मध्य प्रदेश सरकार ने छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए एक निर्णय लिया है। इसके तहत केजी 1 और केजी 2 की पढ़ाई अब संस्कृत में कराई जाएगी। इन कक्षाओं के नए नाम 'अरुण' और 'उदय' रखे गए हैं। यह प्रोजेक्ट महर्षि पतंजलि संस्थान और संस्कृत बोर्ड के सहयोग से शुरू किया जा रहा है। इसमें संस्कृत, संस्कृति और संस्कार का महत्व बच्चों को समझाया जाएगा।
प्रोजेक्ट का उद्देश्य
इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का उद्देश्य बच्चों को संस्कृत भाषा में प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है। बच्चों को छोटी उम्र में ही संस्कृत, संस्कृति और संस्कार को बच्चों के जीवन में समाहित करना है। इसके अलावा वर्किंग पेरेंट्स के बच्चों को प्राथमिकता देना ताकि वे अपने बच्चों की शिक्षा और संस्कारों के बारे में निश्चिंत रह सकें।
शिक्षा का तरीका
जानकारी के अनुसार बच्चों को वास्तविकता पर आधारित शिक्षा प्रदान की जाएगी, वर्चुअल मोड़ में नहीं। इसके अलावा स्कूल परिसर में कबूतर, खरगोश, और अन्य जानवरों के बाड़े होंगे ताकि बच्चे उन्हें हकीकत में देख सकें। बच्चों को अभिवादन और श्लोकों का उच्चारण सिखाया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत राजधानी भोपाल के सरोजनी नायडू स्कूल में की जा रही है।पहले बैच में 30 बच्चों का एडमिशन किया जाएगा। पूरे प्रदेश में 350 संस्कृत प्राथमिक स्कूल खोलने की योजना है।
एडमिशन प्रक्रिया
जिन वर्किंग पेरेंट्स की सैलरी कम होगी, उनका दो दिन का वेतन बतौर फीस लिया जाएगा। वर्किंग पेरेंट्स के बच्चों को एडमिशन में प्राथमिकता दी जाएगी। यह प्रोजेक्ट न केवल बच्चों को संस्कृत भाषा में निपुण बनाएगा, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति और संस्कारों से भी परिचित भी कराएगा। इससे बच्चों के सर्वांगीण विकास में मदद मिलेगी और वे अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे।
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