सरकारी अस्पतालों में नौ इंजेक्शनों की सप्लाई रोकी, प्रतिबंध पर जांच के बाद कदम उठाएगी सरकार

मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नौ इंजेक्शनों की सप्लाई को गुणवत्ता जांच के लिए रोका गया। लैब रिपोर्ट के बाद ही इनका उपयोग या प्रतिबंध तय होगा।

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Pratibha ranaa
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इन दवाओं की गुणवत्ता पर उठा सवाल...
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मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में नौ इंजेक्शनों की सप्लाई रोक दी गई है। इस मामले में प्रदेश सरकार जांच के बाद इनका इस्तेमाल किए जाने अथवा बैन किए जाने पर कदम उठाएगी। मीडिया में चल रही खबरों पर मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिडेट यानी MPPHSCL ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि इंदौर के गांधी मेडिकल कॉलेज की ओर से 8 अगस्त को नौ ड्रग्स के बड़े लॉट की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की गई है। इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए चिह्नित दवाओं के बैच की सप्लाई रोक दी गई है। जांच होने तक इन्हें अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सप्लाई नहीं किया जाएगा। 

जांच होने तक सप्लाई रोकी 

जिन दवाओं के लॉट की सप्लाई रोकी गई है, उनमें सभी दवा इंजेक्शन फॉर्म में हैं। ये लाइफ सेविंग, एंटीबायोटिक्स और मल्टी विटामिन ड्रग्स हैं। मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन के एमडी पंकज जैन का कहना है कि जब किसी दवा का लॉट आता है और उसे लेकर किसी तरह की कोई शिकायत आती है तो संबंधित बैच की जांच तक उपयोग पर प्रतिबंध लगा देते हैं।

इंजेक्शन सप्लाई

जांच कराना एक सामान्य प्रक्रिया 

गांधी मेडिकल कॉलेज, इंदौर की ओर से जिन नौ दवाओं को लेकर शिकायत की गई है, उनके सैंपल जांच के लिए भेज रहे हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। लैब से विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही दवाओं को प्रतिबंधित करने को लेकर कदम उठाए जाएंगे। अभी जो दवाओं को बैन करने की बात सामने आ रही है, वह पूर्णत: निराधार है।  

अस्पतालों में सप्लाई रोकी 

फिलहाल मामला सामने आने के बाद MPPHSCL ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन, मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) को निर्देश जारी करते हुए इन दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह भी कहा गया है कि यदि निचले स्तर पर कहीं इन्हें वितरित किया गया है तो उसे भी रोक दिया जाए।

आगे क्या होगा...

राज्य स्तरीय लैब से रिपोर्ट आने के बाद इसे कोलकाता लैब में भेजा जाएगा। वहां से यदि इन नौ दवाओं के लॉट के बैच में किसी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित कंपनियों के खिलाफ राज्य सरकार एक्शन लेगी। कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकता है।

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