मां कंकाली का एक मात्र मंदिर, यहां प्रतिमा कि टेढ़ी गर्दन दशहरे पर हो जाती है सीधी

कंकाली माता मंदिर में मां काली देश की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है। जिनकी गर्दन 45 डिग्री पर झुकी हुई है। यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त मां काली के दरबार में अपनी मनोकामना पूरी करवाने आते हैं।

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Ravi Singh
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Kankali Temple
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मां भवानी की महिमा को आज तक कोई नहीं समझ पाया है। भारत में अलग-अलग जगहों पर देवी के अलग-अलग स्वरूपों में कई चमत्कार देखने और सुनने को मिलते हैं। कभी मंदिर में देवी की मूर्तियों के बात करने का चमत्कार तो कभी मंदिर में मूर्ति के रंग बदलने का रहस्य। इनका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है। ऐसा ही एक मंदिर है कंकाली मंदिर। यहां मां की मूर्ति की झुकी गर्दन एक दिन के लिए सीधी हो जाती है। 

 मां काली की देश की एकमात्र प्रतिमा

राजधानी भोपाल से 18 किमी दूर प्राचीन कंकाली माता मंदिर में मां काली की देश की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है। जिसकी गर्दन 45 डिग्री पर मुड़ी हुई है। यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त मां काली के दरबार में अपनी मनोकामना मांगने आते हैं। मनोकामना पूरी होने पर बंधन खोलने भी आते हैं। निसंतान दंपतियों को यहां संतान की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दशहरे पर मां काली की गर्दन सीधी हो जाती है।

इस द‍िन होती है मां की गर्दन सीधी

कंकाली देवी मंदिर में स्थापित मां काली की टेढ़ी गर्दन दशहरे के दिन सीधी हो जाती है। हालांकि, ऐसा होते हुए आज तक किसी ने नहीं देखा। कहा जाता है कि जो भी भक्त मां की सीधी गर्दन के दर्शन कर लेता है, उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि केवल भाग्यशाली भक्तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं। नवरात्रि के मौके पर देश के कोने-कोने से भक्त यहां मां भवानी के दर्शन के लिए आते हैं।

मंदिर स्थापना को लेकर यह भी मान्यता

मंदिर की स्थापना को लेकर यह भी सुनने में आता है क‍ि स्थानीय निवासी एक व्यक्ति को सपना आया था। इसके बाद उन्‍होंने देखे गए सपने के आधार पर उसी जमीन पर खुदाई की तो देवी मां की मूर्ति मिली गई। इसके बाद देवी मां की मूर्ति स्थापित करवा दी गई। तब से ही मंदिर के विस्तार और पूजा-अर्चना का क्रम जारी है। बता दें क‍ि मंदिर पर‍िसर के अंदरूनी हिस्से में 10 हजार वर्ग फीट के हॉल में एक भी पिलर नहीं है। जो क‍ि अपने आप में ही अद्भुत कला का नमूना है।

मंदिर का इतिहास

400 साल पुराने इस मंदिर का इतिहास जितना रोचक है, उतना ही इसके चमत्कार भी हैं। कहा जाता है कि 18वीं शताब्दी के आसपास स्थानीय निवासी हर लाल मेड़ा को देवी ने स्वप्न में आदेश दिया था कि वे खुदाई करके मूर्ति बाहर निकालें। आदेश का पालन करते हुए जब उस स्थान पर खुदाई की गई तो मां कंकाली की मूर्ति बाहर निकली और वहीं स्थापित कर दी गई।

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