शराब ठेकों पर लूट, हर घंटे पौने दो करोड़ रुपए ज्यादा वसूल रहे ठेकेदार

'द सूत्र' ने मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में पड़ताल की। इसके लिए पांच टीमों ने राजधानी भोपाल के अलावा रायसेन, विदिशा, सीहोर, रतलाम जिलों में जानकारी जुटाई। इस दौरान चुनिंदा शराब ठेकों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई।

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भोपाल. मध्यप्रदेश में शराब ठेकों पर लूट मची है। ओवर रेट और ठेकेदारों की मनमानी को लेकर 'द सूत्र' ने मध्यप्रदेश के अलग-अलग जिलों में पड़ताल की। इसके लिए पांच टीमों ने राजधानी भोपाल के अलावा रायसेन, विदिशा, सीहोर, रतलाम जिलों में जानकारी जुटाई। इस दौरान चुनिंदा शराब ठेकों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। शराब ठेकों पर बोतलों पर दर्ज MSP और MRP से ज्यादा कीमत वसूली को लेकर गद्दीदारों से ऑन कैमरा बात भी की गई। कुछ जगह कर्मचारी टालमटोल कर गए तो ज्यादातर ठेकों पर गद्दीदारों ने बेझिझक इसे कंपनी की पॉलिसी बताया। उनका कहना था कि हर दुकान पर अलग कीमत है। जो कंपनी द्वारा तय किए गए हैं, उसी कीमत पर शराब बेंच रहे हैं। 

आबकारी की कार्रवाई का नहीं डर

शराब ठेकों से किसी भी वैराइटी की शराब की बिक्री के लिए आबकारी विभाग रेट लिस्ट जारी करता है। यानी विभाग की इसी MSPऔर MRP लिस्ट के बीच शराब बेंची जा सकती है लेकिन ठेकेदार पूरे प्रदेश में अपनी मर्जी से रेट तय कर रहे हैं। उन्हें आबकारी के मैदानी अमले से लेकर मुख्यालय में बैठे अफसरों की भी परवाह नहीं है। हालत ये हैं कि ओवर रेट वसूली की बिल और दूसरे प्रमाण सहित शिकायत करने पर भी आबकारी अमला लाचार नजर आता है या फिर दो-पांच हजार रुपए का जुर्माना वसूलकर चुप बैठ जाता है। हर दुकान पर शराब की रेट लिस्ट चस्पा करना जरूरी है, लेकिन शायद ही कोई ठेका मिले, जहां रेट लिस्ट नजर आ जाए।

ठेकों पर 10 से 20 रुपए की ओवर रेट वसूली

'द सूत्र' की टीमों ने प्रदेश भर में आबकारी दुकानों से ओवर रेट वसूली की जानकारी जुटाई है। रायसेन, सांची में हाइवे पर स्थित दुकान नंबर-2, विदिशा के गंजबासौदा में पचमा बायपास, भोपाल में अन्नानगर के अलावा जबलपुर, रतलाम और सीहोर में भी शराब ठेकों पर स्टिंग किए तो हकीकत सामने आ गई। किसी दुकान पर 10 रुपए तो कहीं 20 या उससे ज्यादा रुपए वसूल किए जा रहे थे। 
दुकान पर बैठे गद्दीदार, सेल्समैन ओवर रेट वसूली को लेकर बेफिक्र हैं। उन्हें न तो ये चिंता है कि कहीं अधिकारी न आ जाएं या कोई वीडियो बनाकर शिकायत न कर दे। अब आप समझ सकते हैं शराब ठेकों पर काम करने वाले कर्मचारियों को इतना हौंसला किसकी दम पर मिल रहा है। क्योंकि आबकारी विभाग की गाइडलाइन के अनुसार तो ऐसी मनमानी पर लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान है लेकिन प्रदेश की 36 सौ ठेकों में से एक पर भी ऐसी कार्रवाई नहीं की गई। 

एक सप्ताह की ठेकों पर वसूली की पड़ताल

'द सूत्र' ने शराब के नाम पर प्रदेश में संगठित अपराध की तर्ज पर हो रही वसूली और आबकारी विभाग को बेपर्दा करने की कार्ययोजना तैयार की। उनके निर्देशन में भोपाल और विदिशा जिलों में संजय शर्मा, जबलपुर में नील तिवारी, रतलाम में आमीन हुसैन, रायसेन में पवन सिलावट, सीहोर में नफीस खान की टीम एक सप्ताह तक शराब ठेकों पर स्टिंग करती रही। इस दौरान न केवल शराब ठेकों पर गद्दीदारों के साथ ही सुराप्रेमियों से भी बात की गई। हर एक का कहना था शराब ठेकेदारों के इशारे पर ओवर रेट वसूली हो रही है। यह संभव ही नहीं है कि इसकी भनक आबकारी अफसरों को न हो। मनमानी वसूली से विभाग को भले ही कोई लाभ न हो, लेकिन काली कमाई का एक हिस्सा अफसरों तक पहुंचने से इंकार नहीं कर सकते।


स्टिंग :01  
स्पॉट : गंज बासौदा, पचमा बायपास कम्पोजिट शॉप 

विशेष संवाददाता संजय शर्मा की रिपोर्ट 

संवाददाता :  बीयर दे दो
ठेकाकर्मी  :  कितनी 
संवाददाता :  दो बीयर
ठेकाकर्मी  :   520 रुपए दो
संवाददाता :  एक बीयर की कीमत कितनी है
ठेकाकर्मी  :  260 रुपए 
संवाददाता : लेकिन इस पर तो msp190 रुपए और  mrp 220 रुपए लिखी है
ठेकाकर्मी :  कंपनी का रेट 260 रुपए ही है, लेना हो तो लो
संवाददाता :  अरे, बोतल तो msp और  mrp के बीच में बेंचनी चाहिए
ठेकाकर्मी :    हमारा रेट 260 ही है
संवाददाता :  दो ले रहे हैं कुछ तो कम करो
ठेकाकर्मी :  नहीं, कुछ कम नहीं कर पाएंगे 

