MP के अस्पतालों का हाल, स्वास्थ्य सर्टिफिकेशन में बड़े जिले रीवा, इंदौर, ग्वालियर फिसड्डी

मध्यप्रदेश में 2742 स्वास्थ्य संस्थाएं सर्टिफाइड हो चुकी हैं, लेकिन इंदौर, ग्वालियर और रीवा जैसे बड़े जिले एनक्यूएएस और कायाकल्प मापदंडों पर पीछे हैं। सिवनी, सीहोर जैसे छोटे जिलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

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Rohit Sahu
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MP News: मध्यप्रदेश के अस्पतालों में सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) और कायाकल्प मापदंडों के आधार पर सर्टिफिकेशन प्रोसेस की है। रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि प्रदेश के प्रमुख जिले इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का गृह जिला रीवा सर्टिफिकेशन की दौड़ में पीछे हैं। वहीं, सीहोर, सिवनी, मंडला, नर्मदापुरम जैसे छोटे जिले स्वास्थ्य मानकों पर बड़ी उपलब्धि हासिल कर रहे हैं।

इंदौर-ग्वालियर जिला अस्पताल को नहीं मिला NQAS सर्टिफिकेट

प्रदेश के सबसे प्रमुख शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में शामिल इंदौर और ग्वालियर जिला अस्पताल अभी तक NQAS (National Quality Assurance Standards) सर्टिफिकेशन नहीं ले पाए हैं। इसके अलावा कायाकल्प योजना के तहत भी इंदौर पीछे है। ग्वालियर जिला अस्पताल को भी एनक्यूएएस सर्टिफिकेट नहीं मिला। यह स्थिति तब है जब ये शहर स्वास्थ्य सेवाओं का हब माने जाते हैं।

रीवा, भोपाल, सीहोर समेत प्रमुख जिलों की ग्रेडिंग में बड़ा अंतर

एनएचएम (National Health Mission) की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल जिले का जिला अस्पताल एनक्यूएएस और कायाकल्प दोनों मानकों पर सर्टिफाइड है, लेकिन निचली इकाइयों की स्थिति कमजोर है। वहीं रीवा जिला, जो उपमुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है, वहां भी हालात बेहतर नहीं हैं। सीहोर और सिवनी जैसे जिलों में सिविल अस्पतालों से लेकर पीएचसी-सीएचसी तक को बेहतर ग्रेड मिला है।

सिवनी, सीहोर जैसे छोटे जिले बने रोल मॉडल

कायाकल्प अवॉर्ड में जिला अस्पताल सिवनी और देवास को शीर्ष स्थान मिला है। एनक्यूएएस मापदंडों में दतिया जिला अव्वल रहा। कुल मिलाकर 2742 स्वास्थ्य संस्थाएं सर्टिफाइड की जा चुकी हैं, जिसमें से 2067 संस्थाएं NQAS और 675 कायाकल्प मापदंडों पर खरी उतरी हैं। वहीं, इंदौर, ग्वालियर, खरगोन, बड़वानी, डिंडोरी, नीमच, सिंगरौली जैसे कई जिलों में जिला अस्पताल और अन्य संस्थाएं अभी तक पूरी तरह सर्टिफाइड नहीं हो पाई हैं।

2030 तक सभी संस्थानों को सर्टिफाइड करने का लक्ष्य

एनएचएम मध्यप्रदेश की एमडी सलोनी सिडाना ने बताया कि लक्ष्य 2030 तक है, जब प्रदेश की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं को NQAS व कायाकल्प के मापदंडों पर खरा उतरने योग्य बनाया जाएगा। हालांकि इस दिशा में प्रमुख जिलों की धीमी प्रगति सरकार की योजनाओं पर सवाल खड़े कर रही है।

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