मप्र लोक सेवा आयोग ( पीएससी ) की एक और भर्ती अटकने का संकट गहरा गया है। आईटीआई प्रिंसिपल क्लास वन, डिप्टी डायरेक्टर, प्रिंसिपल क्लास टू और सहायक संचालक तकनीकी के कुल 241 पदों के लिए मार्च 2023 में यह भर्ती निकली थी। इसकी लिखित परीक्षा 10 सितंबर 2023 को हुई और रिजल्ट भी नवंबर 2023 में जारी हो चुका है। लेकिन इंटरव्यू अभी तक नहीं हुए हैं। कुल 812 उम्मीदवार इसके इंटरव्यू के इंतजार में हैं।
दो तरह की याचिकाएं लग चुकी हैं इस भर्ती को लेकर
इस भर्ती को लेकर एक-दो नहीं आधा दर्जन से ज्यादा याचिकाएं लग चुकी है। इसमें मुख्य तौर पर दो विवाद है, जिसमें पहले तो इन पदों के लिए खासकर प्रिंसीपल वन की भर्ती के लिए तय की गई योग्यता, अनुभव पर सवाल उठाए गए हैं। दूसरा मामला आईटीआई में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारियों ने ही उठाए हैं।
1- पहला मुद्दा यह है कि पीएससी द्वारा 13 मार्च 2023 को जारी भर्ती विज्ञप्ति में प्रिंसिपल वन के लिए बीई डिग्री धारी के लिए दो साल का अनुभव जरूरी कहा गया है और डिप्लोमा धारी के लिए पांच साल का अनुभव। इसमें आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि डायरेक्टर टेक्निकल के नियम के अनुसार बीई डिग्रीधारी के लिए यह पांच साल और डिप्लोमा धारी के लिए 8 साल है। भर्ती विज्ञप्ति में कम किया गया है, इसलिए यह भर्ती सही नहीं है।
2- योग्यता, अनुभव को लेकर ही दूसरा मसला यह है कि इंजीनियरिंग करीब 250 ब्रांच में होती है लेकिन आईटीआई में जो कोर्सेस है वह मूल रूप से 80 ट्रेड से जुड़े हुए हैं। ऐसे में आपत्ति यह है कि भर्ती में 250 में से किसी भी विषय में डिग्री धारी को मान्य किया गया है जबकि तय केवल 80 ट्रेड में ही इसे लिया जाना चाहिए था, यह गलत हो रहा है।
3- तीसरा मुद्दा आईटीआई में कार्यरत सुप्रीडेंटेंड का है। इनकी पदोन्नति को लेकर 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगी हुई है। सामान्य और आरक्षित वर्ग के पदोन्नति नियम में 2002 में बदलाव को लेकर विवाद चल रहा है। पहले नियम था कि वरिष्ठता नियुक्ति दिनांक से होगी और बाद में इसमें बदलाव किया कि अगली पदोन्नति में वरिष्ठता पदोन्नति दिनांक से तय होगी।
ऐसे में सामान्य वर्ग की आपत्ति है कि आरक्षित वर्ग लगातार पदोन्नत हो रहे और उन्हें नहीं मिल रही। यह विवाद हाईकोर्ट गया और फिर सुप्रीम कोर्ट, जहां से स्टेटस को है।
पदोन्नति नहीं होने से चाहते हैं सीधी भर्ती नहीं हो
इसी को लेकर आईटीआई में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारियों का कहना है कि सीधी भर्ती नहीं होना चाहिए। हम तो पदोन्नति के इंतजार में सालों से अटके हुए हैं, हमारा अनुभव भी ज्यादा है लेकिन यह सीधे प्रिंसीपल वन व अन्य पदों पर आ जाएंगे और हम सालों से वहीं अटके हुए हैं और अटके रहेंगे। आगे जाकर हमारे मौके और पद भी पदोन्नति वाले खत्म होते जाएंगे।
कोर्ट में यह दोनों मुद्दे लंबित
एक मुद्दा तो योग्यता, अनुभव को नियम को खारिज करने से जुड़ा है जो याचिका मान्य तो हो चुकी है लेकिन इस पर अभी सुनवाई नियमित नहीं हो रही है। यह चीफ जस्टिस मप्र की बेंच मे ही लगेगी, अभी मप्र में एक्टिंग चीफ जस्टिस है। वहीं अन्य मामले में केस सुनवाई पर चल रहे हैं और नोटिस जारी हुए हैं।
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