नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने की नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार को हटाने की मांग

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि वर्तमान में 2024-25 सत्र की मान्यता प्रक्रिया प्रचलन में है, ऐसे में यह आवश्यक है कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए। उन्होंने मांग की है कि अनीता चांद को उनके पद से हटाया जाए।

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Neel Tiwari
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मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र के जरिए नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार अनीता चांद को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने यह कदम नर्सिंग संस्थाओं को मान्यता दिलाने के दौरान हुई अनियमितताओं के आरोपों के चलते उठाया है।

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अनीता चांद पर लगे आरोप

यह मामला उस समय सामने आया जब अधिवक्ता विशाल बघेल द्वारा 5 अक्टूबर 2024 को एक शिकायती पत्र भेजा गया था। जिसमें अनीता चांद पर 2021-22 सत्र में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलाने के लिए असत्य और कूटरचित निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में यह भी दावा किया गया कि इन अनियमितताओं के बावजूद उन्हें मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व सौंपा गया है।

मामले में तुरंत कार्रवाई हो : उमंग सिंघार 

सिंघार ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि वर्तमान में 2024-25 सत्र की मान्यता प्रक्रिया प्रचलन में है, ऐसे में यह आवश्यक है कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए। उन्होंने मांग की है कि अनीता चांद को उनके पद से हटाया जाए और उनके खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाए जाएं।

राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज

इस प्रकरण के उजागर होने के बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर अनियमितताओं को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। वहीं, सरकार की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस मामले को लेकर आगे की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।

नर्सिंग शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर उठे सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह न केवल नर्सिंग शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि प्रशासनिक तंत्र पर भी एक गंभीर धक्का होगा। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग संस्थाओं की मान्यता प्रक्रिया पहले भी विवादों में रही है, और इसे लेकर कई बार सरकार पर पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहे हैं।

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