मध्य प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टर और वशेषज्ञों की कमी को पूरा करेगा आउटसोर्सिंग मॉडल

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए सरकार ने एक नया कदम उठाया है। अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और सिविल अस्पतालों में डॉक्टरों, विशेषज्ञों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसियों का सहारा लिया जाएगा।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News : भोपाल. प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार अब आउटसोर्सिंग एजेंसियों का सहारा लेने जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और सिविल अस्पतालों (सीएच) में डॉक्टरों, विशेषज्ञों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। इस मॉडल के तहत, अस्पतालों को बेहतर बनाने और मरीजों को अधिक सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए योग्य कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।

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आउटसोर्सिंग से प्रदेश में सुधार की उम्मीद

प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन उनकी पूरी चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था में कमी बनी हुई है। विशेषज्ञों और डॉक्टरों की भर्ती के लिए पहले भी प्रयास किए गए थे, लेकिन इनमें सफलता नहीं मिल पाई। खासकर एनेस्थीसिया विशेषज्ञों के लिए यू-कोट-वी पे फॉर्मूला भी अपनाया गया था, लेकिन उसके बावजूद इन अस्पतालों में आवश्यक विशेषज्ञों की कमी बनी रही। अब, स्वास्थ्य विभाग ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए विशेषज्ञों और डॉक्टरों की नियुक्ति की तैयारी शुरू कर दी है।

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स्वास्थ्य विभाग की आउटसोर्सिंग नीति

स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सीएचसी और सिविल अस्पतालों में आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारियों की भर्ती के लिए टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस नीति के अंतर्गत, एजेंसी द्वारा नियुक्त डॉक्टर और अन्य कर्मचारी सिविल सर्जन और सीएमएचओ के निर्देशों के अनुसार काम करेंगे। हालांकि, इन अस्पतालों का स्वामित्व और प्रबंधन पूरी तरह से सरकार के पास रहेगा, और सरकार द्वारा ही इन कर्मचारियों को भुगतान किया जाएगा।

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मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी के प्रयास

प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह कदम अहम साबित हो सकता है। सरकार ने सीएचसी और सीएच को फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) के रूप में विकसित करने के लिए निर्देश दिए हैं, ताकि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकें। इस मॉडल से प्रदेश में अस्पतालों की सुविधाओं में सुधार और मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।

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आउटसोर्सिंग मॉडल का लाभ

यह आउटसोर्सिंग मॉडल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इसके जरिए मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा, खासकर गरीबों और आयुष्मान कार्ड धारकों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके अलावा, विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती से सीएचसी और सिविल अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार

मध्य प्रदेश में कुल 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं, जिनमें 10,440 बेड हैं। वहीं, राज्य में 161 सिविल अस्पताल हैं, जिनमें 11,225 बेड हैं। आउटसोर्सिंग के इस मॉडल के जरिए इन अस्पतालों की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाया जाएगा और मरीजों को उचित इलाज मिल सकेगा। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए यह एक बड़ा कदम होगा।

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