उज्जैन के काल भैरव मंदिर में शराबबंदी का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया है कि इस मंदिर में शराब प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाएगी। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और भक्तों के लिए मदिरा चढ़ाने की परंपरा को जारी रखा जाएगा। जानकारी के अनुसार बाबा मंदिर के पास शराब का एक काउंटर बनाया जाएगा, जहां से प्रसाद के लिए शराब बेची जाएगी। इसके नियम और निर्देश आबकारी महकमा अलग से जारी करेगा।
शराबबंदी का निर्णय और उसका असर
मध्य प्रदेश की सरकार ने हाल ही में राज्य के 19 नगरों और गांवों में शराबबंदी का ऐलान किया था, जिसमें उज्जैन भी शामिल है। इस फैसले के बाद, काल भैरव मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ने वाली शराब के संबंध में सवाल उठने लगे थे। मुख्यमंत्री ने इस पर स्पष्ट किया कि यह परंपरा जारी रहेगी और मंदिर में मदिरा चढ़ाना भक्तों के लिए संभव रहेगा।
मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की प्रक्रिया
काल भैरव मंदिर के बाहर शराब की दुकानें स्थित हैं। भक्त यहां से मदिरा खरीदकर मंदिर में चढ़ाते हैं। मंदिर के पुजारी उन मदिरा की बोतलों को एक पात्र में रखकर काल भैरव के मुख पर चढ़ाते हैं। यह प्रक्रिया एक धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा है, जो यहां के स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार होती है।
शराबबंदी के बाद मांस विक्रय पर रोक की मांग
उज्जैन में शराबबंदी लागू होने के बाद, कुछ संतों और पुजारियों ने मांस विक्रय पर भी रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि उज्जैन को पवित्र नगर बनाने के लिए शराब और मांस दोनों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। कई धार्मिक और सामाजिक संगठन महाकाल मंदिर के पास मांस विक्रय को भी प्रतिबंधित करने की मांग करते रहे हैं।
उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग
उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग वर्षों से उठ रही है। रामनंदीय संत प्रतीतराम रामस्नेही ने जीवनभर इसके लिए संघर्ष किया। इसके अलावा, अन्य साधु-संतों और समाजसेवियों ने महाकाल मंदिर के दो किलोमीटर के दायरे में शराब और मांस विक्रय पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता जताई है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहरी सीमा में शराब विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर शहरवासियों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा किया। हालांकि, कुछ नागरिकों का यह मानना है कि महाकाल मंदिर के आसपास मांस विक्रय पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।
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