़ा गया था, इसमें परमिट की समय सीमा गुजर चुकी थी। यह रायरू इंडस्ट्रीज से चले थे और दमन-दीव, सिल्वासा के लिए जा रहे थे। इस मामले में द सूत्र ने कई बार प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी बसंती भूरिया को फोन किए, लेकिन जवाब नहीं दिया गया।
बैकडेट में परमिट बढ़ाने की सूचना देना बताएंगे
उधर आबकारी विभाग ने इस मामले में कोई कार्रवाई करना तो दूर बल्कि बचाने की जुगत भिड़ाने में लग गया है। यदि परमिट की समय सीमा गुजर जाती है तो इसे विभाग में सामान्यू सूचना देकर बढ़वाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। अब पकड़े जाने के बाद इस बाद की योजना बन रही है कि बैकडेट में ही परमिट बढ़ाने का आवेदन, सूचना प्राप्त कर ली जाए और सभी कंटनेर को मुक्त कराया जाए। इस मामले में आबकारी विभाग पुलिस की कार्रवाई को जीरो बताने में जुट गया है, लेकिन समस्या उन चार नए कंटेनर की आ गई है जिनके पास तो कोई परमिट ही नहीं मिला है। यह पूरी तरह से अवैध शराब परिवहन है, लेकिन इसमें पुलिस ने भी मात्र चारों कंटनेर के ड्राइवर पर ही केस दर्ज किया है, किसी फैक्टरी मालिक पर नहीं किया गया है।
क्या है परमिट का खेल
सूत्रों के अनुसार यह खेल एक परमिट से कई गाड़ियां निकालने का है। डिस्टलरी पर्दे के पीछे अवैध रूप से जमकर उत्पादन करती है और फिर एक ही परमिट पर कई गाड़ियां गुजरात के लिए पहुंचाई जाती है। इसमें परमिट दमन-दीव, सिल्वासा इसलिए लिखा होता है क्योंकि गुजरात इसी रास्ते से जा सकते हैं, गुजरात में शराब प्रतिबंधित है और इन जगहों पर नहीं है। यहां से गुजरात शराब खपाई जाती है। एक ही परमिट पर कई गाड़ियां निकलती है और यदि कोई पकड़ी जाती है तो एक पूर्व सूचना देने का बैकडेट से खेल हो जाता है, इसमें परमिट की समयीसीमा आसानी से आबकारी विभाग बढ़ा देता है। इस तरह यह खेल आबकारी विभाग और डिस्टलरीज की मिलीभगत से अच्छे से चलता रहता है।
रायरू डिस्टलरीज शुरू से ही विवादों में
ग्वालियर के रायरू जगह पर स्थापित इस बापना ग्रुप की इस डिस्टलरी को लेकर लगातार विवाद रहे हैं। इस पर आरोप है कि यह डिस्टलरी जिस जमीन पर है वह आदिवासियों की जमीन है और निर्माण ही इसका अवैध है। वहीं इसके द्वारा गंदा पानी छोड़ने, कर्मचारियों को समय पर ईपीएफ बराबर नहीं देने सहित कई आरोप लग चुके हैं।
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