सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की है।
इस आशय का प्रस्ताव भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम द्वारा पारित कर दिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि "पंजाब और हरियाणा राज्यों के लिए उच्च न्यायालय देश के सबसे बड़े उच्च न्यायालयों में से एक है। इसलिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करना उचित होगा।
कॉलेजियम न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश करता है।
बता दें कि न्यायमूर्ति संधावालिया को 30 सितंबर, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। 24 जनवरी, 2014 को वे स्थायी न्यायाधीश बन गए। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति शील नागू को 4 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा तब से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं
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MP में मेडिकल कॉलेज में ज्वाइन न करने वाले 38 डॉक्टरों की नियुक्ति रद्द
मध्य प्रदेश में पहली बार मेडिकल कॉलेज में ज्वाइन ना करने वाले 38 डॉक्टरों की नियुक्ति रद्द हो गई है। इसमें 5 मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल है। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग की सचिव सुरभि गुप्ता ने इसको लेकर आदेश जारी किया है। आदेश में नीमच मेडिकल कॉलेज के 10, मंदसौर मेडिकल कॉलेज के 11, सिवनी मेडिकल कॉलेज के 8, सतना मेडिकल कॉलेज के 5 और सिंगरौली के एक डॉक्टर का नाम शामिल है। इनकी जगह वेटिंग लिस्ट में शामिल 18 डॉक्टरों को 7 दिन में ज्वाइन करने के आदेश जारी किए हैं। बता दें, मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति आदेश रद्द करने का यह पहला मामला है।
राज्यमंत्री के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती HC में याचिका दायर
राज्यमंत्री गौतम टेटवाल के विधानसभा चुनाव के दौरान पेश किए गए जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी है। हाई कोर्ट में अधिवक्ता धर्मेंद्र चेलावत ने याचिकाकर्ता की ओर से याचिका दायर की है। याचिका में कहा है कि टेटवाल ने अपने जाति प्रमाण पत्र में खुद को OBC कैटेगिरी का बताया है, जबकि चुनाव के दौरान उन्होंने खुद को SC वर्ग का बताया। असल में वह ओबीसी वर्ग से हैं। खुद को एससी का वर्ग बताकर उन्होंने ना केवल आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा बल्कि मंत्री भी बन गए।