संजय गुप्ता@ INDORE.
सिंहस्थ के मद्देनजर कान्ह नदी की सफाई के लिए फिर काम शुरू हो रहे हैं। इस नदी की सफाई के लिए अभी तक 1200 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। सभी प्रोजेक्ट इसे नदी बताते हुए ही पास हो रहे हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यह राजस्व रिकार्ड में ही नदी नहीं है… इसे नाले के रूप में ही दर्ज किया गया है। इस पर अभी तक सरकार से लेकर किसी प्रशासनिक अधिकारी ने ध्यान ही नहीं दिया। फिर इसे नदी बताकर करोड़ों के प्रोजेक्ट कैसे पास हो रहे हैं?
इस तरह हुआ खुलासा
पालदा में कान्ह नदी के किनारे श्याम चुघ और उनके बेटे नितिन चुघ के प्लाजो ग्रीन्स प्रोजेक्ट के पास नगर निगम ने रिटेनिंग वॉल को तोड़ा। बताया गया कि यह कान्ह नदी के कैचमेंट एरिया में आ रहा है। जब पालदा क्षेत्र के इस सर्वे नंबर 86 को देखा गया तो इस बात का पता चला कि यहां राजस्व रिकार्ड में कान्ह नदी नहीं बल्कि नाला लिखा गया है। अब कलेक्टर आशीष सिंह ने कान्ह नदी के सभी सर्वे नंबरों की जानकारी जांचने के लिए कहा है। इसके बाद इसमें सुधार कर नाले की जगह नदी लिखने के आदेश दिए हैं।
कान्ह को नाला मानकर टीएंडसीपी, निगम से नक्शे भी पास
कान्ह को यदि नाला माना जाता है, तो नियमानुसार इसके 9 मीटर के बाद नक्शा पास किया जा सकता है। यदि नदी माना जाता है तो फिर 30 मीटर की दूरी के बाद ही नक्शा पास हो सकता है। राजस्व रिकार्ड में नाला होने के चलते टीएंडसीपी द्वारा नौ मीटर दूर मल्टी व अन्य प्रोजेक्ट के नक्शे धड़ल्ले से पास हो रहे हैं। वहीं नगर निगम से भी भवन अनुज्ञा जारी की जा रही है। इसके चलते कान्ह के कैचेमेंट एरिया में कई निर्माण हो चुके हैं, जो इसकी सफाई में एक बड़ी बाधा है।
कहां हुआ यह बड़ा फेरबदल
जिला प्रशासन अब इस सर्वे नंबरों की जांच कर रही है और पता कर रही है कि यह कब और कैसे बदलाव हुआ। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि यह बदलाव राजस्व रिकार्ड बनाते समय से ही है, यानी बीच में इसमें बदलाव नहीं हुआ है। हालांकि मीसल बंदोबस्त में इसे नदी लिखा गया है। अब प्रशासन यह देख रहा है कि केवल पालदा क्षेत्र में इसे नाला लिखा है या अन्य सभी सर्वे नंबर पर भी यह लिखा है। इसके बाद इन सर्वे नंबर रिकार्ड में बदलाव किया जाएगा।
विजयवर्गीय सुबह कान्ह देखने पहुंचे बोले नदी नहीं नाला लग रही
उधर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय चुनाव से निपटने के बाद बुधवार सुबह ही कान्ह को देखने पहुंच गए। उनके साथ विधायक गोलू शुक्ला भी थे। विजयवर्गीय ने छतरी के पीछे कान्ह को देखा तो सफाई से खुश नजर नहीं आए। निगमायुक्त शिवम वर्मा को फोन किया और कहा कि यह तो नदी नहीं नाला दिख रही है। बारिश से पहले इसकी सफाई की व्यवस्था की जाए।
सिंहस्थ के मद्देनजर बेहद अहम कान्ह की सफाई
कान्ह नदी आगे जाकर क्षिप्रा नदी में मिलती है, सिंहस्थ के लिहाज से क्षिप्रा की सफाई बेहद अहम है। इसके लिए सीएम डॉ. मोहन यादव की सरकार पूरी तरह से लगी है। इसके लिए लक्ष्य रखा गया है कि क्षिप्रा को साफ करना, इसके लिए फिर प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं और इसे साफ करने के लिए जरूरी है कि कान्ह साफ रहे। इंदौर और उज्जैन प्रशासन को इसके लिए प्राथमिकता से काम सौंपा गया है।
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