स्टिंग : 02
स्पॉट : शराब दुकान सांची 02 
विशेष संवाददाता संजय शर्मा की रिपोर्ट 

संवाददाता : बीयर दे दो 
ठेकाकर्मी  :  कौन सी चाहिए
संवाददाता : एक दे दो वो वाली (इशारा करते हुए)
ठेकाकर्मी : 230 रुपए की आएगी
संवाददाता :  लेकिन ये तो msp और  mrp से ज्यादा हैं। 
ठेकाकर्मी :  हां, लेकिन हमारी दुकान पर तो दूसरी जगह से कम रेट है
संवाददाता : हम दो-तीन जिलों से होकर आ रहे हैं, सब अलग-अलग कीमत और ओवर रेट ले रहे हैं।
ठेकाकर्मी :  हर कंपनी का अपना रेट है, हमारे पास तो जो स्टॉक है उस पर यही कीमत है, चाहिए है क्या

 

स्टिंग 03
स्पॉट: जबलपुर

विशेष संवाददाता नील तिवारी की रिपोर्ट 

संवाददाता :  दो 0000 स्ट्रांग बीयर दे दो
ठेकाकर्मी  :   दस रुपए चेंज दो 
संवाददाता :  10 रुपए चेंज किस हिसाब से
ठेकाकर्मी  :   230 रुपए की है न एक
संवाददाता :  नहीं-नहीं 220 की है न एक तो 
ठेकाकर्मी  :  नहीं 230
संवाददाता :   msp190, mrp 220 है,तो क्या mrp से भी ऊपर दोगे क्या। ये क्यों हो रहा है ऐसा
ठेकाकर्मी  :  अरे पेटी कोई लेता है तो हम 2000 की दे देते हैं।
संवाददाता :  एमआरपी तो डली ही इसलिए होती है न कि उसके ऊपर आप
ठेकाकर्मी  :  बोतल में एमआरपी लगी है 1400 रुपए की हम बेंच रहे हैं 800 रुपए की
संवाददाता :  वो तो ठीक है आप सस्ती दे रहे हो, आपको बच रहा है, एक्सट्रा एमआरपी
ठेकाकर्मी  :  सस्ती देंगे तो आप ऑब्जेक्शन नहीं उठाओगे
संवाददाता : हम लेते ही नहीं, हम तो केवल बीयर पीते हैं
ठेकाकर्मी  :  आप हमारी बात सुनिए, सस्ती देंगे तो आप ऑब्जेक्शन नहीं उठाओगे
संवाददाता : ग्राहक का काम होता है एमआरपी पर खरीदना
ठेकाकर्मी  :  नहीं नहीं, mrp पर तो भैया, बोतल पर 1395 और 1200 रुपए डली है, वो हम 800 में दे रहे हैं। जो सत्यवादी रहता है, जो नियम कानून से चलेगा वो तो बोलेगा, भैया 190 है, 220 है।
संवाददाता :  नहीं-नहीं, तो मतलब क्या है, एमआरपी से ऊपर बेंचने का क्या है। वो सस्ती बिक रही है, मंहगी। 
ठेकाकर्मी  :  सब बनाया गया है, सारी बोतल। कोई भी बोतल लीजिएगा जो एमआरपी है उस पर 20 परसेंट, 40 परसेंट छूट मिल जाएगा। 
संवाददाता :  किसने बनाया है, गवर्मेंट की पॉलिसी है, 
ठेकाकर्मी  :  हां
संवाददाता :  और बिल बगैरह मिलता था वो भी बंद।
ठेकाकर्मी  :  अब बिल कहां मिलेगा, अब नहीं मिलता है। 

स्टिंग : 04 
स्पॉट : बरेली जिला रायसेन

संवाददाता पवन सिलावट की रिपोर्ट 

संवाददाता :  क्वार्टर दे देना 
ठेकाकर्मी  :  वो नहीं है, 
संवाददाता :  कौन सा है 
ठेकाकर्मी  :  ये वाला है
संवाददाता :  एक दे दो 
ठेकाकर्मी  :  240 रुपए
संवाददाता :  240 रुपए का है, अब हमें इसका बिल चाहिए
ठेकाकर्मी  :   (कोई रिस्पांस नहीं) 
संवाददाता :  बिल के लिए क्या करना पड़ेगा हमको, क्या करना पड़ेगा जो बिल मिले हमको
ठेकाकर्मी  :  (कोई रिस्पांस नहीं)
संवाददाता :  मेरे द्वारा बिल मांगने पर कोई आवाज नहीं सुन रहा, बिल मांग रहे हैं तो यहां बैठे कर्मचारी अंदर जा रहे हैं।
ठेकाकर्मी  :  अंदर क्यों जाएंगे
संवाददाता :  क्यों नहीं दिया जा रहा बिल, आखिर क्या है
ठेकाकर्मी  : आपको एक बार बता दिया अभी बिल छपकर आ रहे हैं। 
संवाददाता : नहीं, बिल छपकर नहीं आते, सारी सेवाएं ऑनलाइन है तो बिल छपकर क्यों आएंगे, छापकर बिल दोगे क्या
ठेकाकर्मी : ( मुंह फेरकर अंदर की ओर चला गया ) 

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