मध्य प्रदेश सरकार ने नए साल 2025 की शुरुआत एक बड़े कर्ज के साथ की है। सरकार ने 1 जनवरी को खुले बाजार में दो चरणों में कुल 5000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है, जिससे राज्य पर कुल कर्ज का आंकड़ा अब 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। यह कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ई-कुबेर सिस्टम के माध्यम से लिया गया है।
कर्ज का विवरण
मध्य प्रदेश सरकार ने 1 जनवरी को खुले बाजार से दो चरणों में 5हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया। पहले चरण में सरकार ने 2500 करोड़ रुपए का कर्ज 13 वर्षों के लिए लिया, जिसकी अदायगी 2038 में होगी। दूसरे चरण में 2500 करोड़ रुपए का कर्ज 22 वर्षों के लिए लिया गया, जिसका भुगतान 2047 तक किया जाएगा।
कर्ज का बढ़ता आंकड़ा
मध्य प्रदेश सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा अब 3.75 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। इसमें से 2,03,000 करोड़ रुपए बाजार से लिया गया कर्ज है, 15 हजार 248 करोड़ रुपए वित्तीय संस्थाओं से लिया गया कर्ज है और 62 हजार 012 करोड़ रुपए केंद्र सरकार से लिया गया लोन और एडवांस है। कर्ज की यह प्रक्रिया भारतीय रिजर्व बैंक के ई-कुबेर सिस्टम के माध्यम से पूरी की गई। इस प्रणाली के माध्यम से कर्ज लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित माना जाता है, जिससे सरकारी लेन-देन की निगरानी होती है।
राज्य के वित्तीय स्थिति पर असर
राज्य पर कर्ज का आंकड़ा बढ़ने से मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, यह कर्ज राज्य सरकार की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने और विकास योजनाओं को लागू करने में मदद करेगा, लेकिन कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी आने वाले दशकों तक राज्य पर रहेगी।
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