खंडवा जेल ब्रेक को 11 साल... सलाखें काटकर बेडशीट के सहारे दीवार फांदकर भाग गए थे सिमी आतंकी

मध्यप्रदेश की खंडवा जेल के कंट्रोल रूम की अल सुबह 4 बजे फोन की घंटी बजती है। फोन सुनते ही पुलिसकर्मी के पैरों तले जमीन खिसक गई। दूसरी ओर से बताया जाता है कि ​जेल से सिमी आतंकी भाग गए हैं। इसके बाद पुलिस महकमा अलर्ट मोड में आ जाता है...

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BHOPAL. एक और दो अक्टूबर 2013 की दरमियानी रात पूरा खंडवा (मध्यप्रदेश) शहर नींद में था। इस बीच शहर से कुछ दूर जेल में सिमी आतंकी फरार होने की कोशिशों में जुटे थे। जैसे-जैसे रात ढल रही थी, वैसे-वैसे वे अपने मंसूबे में कामयाब होते जा रहे थे। अल सुबह 4 बजे जैसे ही पुलिस कंट्रोल रूम की घंटी बजी तो फोन उठाने वाले पुलिसकर्मी के पैरों तले जमीन खिसक गई। दूसरी ओर से बताया गया कि खंडवा ​जेल से सिमी आतंकी भाग गए हैं। इसी के साथ पूरा पुलिस महकमा अलर्ट मोड में आ गया। 
बाद में घटनाक्रम कुछ इस तरह सामने आया कि रात 3:00 बजे सात आतंकी फरार हुए। 3:30 बजे वे गश्त कर रहे पुलिस जवानों के हाथ लगे। 3:40 पर सिमी आतंकी सुरक्षाकर्मियों को घायल करके फरार हो गए। सुबह 4 बजे पुलिस कंट्रोल रूम में जानकारी दी गई। 6.30 बजे जैसे ही उजाला हुआ तो सिमी आतंकियों के साथ भागा कैदी मिर्जा आबिद बैग आम लोगों के हाथ लग गया। लोगों ने उसे जमकर पीटा। फिर पुलिस के हवाले कर दिया। दरअसल, खंडवा जेलब्रेक में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के सात खतरनाक आतंकी भागे थे। यह घटना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी। इसने पूरे मध्यप्रदेश में हलचल मचा दी थी। 

दो सुरक्षा गार्डों को बनाया निशाना

यह आज से 11 साल पहले रात की बात है, जब इन आतंकियों ने जेल के बाथरूम की खिड़की की लोहे की सलाखें काट दी थीं। सलाखों को काटने के बाद उन्होंने बेडशीट की मदद से जेल की दीवारों से नीचे उतरने की योजना बनाई। इस बीच, जब जेल के दो सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो आतंकियों ने उन्हें चाकू से घायल कर दिया। उनकी राइफलें और वायरलेस सेट लूटकर फरार हो गए।

बाइक से हो गए थे फरार

कहा जाता है कि जेल के पास पहले से ही दो मोटरसाइकिलें खड़ी थीं, जिन पर सवार होकर ये सभी आतंकवादी फरार हो गए। घटना के दौरान जेल परिसर में कोई सर्चलाइट या सुरक्षा घेरा नहीं था, जिससे इनकी फरारी आसान हो गई। सिर्फ इतना ही नहीं, जेल में 170 कैदियों की क्षमता थी, जबकि उस समय वहां 570 कैदी मौजूद थे। सुरक्षा भी कमजोर थी, क्योंकि वहां केवल 26 गार्ड थे, जबकि 87 गार्डों की जरूरत थी।

ये सिमी आतंकी भागे थे जेल से

खंडवा जेल में अलग-अलग आरोपों में बंद आरोपी सिमी के गुर्गे अमजद, जाकिर, गुड्डू, असलम, अबू फैजल, एजाजुद्दीन और आबिद भागे थे। इन पर पुलिस अधिकारी की हत्या, खंडवा के अस्पताल में बम विस्फोट के आरोप थे। खंडवा जेल से भागने के बाद एटीएस ने मास्टरमाइंट अबू फैसल समेत अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। आपको बता दें कि अबु फैजल इंडियन मुजाहदीन के लिए भी काम कर चुका है और उसने कई बड़ी वारदातों को अंजाम भी दिया है। 

वाराणसी धमाकों में सिमी का हाथ!

प्रतिबंधित आतंकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया यानी सिमी देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दे चुका है। इसकी स्थापना साल 1977 में अलीगढ़ में हुई थी। इस पर भारत सरकार ने 9/11 हमले के बाद साल 2001 में प्रतिबंध लगा दिया था। सिमी ने 2005 में वाराणसी में हुए धमाकों की जिम्मेदारी लेकर पहली बार अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इसके बाद उसने नवंबर 2007 में उत्तर प्रदेश में अदालतों के बाहर सिलसिलेवार विस्फोट की घटनाओं को अंजाम दिया था।

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