डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में वकालत के छात्र न वकील बन सकेंगे ना ही सिविल जज
सागर के डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के लॉ कोर्सेज को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं मिली है। बिना मान्यता के यहां के एलएलबी , एलएलएम (LLM) पाठ्यक्रमों से प्राप्त डिग्री धारक न तो अधिवक्ता बन सकते हैं, न ही किसी न्यायिक परीक्षा में बैठ सकते हैं।
Sagar University Recognition: सागर के डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में विधि पाठ्यक्रम बिना बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) की मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इसके चलते यहां से डिग्री लेने वाले लगभग 2500 विद्यार्थी वकालत, सिविल जज (Civil Judge), एडीपीओ (ADPO) जैसे पदों के लिए अयोग्य करार दिए गए हैं। जिसके चलते अब विश्वविद्यालय के छात्र इसका विरोध कर रहे हैं।
मान्यता की समस्या
सागर के डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय ने 2005-06 से बार काउंसिल से मान्यता प्राप्त नहीं की। विश्वविद्यालय के विधि पाठ्यक्रमों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता नहीं मिली है। बिना मान्यता के यहां के एलएलबी (LLB), एलएलएम (LLM) पाठ्यक्रमों से प्राप्त डिग्री धारक न तो अधिवक्ता बन सकते हैं, न ही किसी न्यायिक परीक्षा में बैठ सकते हैं।
फीस का विवाद
बार काउंसिल को मान्यता शुल्क के रूप में 88 लाख रुपए देने थे, जिसमें से 59 लाख रुपए का भुगतान होने का दावा किया गया। हालांकि, छात्रों को इसकी रसीद या सबूत नहीं दिखाया गया।
विवि प्रशासन ने शाम तक 13.50 लाख रुपए जमा करने का वादा किया, परंतु देर शाम तक भी कोई रसीद नहीं दी गई। लगभग 450 छात्र वर्तमान में यहां एलएलबी, एलएलएम और पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं। मान्यता न होने के कारण इनका भविष्य अंधकार में है।