News Strike : राज्यसभा की एक सीट और हर बार की तरह एक अनार और ढेर सारे बीमार वाली बात होने लगी है। बीजेपी के सामने बड़ा चैलेंज अब ये है कि आलाकमान नेशनल लेवल के हों या प्रदेश लेवल के... दोनों को इस एक सीट के लिए जमकर माथा पच्ची करनी है। यह भी तय करना है कि इस एक सीट के बहाने किसी सीनियर नेता को नवाजा जाए। दलबदल कर आए नेता को मौका दिया जाए ? जातिगत समीकरण साधकर सोशल इंजीनियरिंग की जाए या फिर किसी बाहरी को मौका दे दिया जाए।
बीजेपी को मुफीद प्रत्याशी की तलाश
लोकसभा चुनाव होने के बाद मध्यप्रदेश की राजनीतिक तस्वीर में बड़े बदलाव हुए हैं। कुछ विधानसभा की सीटें खाली हुईं, जहां उपचुनाव हो रहे हैं या फिर हो चुके हैं। राज्यसभा की सीटों पर भी इसका असर पड़ा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत कर संसद पहुंच गए हैं। उनकी राज्यसभा सीट खाली हो चुकी है, उनकी सीट पर 3 सितंबर को चुनाव होगा। उससे पहले बीजेपी को एक मुफीद प्रत्याशी की तलाश है।
वोट डिस्ट्रिब्यूशन के अनुसार देखें तो बीजेपी की जीत तय है, लेकिन कांग्रेस भी मैदान में प्रत्याशी उतारने के पूरे मूड में है। बात सिर्फ एक सीट की है, लेकिन इस पर बड़े-बड़े समीकरण साधने की नौबत आ सकती है। सबसे पहले आपको बता दें कि मध्यप्रदेश सहित 9 राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों पर 3 सितंबर को चुनाव होगा।
इसमें मध्यप्रदेश की सीट कई मायनों में अहम है, जिस पर बीजेपी एडजस्टमेंट करती है या सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाती है, ये देखने वाली बात होगी। ये भी संभावनाएं है कि इस सीट पर बीजेपी प्रदेश के किसी नेता को मौका देने की जगह किसी बाहरी नेता को जगह दे दे। फिलहाल प्रदेश से राज्यसभा की सात सीटों पर 3 ओबीसी, 3 एसटी और 1 एसटी राज्यसभा सांसद हैं। अब बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती ये है कि वो इस एक सीट पर किसे मौका दे। बीजेपी सोशल इंजीनियरिंग को तरजीह दे या फिर किसी ऐसे नेता को एडजस्ट करे, जो किसी वादे या शर्त पर पार्टी में शामिल हुए हैं या दोनों चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं।
सवर्ण कार्ड राज्यसभा के लिए खेल सकती है BJP
वैसे माना जा रहा है कि सीट सिंधिया की खाली हुई है तो बीजेपी इस सीट से केपी यादव को मौका दे सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में केपी यादव ने गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से सिंधिया को हराया था। इस बार भी ये अटकलें थीं कि सिंधिया को इस सीट से टिकट देने के बाद केपी यादव नाराजगी जताते हुए कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, लेकिन केपी यादव अपनी पार्टी में ही रहे। इसके बाद ये संभावनाएं हैं कि बीजेपी अब केपी यादव को उनका क्रेडिट देगी और उन्हें राज्यसभा भेज सकती है, लेकिन ये इतना आसान नहीं है, क्योंकि और भी बहुत से नेता हैं, जिनका ध्यान बीजेपी को रखना है। इसमें सबसे पहला नाम नरोत्तम मिश्रा का है।
- नरोत्तम मिश्रा विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक बहुत एक्टिव रहे हैं। कांग्रेस को कमजोर कर ज्यादा नेताओं को पार्टी में मिलाने का क्रेडिट भी उन्हीं को जाता है, उन्हें राज्यसभा भेजने का फायदा ये है कि वो ब्राह्मण समाज को थोड़ी तवज्जो मिल सकेगी।
- खास बात यह भी है कि बीजेपी के सभी राज्यसभा सांसदों में ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के सांसद हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि मिश्रा के जरिए पार्टी अब सवर्ण कार्ड राज्यसभा के लिए खेल सकती है।
इस बार किसको मौका देगी बीजेपी
पार्टी के अंदर ही एक और नाम है जो इस पद का दावेदार हो सकता है, ये नाम है जयभान सिंह पवैया का। पूर्व मंत्री और पूर्व लोकसभा सांसद जयभान सिंह पवैया का नाम भी तेजी से राज्यसभा के लिए चर्चा में आया है। पिछले कुछ दिनों से भोपाल से दिल्ली के बीच उनकी सक्रियता भी बढ़ी हैं। पवैया हिंदुत्ववादी चेहरे हैं और बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उन्हें संघ का करीबी माना जाता है, जबकि सवर्ण वर्ग से भी आते हैं। लंबे समय से उन्हें भी अहम जिम्मेदारी मिलने की चर्चा चल रही है। ऐसे में पवैया को भी राज्यसभा में एंट्री मिल सकती है। चंबल के इन नेताओं के नाम के साथ ही अरविंद भदौरिया का नाम भी चर्चाओं में है,जो चुनाव जरूर हारे हैं लेकिन दल बदल कराने वाले नेताओं में नरोत्तम मिश्रा के अलावा उनका नाम भी काफी आगे है। इन नामों के बीच सुरेश पचौरी को नहीं भुलाया जा सकता है। हाल ही में राम नाम की नैया पर सवार हो कर सुरेश पचौरी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन की है, उनके नाम के साथ ये भी अटकलें लगीं कि उन्हें बीजेपी राज्यपाल बनाकर भेज सकती है। उससे पहले राज्यसभा का चुनाव ज्यादा नजदीक आ रहा है, तो ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि राम निवास रावत को उपकृत करने के बाद बीजेपी सुरेश पचौरी को भी उपकृत कर सकती है।
बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग पर दिया ध्यान
बीजेपी की राजनीति में सरप्राइज सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। यानि जिन नामों की चर्चा चलती है उनकी जगह किसी नए चेहरे को भी मौका मिल सकता है। पिछले कुछ सालों में बीजेपी ने कई बार चौंकाया है, जहां राजनीतिक पंडित भी अनुमान लगाने में चूके हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश में भी राज्यसभा के चुनाव में एक बार फिर ऐसा देखने को मिल सकता है। इन नामों के अलावा बीजेपी किसी नए चेहरे को राज्यसभा भेज सकती है. जिसमें हैदराबाद से चुनाव लड़ी माधवी लता, बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चतुर्वेदी, कांतदेव सिंह का नाम भी अंदरखाने चर्चा में चल रहे हैं। जबकि पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया के अलावा ग्वालियर से आने वाले लोकेंद्र पाराशर और बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार तक नाम राज्यसभा की रेस में शामिल है। हालांकि यह सब अटकलों का दौर है, क्योंकि बीजेपी ने अब तक किसी भी तरह से अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जब ये पत्ते खुलेंगे, तब ये साफ होगा कि बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग पर ध्यान दिया है या फिर एडजस्टमेंट पर ध्यान देने ज्यादा जरूरी समझा है।
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