बीजेपी है कि मानती नहीं...। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। ये अलग बात है कि साल 2024 में नतीजे मनमाफिक नहीं मिले। लेकिन पार्टी तो अब भी बीजेपी ही सबसे बड़ी है। मध्यप्रदेश में भी बीजेपी का प्रदर्शन लाजवाब रहा। अब कांग्रेस अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रही है। अभी कांग्रेस ने प्रदेश में हल्ला बोल का आगाज ही किया था कि उससे पहले बीजेपी ने उसकी प्लानिंग फेल करने के लिए कमर कस ली है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ
कांग्रेस ने हाल ही में ये ऐलान किया है कि वो अगस्त क्रांति करने जा रही है। इसकी शुरूआत उज्जैन में हल्ला बोल से हो भी चुकी हैं। कांग्रेस के लिए एग्रेशन जरूरी है, इसलिए कांग्रेस ने वो रास्ता चुना है लेकिन बीजेपी फिर इससे एक कदम आगे निकल गई है। बीजेपी ने प्रदेश में खुद का नेटवर्क मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। अब ये सवाल जरूर सोचा जा सकता है कि बीजेपी को नेटवर्क मजबूत करने की जरूरत ही क्या है? मध्यप्रदेश में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें मिली और कांग्रेस 66 पर सिमट कर रह गई। ये आंकड़ा साफ जाहिर करता है कि कांग्रेस को वजूद बचाने के लिए तगड़ी मेहनत करनी है। कांग्रेस का ये प्रदर्शन साल 2018 के चुनाव के मुकाबले बहुत ही कमजोर रहा। 2018 में कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल की थी। कांग्रेस ने सरकार भी बनाई, लेकिन 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरी तो लगा कि अब कांग्रेस ने हथियार ही डाल दिए हैं। उसके बाद कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। चुनाव दर चुनाव हर नतीजा यही जाहिर कर रहा है। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश में भी रिवाइवल मोड में आने की कोशिश कर रही है। जिसके लिए आंदोलन का रास्ता चुना गया है, हालांकि सिर्फ आंदोलन की सीढ़ी के भरोसे कांग्रेस कामयाबी की ऊंचाई तक नहीं पहुंच सकती।
कांगेस कार्यकर्ताओं का नेटवर्क धराशायी
उसकी कुछ वजह है..। पहली वजह है कि कांग्रेस ने खुद को साल दर साल कमजोर किया है। एकजुटता की जबरदस्त कमी है और कार्यकर्ताओं का नेटवर्क तकरीबन धराशायी हो चुका है। कांग्रेस आंदोलन की राह तो पकड़ चुकी है, लेकिन कार्यकर्ताओं का नेटवर्क बढ़ाने के लिए अभी कोई प्रयास करती नहीं दिख रही है, जबकि कांग्रेस के बहुत से पुराने कार्यकर्ता दल बदलने वाले बहुत से नेताओं के साथ बीजेपी में जा चुके हैं। तो अब कांग्रेस के लिए निहायती जरूरी है कि वो कार्यकर्ताओं का नेटवर्क भी स्ट्रॉन्ग करने में जुट जाए। हालांकि, कांग्रेस इस ओर कदम बढ़ाए उससे पहले ही बीजेपी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
बीजेपी चैन से बैठने को तैयार नहीं...
