मंदिर के मुद्दे पर तकरार, हाईकोर्ट और बार काउंसिल आमने-सामने आए

मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के बंगले में हनुमान मंदिर था या नहीं, इस मुद्दे को लेकर विवाद बढ़ गया है। अब मामले में हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्यकुमार जैन ने उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की है।

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Neel Tiwari
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हनुमान मंदिर के मुद्दे पर हाईकोर्ट और बार काउंसिल में ठनी। Photograph: (the sootr)

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JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत (Suresh Kumar Keth) के बंगले में हनुमान मंदिर था या नहीं? इस मुद्दे पर हाईकोर्ट और बार काउंसिल में ठन गई है। हाईकोर्ट बार काउंसिल  (High Court Bar Council) ने दावा किया था कि चीफ जस्टिस के बंगला परिसर में हनुमान मंदिर को तोड़ा गया है, जबकि इसके जवाब में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने पत्र जारी कर स्थिति साफ की थी। साथ ही यह भी बताया था कि परिसर में कभी कोई मंदिर नहीं था। अब हाईकोर्ट बार काउंसिल ने एक बार फिर मुद्दा उठाया है।

उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग

मध्य प्रदेश हाइकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धन्यकुमार जैन ने एक प्राचीन मंदिर को कथित तौर पर तोड़े जाने के मामले में उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। शिकायत के अनुसार यह मंदिर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के बंगले में स्थित था, जिसे बंगले के नवीनीकरण के दौरान तोड़ा गया। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के द्वारा एक बयान जारी कर खंडन किया गया है। जिसके बाद हाईकोर्ट बार काउंसिल ने इस खंडन पर गंभीर आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर संज्ञान लेने की अपील की है।

क्या है मामला?

हाईकोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष धन्यकुमार जैन के अनुसार, चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के आधिकारिक बंगले में स्थित यह प्राचीन मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह सनातन संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी था। उनके द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए, इस मंदिर को मौखिक आदेशों के आधार पर नवीनीकरण कार्य के दौरान ध्वस्त कर दिया गया। इस घटना की जानकारी मिलते ही हाई कोर्ट बार काउंसिल ने इस पर आपत्ति जताई और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल धर्मेंद्र सिंह पर दबाव में कार्यवाही करवाने का आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र में यह लिखा है कि बिना किसी कर्मचारी एवं अन्य लोगों से पूछताछ किए पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट जमा कर आरोपियों ने ही खुद को निर्दोष साबित कर दिया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने मुख्य न्यायाधिपति भारत को भी इस मामले की शिकायत भेजी।

Registrar General Dharmendra Singh
रजिस्ट्रार जनरल धर्मेंद्र सिंह ने लिखा ये पत्र। न Photograph: (the sootr)

 

रजिस्ट्रार जनरल पर लगाए गंभीर आरोप

शिकायती पत्र में रजिस्ट्रार जनरल धर्मेंद्र सिंह पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इस मामले को झूठा साबित करने के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का उपयोग किया। धन्यकुमार जैन ने दावा किया है कि रजिस्ट्रार जनरल ने बिना किसी गहन जांच या साक्ष्य संग्रह या उस बंगले में कार्यरत कर्मचारियों से पूछताछ किये, पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा जारी किए गए पत्रों के आधार पर मंदिर तोड़े जाने के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल ने एक प्रेस नोट जारी कर उनकी शिकायत को झूठा करार दिया, जबकि उनकी शिकायत में लिखे गए आरोप पूरी तरह से तथ्यों और जांच पर आधारित थे। इस प्रकार की कार्रवाई को जैन ने न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए हानिकारक बताया।

पीडब्ल्यूडी पर झूठी रिपोर्ट देने का आरोप

इस मामले में पीडब्ल्यूडी विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। धन्यकुमार जैन ने आरोप लगाया है कि पीडब्ल्यूडी विभाग ने दबाव में आकर मंदिर तोड़े जाने को झुठलाने के लिए झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि विभाग ने अपनी अवैध कार्यवाही को छिपाने के लिए एक असत्य पत्र जारी किया। उनका कहना है कि विभाग ने दबाव में यह रिपोर्ट तैयार की ताकि वह स्वयं को निर्दोष साबित कर सके। यह रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल के प्रेस नोट में प्रस्तुत की गई थी, जो कि निष्पक्षता और सत्यता के विपरीत है।

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हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने की मांग। Photograph: (the sootr)

 

उच्च स्तरीय जांच की मांग

धन्यकुमार जैन ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित अन्य उच्चाधिकारियों से इस मामले में तत्काल उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल एक धार्मिक स्थल के विध्वंस का है, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और भारतीय संविधान की गरिमा को भी चुनौती देता है। उन्होंने मांग की कि इस समिति के माध्यम से दोषियों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

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हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने की मांग। Photograph: (the sootr) Photograph: (the sootr)

 

गलत हूं तो मेरे खिलाफ करें कार्रवाई

धन्यकुमार जैन ने अपने शिकायती पत्र में यह भी कहा है कि यदि उनके द्वारा लगाए गए आरोप उच्च स्तरीय जांच में गलत पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ न्यायपालिका के सम्मान को ठेस पहुंचाने के लिए कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य न्यायपालिका की गरिमा और निष्पक्षता की रक्षा करना है।

गोंगपा सहित अधिवक्ता और अन्य संगठन भी मैदान में

इस मामले में अधिवक्ता रूप सिंह मरावी और मधुसूदन कुर्मी ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को पत्र भेजकर न्यायपालिका और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। शिकायतकर्ताओं ने अपने पत्र में यह दावा किया है कि भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान के अनुसार, किसी भी सरकारी परिसरों में विशेष धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों का होना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने तर्क दिया है कि वर्तमान में इन परिसरों में स्थापित धार्मिक स्थलों पर केवल विशेष धर्म या पंथ से जुड़े लोगों को पूजा-अर्चना का अधिकार प्राप्त है, जिससे अन्य समुदायों की भावनाओं को आहत किया जाता है।

Madhya Pradesh High Court Dispute
न्यायपालिका और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग Photograph: (the sootr)

 

शिकायतकर्ताओं ने दिया यह सुझाव

शिकायतकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि यदि सरकारी परिसरों में धार्मिक स्थल अनिवार्य हैं, तो वहां सभी धर्मों, पंथों और संप्रदायों के धार्मिक स्थलों की स्थापना की जाए। इसके अलावा, वर्तमान धार्मिक स्थलों पर समाज के सभी वर्गों को पुजारी या पुरोहित के रूप में नियुक्त करने की मांग की गई है। यह नियुक्ति जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व के आधार पर होनी चाहिए, ताकि सांप्रदायिक संतुलन और समानता बनी रहे। यदि इन मांगों को पूरा करना संभव नहीं है, तो शिकायतकर्ताओं ने सभी सरकारी परिसरों से धार्मिक स्थलों को हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसा करने से संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन किया जा सकेगा। यह कदम सभी समुदायों के बीच समानता और निष्पक्षता भी सुनिश्चित करेगा।

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न्यायपालिका और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग Photograph: (the sootr)

 

कई संगठनों ने दिया समर्थन

इस मुद्दे को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी, बामसेफ, पिछड़ा समाज पार्टी यूनाइटेड और जय आदिवासी युवा शक्ति (जयश) जैसे संगठनों ने भी समर्थन जताया है। इन संगठनों का कहना है कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को बनाए रखने के लिए शासकीय परिसरों में सभी धर्मों के लिए समान अवसर और सम्मान सुनिश्चित करना आवश्यक है।

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