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मध्य प्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के विभाग से नगर निगमों में हुए ट्रांसफर खतरे में आ गए हैं। उपयंत्री व अन्य तकनीकी पदों पर हुए ट्रांसफर मामले में तकनीकी पेंच आ गया है। इसी के चलते इस ट्रांसफर लिस्ट में शामिल एक उपयंत्री ने इंदौर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया है। इसी आधार पर अब बाकी भी स्टे लेने की तैयारी कर रहे हैं।
यह है तकनीकी पेंच, इससे मिला स्टे
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से भले ही उपयंत्रियों के तबादले जारी हो गए और इसे मंत्री द्वारा नगर निगम इंदौर पर नाराजगी के तौर पर देखा गया। इसमे कई विवादित अधिकारियों के तबादले हुए, जो अधिकांश जोनल ऑफिसर के पद पर थे। लेकिन उपयंत्री विनोद अग्रवाल, जो जोनल अधिकारी के पद पर थे, वह हाईकोर्ट गए। उन्होंने तर्क दिया कि वह इंदौर नगर निगम के कर्मचारी हैं, ना कि नगरीय प्रशासन विभाग के। उन्हें इंदौर से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। इसके बाद उन्हें स्टे मिल गया। अब इसी आधार पर अन्य भी जाने की तैयारी कर रहे हैं।
ग्वालियर हाईकोर्ट से भी ऐसा फैसला पहले आ चुका है
जानकारी में यह भी आया है कि इस संबंध में ग्वालियर हाईकोर्ट से भी इसी तरह का फैसला पूर्व में आ चुका है। इसमें विधिक बात यह है कि तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती निगमों द्वारा अपने स्तर पर की जाती है, ऐसे में कार्यालयीन यंत्री के निचले स्तर के कर्मचारी संबंधित निगम के अधीन आते हैं, ना कि नगरीय प्रशासन विभाग के। ऐसे में भोपाल से यह ट्रांसफर नहीं हो सकते हैं। वहीं यह भी विषय है कि इंदौर नगर निगम को छोड़ दें तो बाकी निगमों में वेतन व अन्य कई समस्याएं हैं, इसके चलते अन्य निगम इन्हें लेने में भी संकोच करते हैं। वहीं इंदौर को भी पुराने लोग जाने से आने वाले बारिश के सीजन में जलजमाव व अन्य संकट का सामना करने में मुश्किल आएगी।
ट्रांसफर लिस्ट से इंदौर से इन्हें हटाया था
नगरीय प्रशासन विभाग से 13 जून को जारी हुई ट्रांसफर सूची में कुल 26 उपयंत्रियों के ट्रांसफर हुए थे। इंदौर से एक साथ 10 उपयंत्रियों को ट्रांसफर किया गया। इसमें डॉ. मुंशी से 15 लाख की रिश्वत मांगने वाले शिवराज सिंह यादव को जहां रीवा भेजा, वहीं इस बिल्डिंग का नक्शा पास करने वाले असित खरे को कटनी भेजा गया। वहीं बिल्डिंग इंस्पेक्टर हिमांशु ताम्रकार को इसी केस में विवादों में आने पर सतना भेजा गया। इसके साथ अन्य ट्रांसफर में राहुल रघुवंशी को खंडवा, विनोद अग्रवाल को कटनी, अतुल सिंह को सतना, अंकुश चौरसिया को बुरहानपुर, अभिषेक सिंह को मुरैना, अतीक खान को रीवा और करतार सिंह राजपूत को पिछोर शिवपुरी भेजा गया। वहीं ग्वालियर से श्रीकांत काटे इंदौर ट्रांसफर किए गए।
उधर मिश्रा का सात दिन में तीन ट्रांसफर आदेश
वहीं दस जून की ट्रांसफर लिस्ट में पहले जोनल अधिकारी शैलेंद्र मिश्रा को भी इंदौर नगर निगम से सिंगरौली ट्रांसफर किया गया। लेकिन उन्होंने अपनी पकड़ दिखाई और तीन दिन में ही वह इसे निरस्त करा लाए। माना जा रहा है कि इस ट्रांसफर निरस्ती से मंत्री खुश नहीं थे और इससे वह नाराज हुए। इसके बाद फिर 17 जून की रात को आदेश जारी कर उन्हें अब खंडवा ट्रांसफर किया गया है।
निगम में लगातार जारी है ब्यूरोक्रेसी और नेताओं में खींचतान
निगम में लंबे समय से ब्यूरोक्रेसी और नेताओं के बीच पटरी नहीं बैठ रही है। कई बार महापौर पुष्यमित्र भार्गव अपने ही स्तर पर जांच कमेटी बनवा चुके हैं या फिर जांच के लिए मप्र शासन को लिख चुके हैं। चाहे वह गणेशगंज में मिश्रा के मकान पर कार्रवाई का मामला हो या फिर निगम के 150 करोड़ घोटाले का या फिर स्मार्ट सिटी द्वारा कचरा प्रोजेक्ट के लिए दिए गए टेंडर का समय बढ़ाने का। बिल्डिंग ब्लास्ट में भी महापौर आपत्ति लेकर जांच का बोल चुके थे।
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