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विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले मध्य प्रदेश के विधायक एक नए अनुभव से गुजरने वाले हैं। इस बार उनका ध्यान पारंपरिक कामकाज से थोड़ा हटकर, डिजिटल कार्यप्रणाली पर होगा। आने वाले मानसून सत्र से पहले, विधायकों और उनके स्टाफ को 'वन नेशन वन प्लेटफॉर्म' (One Nation One Platform) के तहत ऑनलाइन कामकाज की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग सीधे दिल्ली से आए ट्रेनर्स द्वारा दी जाएगी। पर यह ट्रेनिंग आखिर क्या होगी? आइए जानते हैं।
विधायकों के स्टाफ के लिए होगी पहली क्लास
मध्य प्रदेश विधानसभा के सत्र की शुरुआत विधायकों के स्टाफ की क्लास से होगी। यह पहली क्लास विधायकों के स्टाफ को ऑनलाइन प्रश्न पूछने और उनके संबंधित कार्यवाही की प्रक्रियाओं को समझने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। इस ट्रेनिंग का उद्देश्य यह है कि विधायकों के सहयोगी बेहतर तरीके से समझ सकें कि कैसे ऑनलाइन प्रश्न पूछे जाएं। साथ ही, मंत्री की प्रतिक्रियाओं से जुड़े सवालों को कैसे और बेहतर तरीके से उठाया जाए।
दिल्ली से आएगा ज्ञान का खजाना
इस ट्रेनिंग में विशेषज्ञ ट्रेनर्स दिल्ली से आएंगे। विधान परिषद (Legislative Council) में विधायकों के बैठने की व्यवस्था में 75 सीटें हैं। यहां पर 50 कंप्यूटर इंस्टॉल होंगे और उन्हें ऑनलाइन कार्यप्रणाली से परिचित कराया जाएगा। हालांकि, यह प्रक्रिया थोड़ा वक्त ले सकती है। खासकर कंप्यूटर और अन्य उपकरणों की खरीदारी और टेंडर प्रक्रिया में देरी हो रही है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इसे मानसून सत्र तक पूरा कर लिया जाएगा।
मानसून सत्र से पहले विधायकों की लगेगी क्लास...
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नई डिजिटल पहल का भविष्य
जहां तक प्रशिक्षण का सवाल है, यह प्रक्रिया शुरू में धीमी गति से हो सकती है, लेकिन यह अगले शीतकालीन सत्र तक पूरी तरह से लागू होने की संभावना है। 'वन नेशन वन प्लेटफॉर्म' (One Nation One Platform) से जुड़ने के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा को संसद और अन्य राज्यों की विधानसभा से जोड़ने में मदद मिलेगी। इससे मध्य प्रदेश के विधायक यह जान पाएंगे कि संसद में क्या कार्रवाई हो रही है और अन्य राज्यों में विधायकों के बीच क्या हो रहा है। साथ ही, अन्य विधानसभा से बेस्ट प्रैक्टिस (Best Practices) का आदान-प्रदान भी संभव होगा।
ई-विधान में विधायकों की बढ़ी रुचि
मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के लिए 3 हजार प्रश्न आए हैं। इसमें से 2 हजार प्रश्न ऑनलाइन पूछे गए हैं। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह (AP Singh) के अनुसार, अब आधे से अधिक सवाल ऑनलाइन पूछे जा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि विधायकों को ई-विधान (e-Vidhan) प्रणाली में रुचि बढ़ रही है। चूंकि विधायक अपने कार्य में स्टाफ की मदद लेते हैं, इसलिए उनके सहयोगियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे भी इस नई प्रणाली से पूरी तरह से जुड़ सकें।
पहली बार चुनकर आए 90 विधायक
मध्य प्रदेश विधानसभा में इस बार 90 नए विधायक हैं। इनमें से अधिकांश लोग पहले से ही टेबलेट के जरिए सदन की कार्रवाई में शामिल हो रहे हैं। यह विधायक ई-विधान प्रणाली को पूरी तरह से अपनाने में सक्षम होंगे, क्योंकि वे पहले से ही डिजिटल प्रक्रिया से परिचित हैं।
डिवाइस की इंस्टॉलेशन प्रक्रिया शुरू
जैसे ही टेबलेट की सप्लाई होती है, विधान परिषद भवन में प्रायोगिक तौर पर कुछ डिवाइस इंस्टॉल किए जाएंगे, ताकि विधायकों को बेहतर तरीके से इस प्रणाली का प्रशिक्षण दिया जा सके। इस प्रक्रिया के लिए सभी जरूरी तैयारियां पहले ही कर ली गई हैं।
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