मध्य प्रदेश में बंद हो सकती हैं नॉनसर्टिफाइड कोर्स चलाने वाली प्राइवेट यूनिवर्सिटी, विनियामक आयोग ने दिया आदेश

32 यूनिवर्सिटियों में कुलपति के पद पर की गई नियुक्तियां रद्द कर दी गई हैं, जबकि अनाधिकृत कोर्स चलाकर छात्रों को छल रहे ऐसे निजी विश्वविद्यालयों पर मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का रुख भी सख्त दिख रहा है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. गाइडलाइन की अनदेखी करने वाले प्रदेश के 50 निजी विश्वविद्यालयों पर यूजीसी और एआईसीटीई ( UGC and AICTE ) की वक्रदृष्टि पड़ गई है। इनमें से ज्यादातर में अधूरे और नॉन सर्टिफाइड टेक्नीकल कोर्स चलाने की शिकायत यूजीसी-एआईसीटीई तक पहुंची है। इन यूनिवर्सिटीज पर प्रदेश सरकार, उच्च शिक्षा विभाग की कसावट नहीं है। एआईसीटीई यानी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने नाराजगी जताई है। वहीं 32 यूनिवर्सिटियों में कुलपति के पद पर की गई नियुक्तियां रद्द कर दी गई हैं, जबकि अनाधिकृत कोर्स चलाकर छात्रों को छल रहे ऐसे निजी विश्वविद्यालयों पर मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का रुख भी सख्त दिख रहा है। जिसके चलते आधी से ज्यादा प्राइवेट यूनिवर्सिटी बंद होने की स्थिति में हैं। यानी एक बार फिर उच्च शिक्षा विभाग की लापरवाही से हजारों छात्रों का भविष्य उलझन में है। उधर मोटी फीस वसूलने वाली प्राइवेट यूनिवर्सिटी अब भी मनमर्जी पर डटी हुई हैं और प्रदेश सरकार को मौन है। 

नॉन सर्टिफाइड कोर्स पर नाराज एआईसीटीई 

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ( एआईसीटीई ) ने प्राइवेट यूनिवर्सिटीज द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों में कमियां पाई थीं। यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग ( University Engineering ) और मैनेजमेंट के नॉन सर्टिफाइड कोर्स चला रही हैं और कुछ कोर्स अधूरे भी पाए गए थे। एआईसीटीई ने आपत्ति दर्ज कराते हुए यूजीसी और प्रदेश सरकार को अवगत कराया था। यह भी टिप्पणी की गई है कि नियम की अनदेखी कर जो कोर्स संचालित किए जा रहे हैं जिनकी  डिग्रियों का कोई औचित्य नहीं है। ऐसी डिग्री रद्द करने और विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई के लिए यूजीसी से अनुंशसा की तैयारी भी एआईसीटीई ने कर ली है। यह मामला प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की निगरानी करने वाले विनियामक आयोग के सामने भी पहुंच चुका है। यूजीसी-एआईसीटीई की गाइडलाइन के उल्लंघन पर विनियामक आयोग ने प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से जवाब तलब कर लिया है। चालू शैक्षणिक सत्र में एआईसीटीई और आयोग की सख्ती से प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में खलबली मची हुई है। 

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क्या होगा जब 32 यूनिवर्सिटी में कुलपति ही अयोग्य 

मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग की पड़ताल में प्रदेश में संचालित 50 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में से 32 में कुलगुरु की नियुक्ति में भी गड़बड़झाला सामने आया है। जिसके बाद आयोग ने इन नियुक्तियों को रद्द करते हुए 15 दिन में कार्रवाई के निर्देश मैनेजमेंट को दिए हैं। इसके साथ ही इस अवधि के बाद कभी भी अधिकारी इन विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करने पहुंच जाएंगे। एआईसीटीई  ने भी कमियां दूर न होने और औचक निरीक्षण में दोबारा सामने आने पर यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग को अमानक यूनिवर्सिटी बंद कराने  की अनुशंसा करने की चेतावनी भी दी है। 32 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में कुलपति की नियुक्ति भी नियम विरुद्ध पाई गई हैं। प्रोफेसर के रूप में 10 साल काम करने का अनुभव न होने वाले व्यक्तियों को कुलपति बना दिया गया।  

प्राइवेट यूनिवर्सिटी के नाम पर गोरखधंधा 

प्रदेश में बीते एक दशक में छोटे-छोटे शहरों के कॉलेजों ने भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी का रूप ले लिया है। सरकार से अनुमति और यूजीसी-एआईसीटीई से संबद्धता हासिल कर अब ये निजी विश्वविद्यालयों ने तकनीकी कोर्स भी शुरू कर दिए हैं जबकि इनमें से ज्यादातर  के पास इंजीनियरिंग-एमबीए की पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधन या फैकल्टी तक नहीं है। वहीं जानकारों का कहना है ग्रामीण क्षेत्र या छोटे जिलों से ज्यादातर छात्र कॉलेज में एडमिशन लेने बाहर जाते हैं। इसे देखते हुए अब कॉलेज निजी यूनिवर्सिटी का रूप ले रहे हैं। इनमें सरकार और यूजीसी या एआईसीटीई जैसी संस्थाओं की गाइडलाइन को अनदेखा कर अपने नियम चलाए जाते हैं। यानी निजी यूनिवर्सिटी उच्च शिक्षा को विस्तार देने वाले केंद्रों से ज्यादा कमाई का जरिया बन गई हैं।

इन शहरों में निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ 

प्रदेश के लगभग सभी संभाग मुख्यालयों पर अब प्राइवेट यूनिवर्सिटी संचालित हो रही हैं। इनमें से ज्याादातर यूनिवर्सिटीज ने पुराने कॉलेजों से आकार लिया है। राजधानी भोपाल में सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मध्यांचल, भाभा, एलएनसीटी, पीपुल्स, आरएनटीयू, इंदौर में वैष्णवी, मेडिकैप, रेनॉरेंस, एपीजे अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी, मालवांचल, सिम्बायोसिस, सेज, ओरिएंटल, सीहोर में मानसरोवर, सत्यसाई, ग्वालियर में आईटीएम, एमिटी, गुना में जेपी और सागर में एसवीएन सहित अन्य जिलों में भी  यूनिवर्सिटी चल रही हैं। इनमें हजारों की संख्या में छात्र हर साल प्रवेश ले रहे हैं, लेकिन रेगुलेटरी अथॉरिटी की गाइडलाइन की अनदेखी इन छात्रों की डिग्री को अटका सकती है। यदि ऐसा होता है तो हजारों छात्रों का भविष्य अंधेरे में पड़ सकता है।

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