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हर साल स्वतंत्रता दिवस पर मध्यप्रदेश सरकार की रिहाई नीति के तहत, आजीवन कारावास से दंडित कैदियों को रिहा किया जाता है। इस वर्ष 15 अगस्त 2025 को राज्य की जेलों में निरूद्ध 156 कैदियों को रिहा किया जाएगा। इनमें 6 महिलाएं शामिल हैं, जो कई सालों से सजा काट रहे थे। राज्य सरकार का उद्देश्य कैदियों को नया जीवन देना और समाज में सुधार व पुनर्वास को बढ़ावा देना है।
जानें कौन से कैदी नहीं होंगे रिहा?
इस वर्ष, 156 कैदियों की रिहाई की घोषणा की गई है। इनमें से 6 महिलाएं और 150 पुरुष कैदी शामिल हैं। इन कैदियों के पास अब समाज में पुनः योगदान देने का एक नया अवसर होगा। रिहा होने वाले कैदियों में बलात्कार, पाक्सो एक्ट (POCSO) जैसे गंभीर अपराधों से दंडित कैदी शामिल नहीं हैं, क्योंकि इस नीति के तहत ऐसे अपराधों से दंडित कैदियों को माफी नहीं दी जाती।
रिहाई से पहले कैदियों को दिए गए यह प्रशिक्षण
रिहा किए जा रहे कैदियों को जेल में रहते हुए विभिन्न कौशल प्रशिक्षण प्रदान किए गए हैं। इनमें टेलरिंग, कारपेंटरी, लोहार, भवन मिस्त्री, और भवन सामग्री निर्माण के प्रशिक्षण शामिल हैं। इन प्रशिक्षणों के माध्यम से, कैदियों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में फिर से समायोजित होने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि समाज में भी उनका योगदान अधिक सकारात्मक होगा।
रिहा होने वाले कैदियों की सूची
मध्यप्रदेश के विभिन्न जेलों से रिहा होने वाले कैदियों की संख्या इस प्रकार है-
क्र. | जेल का नाम | रिहा कैदियों की संख्या |
1. | केन्द्रीय जेल, उज्जैन | 14 |
2. | केन्द्रीय जेल, सतना | 17 |
3. | केन्द्रीय जेल, नर्मदापुरम | 11 |
4. | केन्द्रीय जेल, बड़वानी | 03 |
5. | केन्द्रीय जेल, ग्वालियर | 16 |
6. | केन्द्रीय जेल, जबलपुर | 14 |
7. | केन्द्रीय जेल, रीवा | 19 |
8. | केन्द्रीय जेल, सागर | 14 |
9. | केन्द्रीय जेल, नरसिंहपुर | 06 |
10. | केन्द्रीय जेल, इन्दौर | 10 |
11. | केन्द्रीय जेल, भोपाल | 25 |
12. | जिला जेल देवास | 01 |
13. | जिला जेल, टीकमगढ़ | 02 |
14. | जिला जेल, इन्दौर | 02 |
15. | सब जेल, पचई | 01 |
16. | सब जेल, बण्डा | 01 |
कुल बंदी: | 156 |
जेल विभाग की रिहाई नीति में सुधार
मध्यप्रदेश के माननीय सीएम मोहन यादव के नेतृत्व में रिहाई नीति में सुधार किया गया है। अब, आजीवन कारावास से दंडित कैदियों को हर वर्ष पांच विशेष अवसरों पर रिहा किया जाएगा, जबकि पहले केवल चार अवसरों पर रिहाई की जाती थी। इस सुधार के तहत, आजीवन कारावास से दंडित कैदियों की पुनर्वास प्रक्रिया को और अधिक सशक्त बनाया गया है। अब मध्यप्रदेश सरकार ने पांचवें अवसर के रूप में राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस को भी शामिल किया है, जिससे अब कुल पांच अवसरों पर कैदियों को रिहाई मिल सकेगी।
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी)
अंबेडकर जयंती (14 अप्रैल)
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
गांधी जयंती (2 अक्टूबर)
राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस (15 नवम्बर)
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