/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-unseen-history-secrets6-2025-11-20-16-30-15.jpg)
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-15-03.jpg)
खजुराहो का जैन मंदिर
श्री दिगम्बर जैन स्वर्णोदय अतिशय क्षेत्र एमपी के खजुराहो का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। ये 16वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ भगवान को समर्पित है। ये क्षेत्र अपनी चंदेलकालीन भव्यता, अतिशयकारी ऊर्जा और खंडित प्रतिमाओं के माध्यम से जैन धर्म की तपस्या और प्राचीन इतिहास को दर्शाता है।
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-15-14.jpg)
तीर्थंकर शांतिनाथ की महिमा
यह अतिशय क्षेत्र मुख्य रूप से सोलहवें तीर्थंकर (जैन धर्म का इतिहास) श्री शांतिनाथ भगवान को समर्पित है। माना जाता है कि यहां भगवान शांतिनाथ की अतिशयकारी ऊर्जा हमेशा व्याप्त रहती है। इससे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-15-24.jpg)
प्राचीनता और भव्यता
यह क्षेत्र चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित खजुराहो के प्राचीन जैन मंदिरों का एक अभिन्न अंग है। यहां के मंदिर सदियों पुराने हैं और अपनी भव्य शिल्प कला और आर्किटेक्चर के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-15-35.jpg)
अतिशय क्षेत्र की पहचान
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, 'अतिशय क्षेत्र' वह स्थान होता है जहां किसी चमत्कार या विशेष दैवीय शक्ति का अनुभव होता है। भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना चमत्कारिक फल देती है।
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-15-45.jpg)
खंडित प्रतिमाओं का संदेश
खजुराहो के अन्य मंदिरों की तरह, यहां भी कई प्राचीन प्रतिमाएं खंडित पाई जाती हैं। ये खंडित मूर्तियां आक्रांताओं के जुल्म और समय के थपेड़ों की दुखद कहानी सुनाती हैं, लेकिन फिर भी पूजनीय हैं।
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-15-55.jpg)
क्षमा और तपस्या का केंद्र
जैन धर्म में तपस्या और क्षमा का बहुत महत्व है और यह क्षेत्र इसी भावना को बल देता है। जैन साधु-संत यहां आकर कठोर तप और साधना करते हैं। इससे क्षेत्र की पवित्रता बनी रहती है।
/sootr/media/media_files/2025/11/20/khajuraho-temples-2025-11-20-16-16-06.jpg)
दिगम्बर जैन परंपरा
यह क्षेत्र दिगम्बर जैन परंपरा का पालन करता है। यहां मूर्तियों की पूजा उसी रूप में की जाती है जैसा कि शास्त्रों में वर्णित है। भक्तजन यहां आकर अपनी आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं। डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us