बीजेपी जिसकी प्रदेश में स्थाई और मजबूत सरकार है। फिलहाल चुनाव भी करीब साढ़े चार साल दूर है। उसके बाद भी बीजेपी चैन से बैठने को तैयार नहीं है। बीजेपी ने अभी से प्रदेश में अपना नेटवर्क मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी ने सदस्यता अभियान का ऐलान कर दिया है। ये सदस्यता ऐलान न सिर्फ प्रदेश स्तर पर चलाया जाएगा, बल्कि नेशनल लेवल पर भी बीजेपी इस अभियान में जुटने वाली है। मध्यप्रदेश में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने 21 अगस्त को बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में प्रदेश के सारे प्रमुख नेता मौजूद होंगे। इन नेताओं में सभी प्रदेश प्रभारी, संभाग प्रभारी, लोकसभा और राज्य सभा के सांसद, विधायक, जिला प्रभारी, जिला अध्यक्ष, जिला मंत्री और सभी मोर्चों के प्रभारी शामिल होंगे। जिनके साथ ये चर्चा होगी कि प्रदेश में सदस्यों का नेटवर्क और मजबूत कैसे किया जाए।
बीजेपी की दस करोड़ सदस्य जोड़ने की रणनीति
बीजेपी की मौजूदा रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में अभी बीजेपी के 68 लाख सदस्य हैं। इस संख्या को अभी और बढ़ाना है। फिलहाल बताया जा रहा है कि केंद्र ने प्रदेश में सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए कोई टारगेट नहीं दिया है, लेकिन जिस हिसाब से बीजेपी तैयारी कर रही है। उसे देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये आंकड़ा छोटा नहीं होगा। मध्यप्रदेश में कुछ इक्का दुक्का उपचुनावों को छोड़ दिया जाए, तो अब जो भी चुनाव होंगे वो तीन साल से ज्यादा के समय के बाद होंगे। ये चुनाव पंचायत और नगरीय निकाय से जुड़े होंगे। जितना निचले स्तर का चुनाव होगा कार्यकर्ताओं के नेटवर्क उतना ही मजबूत होना जरूरी होगा। बीजेपी इसी काम में जुट गई है। गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग को इस काम के लिए मध्यप्रदेश का प्रभारी भी बनाया गया है।
दस करोड़ सदस्य जोड़ने की रणनीति
अब बात करते हैं राष्ट्रीय स्तर की। जहां बीजेपी ने खुद अपने लिए बहुत बड़ा लक्ष्य रखा है। इस मसले पर बीते शनिवार को ही एक बड़ी बैठक हुई है। जिसमें खुद जेपी नड्डा और अमित शाह मौजूद थे। इसी बैठक में सदस्यता अभियान को फुल ऑन तरीके के एग्जीक्यूट करने का फैसला किया गया है। बीजेपी ने देशभर में करीब दस करोड़ सदस्य जोड़ने की रणनीति तैयार की है। ये लक्ष्य हासिल करना बहुत आसान नहीं है, लेकिन बीजेपी ने स्टेप वाइज प्लानिंग तैयार की है। जिसका कुछ तो असर तय माना जा रहा है। इस सदस्यता अभियान की शुरूआत पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों होगी।
हर पॉलिटिकल प्लानिंग को इवेंट की तर्ज पर शुरू करने वाली बीजेपी से यही उम्मीद है कि इस अभियान की शुरूआत भी जोर शोर से होगी। जिसका मैसेज ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकेगा। इसके अलावा भी बीजेपी ने और प्लानिंग की ही होगी। असल में ये बैठक करीब चार घंटे तक चली। जिसमें सदस्यता अभियान की पूरी प्लानिंग तो हुई ही थी। इसके साथ ही कब किस प्रदेश में कितना एक्टिव रहना है इस पर भी चर्चा हुई। आम लोग आसानी से बीजेपी से जुड़ सके, इसके लिए प्रक्रिया को आसान बनाने की भी पूरी कोशिश की गई है। साल 2019 में पहली बार मिस कॉल देकर सदस्य बनाने का अभियान शुरू किया गया था। अब इसमें और भी ऑप्शन्स जोड़ दिए गए हैं। इस बार जो भी बीजेपी का सदस्य बनना चाहता है वो क्यू आर कोड स्केन करके, नमो एप के जरिए या फिर बीजेपी की साइट पर जाकर भी बीजेपी की सदस्यता ले सकता है। जो लोग टेक्नोफ्रेंडली नहीं है, वो लोग पुराना तरीका भी चुन सकते हैं। जिसके तहत फॉर्म भरकर बीजेपी का सदस्य बना जा सकता है।
कांग्रेस को बीजेपी की रणनीति की ढूंढनी होगी काट
अपने इस फैसले से बीजेपी स्पष्ट कर चुकी है कि वो जीत के बाद भी मानने वाली या रुकने वाली नहीं है। वजह साफ है, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को काफी सीटों का नुकसान हुआ। अब बीजेपी अभी से एक्टिव होकर पुराने नुकसान की भरपाई करना चाहती है। साथ ही आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनाव और उपचुनावों के लिए भी खुद को तैयार रखना चाहती है। अब आंदोलन की राह पर निकली कांग्रेस को बीजेपी की इस रणनीति की काट भी जल्द ढूंढनी होगी।
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